Dharmasanvari धर्मासाँवरी -बुन्देली लोक गाथा

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यह लोकगाथा बुन्देलखण्ड की चरागाही संस्कृति पर आधारित दाम्पत्य-परक समस्या को केन्द्र में रखकर चलती है। चिड़िया Dharmasanvari  और चिड़वा दंग रिछरिया का विवाद बच्चों के बँटवारे को लेकर है। जो एक अदभुत प्रेम कहाँनी है। चिड़िया का तर्क है कि जंगल में आग लगने पर चिड़वा पलायन कर जाता है और चिड़िया आग की परवाह न कर अपने अंडों की सुरक्षा में पंख फैलाए भूखी-प्यासी बैठी रहती है।

इतनी तो बेरौँ का गाइये रे अब, जलनी नीरे पौर के रे नाव ।
अलख निरंजन परमा गुरू रे अब, जलनी ले-ले राम के नाव ।

/> खेरे की गालउं खेरापति रे अब, मेड़े गुरैया रे देव ।
जरिया तो भुमियाँ ऐई गाँव के रे अब, देवा नाव ने जाने रे कोय।
नगरी के पवन हनुमान, जिनने परवत लये रे उठाय ।
चिरवा – चिरैया दो हते रे, लग रयीं दुआरें बीजावन डांगों रे ।
अरे चिरई – चिरवा बीजावन रे रये रे, अरे भारी तो पेड़ अखेबर के गाइये हरे ।
चिरहई अंडा धरे हैं मोरे राम, अरे लग रयीं दुवारें बीजावन में काहे ।
वा तो आगी लगी है चोकोर, अरे बोले ने चिरवा जा समजावे रे।
चिरहई सुनले हमारी नोनो बात, अरे चलो भग चलिये बीजावन डांगों सें रे ।
बा तो मानें नें एकई बात, अरे हाँत जोर के विनती जा रख रयी ।
अरज सुनो मोरे राम, तुमें भगने होय सो भग जैयो रे ।
हम तो अंडों पे तजहैं प्रान, बोले ने चिरवा जब समजावे रे।
सुनरी चिरैया मोरी बात, हम तुम रेबू सो मुतके चेनुओं रे ।
बोले चिरैया जा कहे रे, सुन चिरुआ मोरी बात ।
भगने होय सो भग जइयो रे, रै गई चिरैया पेड़ अखेवर सें रे ।
भरी उड़ानें जे चिरआ ने रे, जूनागढ़ की पकर लयी नोने गैल ।
जाकें पोंचो जूनागढ़ सोई मौजें उड़ा रव मोरे राम ।
बैठी है चिरैया बीजावन में रे, अरे घेरउ सें लग रयीं है दुवार ।

अन्न तो पानी ओनें तज दये रे, अब ईसुर सें लगा रयी नोने ध्यान ।
हल रयीं सिंगासन इन्दर भगवान की, अर सिम्भू डरी रे कैलास ।
बासक के बरीसा भैया डग गये रे, संकट पर गये है सिरी भगवान ।
नारद बुला रये जतरी सें रे, जब बैठी मौनी रे महाराज ।
बोले ने ईसुर नारद सें जा कहें, मोरी सुनियो मौनी महाराज ।
गाल में तपिया कौना हो रये, जब जीरा बता दे उपदेश ।
बोले रे नारद जा कहें, मोरी सुनले धरम की जा बात ।
बैठी चिरैया बीजावन में, अंडों पै तजें रे पिरान ।
घेरां दुआरें लग रहीं रे, बोले ने नारद जा कहें रे।
मोरी सुनियों धरम की जा बात, पानी बरसाने जब बीजावन में रे ।
भैया वन की तो बुज जा रे आग, भोला बैठे अपनी आसन पै रे ।
उनने डमरू बजा दई मोरे राम रे, खबर पाकें मेघों नें रे ।
वे तो बादर उठे हैं मोरे राम, रिम झिम रिम झिम पानी भैया गिर रहे रे ।
भैया आगी तो बुज गई मोरे राम । हाली तो फूली बैठी है चिरैया रे ।
भैया अंडा फोर रई मोरे राम, बैठे हैं चिनुआ जे के धंसुआ में रे ।
भैया भर रई उड़ानें मोरे राम, गैल पकर लई जेने जल्दी सें रे ।
भैया चुन तो लिया रई मोरे राम, पाले चेनुओं बीजावन में रे ।
भरी हैं उड़ानें अरे चिरहई नें रे, अपने लये हैं चेनुओं मोरे राम ।
बारा कोस के देखों रमना तो रे, भैया पैलें पौंच गई मोरे राम ।
आम झलरिया केतो पेड़े पें रे, भैया बैठी चिरैया मोरे राम रे।

