Lokbhushan Panna Lal Asar Ke Lokgeet पन्ना लाल असर के लोकगीत

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‘लोकभूषण’ पन्ना लाल असर का दिल बुन्देलखण्ड की लोक संस्कृति, साहित्य और बुन्देली विरासत को सहेजने के लिए  धड़कता है।

लोकभूषण’ पन्ना लाल असर का जीवन परिचय  

 

अकेली डर लागे दूर बसे सैयाँ

काया मे बिराजे धनु धारी

बे दिन नाईयां आबे के

चलीं काछोटा मारें

काहे नया जपो हरी नामा

दोई कुलन उजियारी

माता-पिता से जग मे बढ़के

मारे बिदेशी जुआन

मेरो होने नाईयां ब्याव

सुघर नायर पणियां खों जाबैं

अकेले मे झगड़ा नया करो बालमा

गोरी धाना मारो नया नजरिया के बयान

जीवन खों सुखमय बनावें

बुन्देली भूमी की चंदन सी माटी

मत कारियो गुमान

माटी में सोना उपजा रऔ

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