Mridbhand/ Mitti Ke Bartan भारतीय संस्कृति में मृदभाण्ड / मिट्टी के बर्तन

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हड़प्पा सभ्यता में कुम्हार की चाक पर बने कुछ Mridbhand/ Mitti Ke Bartan सादे हैं और कुछ पर लाल पोत देकर काली रेखाओं से चित्र बनाए गए हैं। इन पर रंग चढ़ाने के लिए लाल गेरू या हिरमिजी मिट्टी का प्रयोग हुआ है। इनमें कुछ विशेष प्रकार के बर्तन उल्लेखनीय हैं। 

नारियल की आकृति के नुकीली पेंदी के मिट्टी के कुल्हड़, दो इंच से लेकर चालीस इंच तक के उठान वाले बहुछिद्र युक्त भांड, संभवतः सुगंधित तेल व श्रृगार सामग्री रखने के लिए बनाए गए आधे इंच से डेढ़ दो इंच तक के वामनाकृति भाण्ड, खुदे हुए बर्तन भाण्ड, पशु आकृति के बर्तन, नुकीली आकृति के अनाज रखने के बर्तन आदि।

Mridbhand/ Mitti Ke Bartan पर अंकित चित्रों में भंगिमा युक्त टेढ़ीमेढ़ी रेखाएं, लहरिया रेखाएं, कंघा, सूर्य, तारे, बाणमुख आकृतियां, फूल-पत्तियों की पंक्तियां, पशु- पक्षी, मछली, पीपल का वृक्ष, मोर,मृगया का चित्र आदि प्रमुख हैं। हमें तीन प्रकार के मिट्टी के बर्तनों  का परिचय मिलता है

1 – गेरू या लाल रंग से रंगे बर्तन

2 – भूरे रंग के बर्तन जिन पर काली रेखाओं के चित्र हैं (1200ई. पू. से 600 ई. पू.)

3 – उत्तरी काली पॉलिश वाले बर्तन (नॉर्दर्न ब्लैक पेंटेड वेयर) (600 से 200 ई. पू.) इनमें से तीसरे प्रकार के चमकीले भाण्ड सारे भारत में मौर्यकालीन स्थानों पर पाए गए हैं।

भारतीय संस्कृति मे चित्रकला 

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