खबरें लगाई बारे चिरआ नें रे, बोतो उतई पोंच गव मोरे राम ।
जैसई नजरें परीं चिरहई कीं रे, ओने मों तो फेर लव मोरे राम ।
उनकी हो रयी लड़ाई रमना में रे, जब बोले ने चिरआ मोरे राम ।
चिनुआ तो बाँट ले अपने रे, बोले ने चिरहई जो समजावे ।
मोरी सुनियों धरम की जा बात, लौट चलो तुम बीजावन में रे ।
जहाँ लगहे कचेरी मोरे राम, न्याव डार दें पंचों पे रे।
भैया बेई तो करेंहें अपनो न्याव, लग रई कचेंरी राजा भोज की रे।
बातों पोंची चिरइया मोरे राम, मोरी अरज सुनो दीनानाथ ।
मोरो न्याव तो अब कर दियो रे, मैंने पाले चेनुवा मोरे राम ।
दोई तो लड़ रये रमना में रे, पंचों को फेसला सुना आज ।
बोले ने पंचा जा कहें, तुम दोउ सुनो मोरी बात ।
दे दे चिरैयें चिरैया खों रे, चिरआ चिरआ खो देव मोरे राम ।
बोले चिरहई जा कहे रे, तुम अरज सुनो पंच महराज ।
ऐसा करते अपने रमना में रे, हम कायखों आउते मोरे राम ।
कायखों न्यौतो देते पंचों खों रे, हती चिरैया भग लई रे ।
जेखों चलत लगे ने झेल, गैल पकर लई राजा बानसुर की रे ।
भैया लग रई कचेरी मोरे राम, रूख कदम के जे के दरवाजें रे ।
जब बैठी चिरैया मोरे राम, फिर समजा रई चिरआ खों ।
चिरआ सुनले धरम की मोरी बात, अरजी डारी अपनी पंचों में रे ।
अर बैठे हैं चिरआ मोरे राम, कैबो सुनलो कोउ सें है नइयां रे ।

बोले चिरहई समजा के रे, चिरआ सुन तो हमारी नोने बात ।
तुम तो बैठों एई पेड़े पैरे, हम अरजी तो कर लएँ मोरे राम ।
चिरहई तों पोंची पंचों में रे, मोरी अरज सुनों पंच महराज ।
मोरो न्याव तो अब तुम करियों रे, अब बोले पंच महराज ।
भेद बता दे अब जियरा को रे, जब बोले चिरैया मोरे राम ।
लगी ती दुआरे जब बीजावन में रे, जब चिरआ भगो तो मोरे राम ।
प्रान तजे हमनें अंडों पै रे, जब बोले चेनुओं मोरे राम ।
अब आ गये हैं सांचड लरबे खों रे, भैया खिचरये सनाका मोरे राम ।
बोले पंच समजा के कहें रे, मोरी सुनले चिरहई तें जा बात ।
चिरआ तो दै दे बारे चिरआ खों रे, तुम तो लें ले चिरैयां मोरे राम।
बोले नें चिरहई जा कहे रे, अरजी सुनलें पंच महराज ।
ताँमेँ के पत्तुर मोखो तुम लिखियों रे, उनने पत्तुर लिखे हैं मोरे राम ।
दस्कत कर दये बारे पंचों नें रे, अब रोवे चिरैया मोरे राम ।
पत्तुर तो खोंसें ओनें छाती में रे, बा तो उड़ी है चिरैया मोरे राम ।
उल्टी तो सूदी गिरदी खा रयी रे, जब मूड़ मार लई रे मोरे राम ।
मूड़ सपील में जैसई घली रे, बा तो मर गई चिरैया मोरे राम ।
बैठीं ती रनियां दरवाजे रे, वे मन में तो कर रयीं ती विचार ।
कौनउ दिनां ऐसे हम खों मरने पर है रे, जब कठवा की पाटी लै लई मोरे राम ।
रूसा मिहल में बे तो सो रही रे, नांय की बातें नई खों छोड़ो ।
चिरआ के सुनो तो हवाल, बैठे हैं चिरवा जब पेड़े पे रे ।

भैया मरी ती चिरैया मोरे राम, अंसुआ नें सिमटें बारे चिरआ के रे ।
ओनों मारी है सपीलों से मूड़, चिरआ – चिरैया दोउ मर गये रे।
उड़े ते पखेरू मोरे राम, शिहर तो जलेसर राजा बानासुर के रे ।
भैया जनम तो ले लये मोरे राम, जनम लये बारी चिरहई ने रे ।
‘धर्मा साँवरी’ धरे है नाव, गोबर गाँव में चिरआ जनम न लये रे।
भैया सकुल अहीर मोरे राम, दंग रिछरिया जिनके नाव हैं रे ।
बेतो ‘झूलत पालने मोरे राम, दिन दूने रात चौगने बड़ रहे रे ।
बे तो पड़वे मदरसा खों हाँय, बाप मतारी जिनके डूबे हैं रे ।
वे तो अकेले रे गये रिछरिया मोरे राम, जिनकी नौ सो नवासी गउयें खोड़ा में रे ।
बे तो इयें चरावों मोरे राम, उते दिन-दिन बिटिया दूनी बड़ रही रे ।
उनकी बिटिया तो पड़ रयी मोरे राम, सोरा तो पाटी जेंने पड़ लई रे ।
जब घोड़ा खरीदे मोरे राम, घोड़ा बांद लये जेने दरवाजे रे ।
भैया घोड़ा छोड़ दये मोरे राम, नगर भर की घुड़ियें जेनें बर दयी रे ।
बातों सालई को कड़ गई मोरे राम, ब्यान परे है बारी घुड़ियों के रे ।
ना से रिछरिया भैया भग लये रे, जिनखों चलत लगी नैयां झेल।
घुड़ियाँ मँगवा लई जेनें नगरों सें रे, भैया पड़ा पेहट रई मोरे राम ।
नोँ से सियाने भैया चल रये रे, जब पोंचे पौर के दोर ।
बोले सियाने बारे राजा सें रे, मोरी अरज सुनों महराज ।
कर चल लओ तो मोरी घुड़ियों ने रे, बेतो साँवरी मँगा लई मोरे राम ।
बोले ने राजा अब जा कहे रे, मोखों पता तो नैया मोर राम ।

चढ़िया बुलवा दये जिनने जल्दी सें रे, जब बोलो तो राजा मोरे राम ।
कौना के केंवे से घुड़िये हंकवाई ती रे, जब बोले रिछारिया मोरे राम ।
हुकम दये तें बारी बिटिया ने रे, सोई घुड़ियें तो हांकी मोरे राम ।
पूंछने लागे बारी बिटिया सें रे, भैया बोले नें बिटिया मोरे राम ।
सबेरे सियाने भैया जुर जइयो रे, जब पत्तुर ऐंच दये मोरे राम ।
पत्तुर पौंचो दये जिनने पंचों में रे, बे तो बांचे पंच महराज।  
बोले ने रनियाँ जा कहे रे, मोरी अरज सुनो महराज ।
बेटी सियानी अपनी हो गई रे, लरका ढूँढ़ो मुलक परदेस ।
नाउ बामन जिनने पौंचाये रे, लरका ढूँढ़े मुलक परदेस ।
ढूँढ़े तो लरका जिनखों मिले नैयां रे, वे लौटई तो आये मोरे राम ।
केस उँछ रये जब नदिया पै रे, जिनके बार टूट गये मोरे राम ।
पत्ता तो टोरे जिननें माहुल के रे, और दुनिया बनाई मोरे राम ।
केस बोआ दये जिनने नदिया में रे, जब बिटिया सपर रयी मोरे राम ।
दुनिया उठा लई बारी बिटिया ने रे, जब घर की पकर लई गैल ।
बोले ने बिटिया अपनी माता रे, माई सुनले हमारी बात ।
ढूँढ़ों तय्यारें बारी नदिया के रे, जिनखों चलत लगें हे ने रे देर ।
हाँतों में दुनिया भैया लै लयी रे,जब नदिया पकर लई है गैल ।
गौवें तो बैठी हैं, अरे ! जिनकी नदिया पै रे, और सपरें रिछरिया मोरे राम ।
केस उंछ रये जब नदिया पै रे, उनकी माँग लहरिया तो लये।
बोले बामन जा कहें रे, मोरी सुनियो धरम कैसी बात ।

कोनां देश तुम जनमन लये रे, कहाँ धरे है औतार ।
बोले रिछरिया जा कहे रे, तुम सुन ले हमारी बात ।
गोवर गाँव जनमन लये हैं रे, सो उतहई धरे है औतार |
गौवें चरा रये अपनी रमना में रे, बोलन लगे गुरू रे महराज ।
ब्याव जो करले भैया आये हैं रे, जब बोले रिछरिया रे जवान ।
बाप मतारी मोरे हैं नैयां रे, और नैयां कुटम परवार ।
हम तो अकेले देखों जंगल में रे, जब बोले गुरु महराज ।
हामी भर देव देखों ब्याव की रे, जब बोले ने सुअना मोरे राम ।
ब्याव जो करहों अपने वीरन को रे, तुम सुनले चित लगाय ।
नाउ बामन अरे संगे हो गये रे, जब घर की पकर लई रे गैल ।
गैयें तो पेंड़ी खोंड़ो में रे, जिनकी तप रयी रसुइया मोरे राम ।
हो रई गौतरी जिनकी बाखर में रे, फिर बिटिया देखों तुम जल्दी सें रे।
जब पोंचे गुरु महराज, लरका कहये गोवर गाँव को रे ।
दंग तो रिछरिया मोरे राम, बोले में गुरुवा जा कहे रे ।
मोरी सुनियो धरम की बात, बेटी देखवे कौनां आये हैं रे ।
नाँय सज रये रिछरिया ज्वान, बजर सिला तो लग रई खोंडा में रे।
भैया लयें है लुहोंगी मोरे राम, गैलें तो पकर लईं जेनें हल्दी सें रे ।
भैया पोंचे है पोहर के रे दोर, हो रयी गोंतरी जिनकी सुसरारों में रे ।
जब बिटिया देख रये मोरे राम, बिटिया तो देख के भैया लौटे हैं रे ।
जिनखों चलत लगो ने झेल, बोले ने राजा जब समझावें रे ।

मोरी सुनियों धरम की रे बात, ऐसे अकेले सांचउ आ जें हों रे ।
खाल खेंच भुसा भरें हैं रे, लग गई बुराई तो बारे राजा खों रे ।
नाँय से रिछरिया भग लये हैं रे, अब पोंचे है पोहर के रे दोर ।
पिंजरा टंगे है बारे सुअना के रे, जब बोले पखेरू मोरे राम ।
लरकिनी देखकें भैया तुम आये हो रे, मोंसे पूंछी ने एकउ बात।
जे दिना तुमायीं भाँवरें पर जेंहें रे, मोरी सुद दियो रे बिसार ।
नसें लगुनें तो भैया चल रई है रे, भैया बैठे पखेरू मोरे राम ।
दे दई आवाजें बारे सुअना खों रे, जिनने कलई दई है घुरवाय ।
सबरे सुआ तो जिनने जोरे हैं रे, पंखा बोरे कलई में मोरे राम ।
पुत गई सपीलें अरे बाखर की रे, भैया आ गई लगुनें मोरे राम ।
चली है भुवानी बारी दुरगा रे, सातई बेने जुरी है मोरे राम ।
गारी तो गावें वे बाखर में रे, बच गई लगुनें मोरे राम ।
बास बैठे जिनके दोरें रे, बैठी है सकल समाज ।
बोले ने सुअना का समजावे रे, मोरी सुनियो धरम की जा बात ।
कगदा लिखा दे भैया नेवतों के, बाउन गढ़ी खों पाती दे दई रे ।
देसां रे देखों पाती दे दई रे, अब कारज तो आ गये मोरे राम ।
चढ़ गये तवा-तावड़ी रे के, अर तप रयीं रसुइयें मोरे राम ।
भोजन हो रये जिनकी बाखर में रे, अब आ गये महांदे बाबा मोरे राम ।
बंदे हैं नांदिया जिनके दरवाजे रे, ऐरावत हांती तो आ गये मोरे राम ।
बासक तो ठांड़े जिनके हो गये हैं रे, जिनकी राछें तो फिर रईं मोरे राम।

नौबद-नगाड़े जिनके बज रहे रे, जब हक रई बरातें मोरे राम ।
गैला तो पकर लयी जिनने जल्दी सें रे, जब चले तो बिरोबर जाँय ।
चल रयी आगोनी जिनकी गैलों में रे, भैया घुवाँ तो उड़े हैं आकास ।
पोंची बरातें जिनकी नदिया पै रे, जब नजरें परी हैं मोरे राम ।
नजरें तो पर गईं बारे बानासुर की रे, भैया नारी तो नइयाँ मोरे राम ।
पानी तो देनें पाहें इन खों तो रे, फिर कैसे खुवा हो मोरे राम ।
बोले ने बिटिया भैया खो समजावे रे, मोरी सुनले धरम की रे बात ।
गड़िया तो कइये गोबर गाँव की रे, खुद ब्याही छोड़ रये मोरे राम ।
हरदी चढ़ये तो बैठी छजिया पै रे, सबरे दरवाजे भैया पोंचे हैं रे।
भैया सुनते धरम की रे बात, पीरे तो बादर भैया होवें ने रे ।
मोरी पारो भाँवरें मोरे राम, बिदा तो कर दो मोरी नदिया पै रे।
कउं होजां भुनवारें मोरे राम, बाप से खाबे तोसें लै लेहों रे ।
बोले रिछरिया भैया समजावे रे, मोरी सुनले धरम की रे बात ।
बाँस गाढ़दे अपने दरवाजें रे, भैया बाँस गढ़े हैं मोरे राम ।
सरतें लिख रये अपने दरवाजें रे, भैया बाँस कूंदियों मोरे राम ।
मोरी सुनले धरम की रे बात । भैया हंकना तो दे हों मोरे राम ।
जो कउं बाँस तो तुमने कूंदो ने रे, नाक में कोड़ी तुमखों पैरें हों रे,
नौ सौ नवासी पड़ेरू चरवाहें रे, बोले बिड़निया भैया समजावें रे।
मोरी सुनलें सकल सरदार, बाँस रिछरिया भैया कुंदे नइयाँ रे ।
अब हम तो कूंद रये मोरे राम । जादू चला दव जेने जलदी से रे।
भैया बारा हांत के मोरे राम, बारा हांत के बाँस रे गये रे ।

जब कूंदे बिड़ेनियाँ मोरे राम, बाजी जीत गई जेकी बाखर में रे ।
भैया नाक में कौड़ी मोरे राम, दै दये हंकना जिनखों जलदी सें रे।
जूनागढ़ की पकर लई रे गैल, नौ सो नवासी पड़ा चरवावें रे ।
बोले रे रनियां जब समजावे रे, मोरी सुन ले धरम की बात ।
बैठी अकेली भैया बाखर में रे, जल ढूँढ़े कुटम परवार।
आशा के विरबा जे खों है नइयां रे, जब बोले सियाने मोरे राम।
बेनें अकेली सांचउं भैया की रे, नन्द कइये तुमारी मोरे राम ।
बालक तो भये हैं जिनके बाखर में रे, भैया ठांड़ी तो हो गई मोरे राम ।
गदबद दै दई देखों बाखर में रे, जब ले रई चगेरे मोरे राम ।
धर लई है गदिलियें रेसम पाट की रे, नांय सें तो रनियां भैया चल रई हैं रे ।
जेखों चलत लगे ने झेल, रात दिनां की मजलो में रे ।
तो पोंची हैं पोहर के दोर, आउत देखी बारी ननदी नें रे ।
जे कांसें तो आ गई मोरे राम, बोले नें रनियां जब समजावे रे।
बिन्ना सुनले धरम की रे बात, भैया तो भये हैं मैंने सुन लई है रे ।
जब करियो बुलौआ मोरे राम, हो रये हैं बुलौआ जेकी बाखर में रे ।
बो लेने धर्मा साँवरी जा कहे रे, बिन्ना सुनले धरम की जा बात ।
भैया तो दे दे हमखों ओली में रे, हमें ले जा पोहर के रे दोर ।
हामीं तो भर दई नन्दी नें रे, जिनने दूध धरे हैं मोरे राम ।
लई है चंगेरे बारी रानी नें रे, जब डलिया उठा लई मोरे राम ।
गैलें पकर लई गोबर गाँव की रे, जब ओंटी निकर गई मोरे राम ।
डलियाँ उतारी बारी रानी नें रे, ओली भैया धरे हैं मोरे राम ।

दूध पिया रई देखो फुआ सें रे, नांसे तो रनियां निग रई हैं रे ।
अपनी धर लई चंगेरे मोरे राम, जाकें पौंचीं अपनी बाखर में रे ।
जब झूला बांदे हैं मोरे राम, भैया तो झुला रई अपनी बाखर में रे ।
जब हो रयी आनंदी मोरे राम, दिन-दिन दूनें भैया बड़ रहे रे ।
खिरका जा रये गेंद खेलवे रे, जिनखों चलत लगे ने झेल ।
बोले सियाने जा कहें रे, भैया जो का खेल खेलत मोरे राम ।
मम्मां तुमारे तीर कमनियां खेतल हते रे, नायं से भनेजा जा कहें रे ।
मांई सुनो हमारी बात, दै दे कमनियां मोय मम्मां की रे ।
वे तो बोलन लागीं मोरे राम, इन बातों में तुम ने परियो रे ।
मैंने देखी तो नइयां मोरे राम, बोले भनेजां जा समजावे रे।
माता सुनले धरम की रे बात, जल्दी कमनियां देख मम्मां की रे।
बे तो ठांड़ी हो गई हैं मोरे राम, बाउन कुठरियों जिनने खोली तीं रे।
उते मिल गईं कमनियां मोरे राम, लेकें कमनियां भैया भग लये।
जब पोंचे दुकानें मोरे राम, पोंचे दुकान बारे लुहार के रे ।
मम्मां दुकान बारे लुहार के रे, मम्मां सुन ले धरम की जा बात।
बान हो गये हैं मोंथले रे, सोई बान पजा दे मारे राम ।
तीर कमनियां परसा लै लई रे, पोंचे है कुअला की पार ।
रतन कुआ मुख साँकरे रे, उते अलबेली रे पनहार ।
बस्ती भर की पनहारीं सोई जुर रहीं रे, सिर बेहरे उनके भर गये मोरे राम ।
बान चढ़ा लये बारे परसा नें रे, फिर बान तो छोड़े मोरे राम ।
सौ-सौ बेहरे भैया फूटे डरे हैं रे, बोले सियाने भैया समजावें रे ।

मोरी सुनले भनेंजा बात, नौ-सौ नवासी गउए तुमाये मम्मां की रे ।
भैया खोड़ा पिंडी है मोरे राम, बारा तो बरसें जिनें हो गई रे ।
उनकी पुर गई हड्डलियें मोरे राम, इतनी सुनी परसा नें रे ।
धर्मा साँवरी कहे रे, मोरी सुनले धरम की बात ।
कानों खों कुंडल भैया खों बिराजें रे, भैया मोरे तरुकला रे राम ।
मोरी तो तोरी भैया जोड़ी है रे, मैड़े माता हार दये हैं राम ।
राज तो उलट दे गोबर गाँव के रे, जब बोले परसुआ ज्वान मोरे राम।
गोली जग जा घड़ी दो जियत है रे, तलवारों से उतरें रे पार ।
हीन बोल तो जिन बोलो नें रे, जब गये हैं करेंजों रे फार ।
जो माता नें मौखों जनमें हैं रे, मोरी कइये पापा की रे बात ।
माता धरम की तुम लगो रे, तेंने फोहा पियाये नोने दूध ।
बोले भनेजा जा कहे रे, माता सुनले धरम की रे बात ।
खोंड़ा बता दे मोय मम्मां के, देखें जल्दी से हम जायँ ।
बोले ने रनियां जब समजावें रे, बेटा सुनियो धरम की रे बात ।
जां हो गली है खोंड़ा की रे, उते पौरई तो हुइये मोरे राम ।
उतें से रानी चल भयीं रे, खिरका पोंची जाय ।
उनें ठांटिया मिल गये हैं रे, उनने चरन तो टेके मोरे राम ।
जांसें गेलें है खोंड़ो की रे, उते थपीं है भुवानी मोरे राम ।
फिर चरन तो टेके दीनानाथ रे, पाँच बरस की दुरगा हो गई रे ।
ओली धर लये परसुआ ज्वान, हात फेर के उन दुरगा ने रे ।
ओंखों बज्जुर को कर दओ मोरे राम, चक्कर लगाये जब खोंड़ा के रे ।

उते बजर सिला तो लग रयी रे, जहाँ ठांड़ी है रनियां मोरे राम ।
लोक धर दये हैं रे, उनखों टपके पसीना मोरे राम ।
बोले ने रनियां जब समजावे रे, मोरी सुनले भनेंजा बात ।
नरियल ल्याओ तुम जल्दी सें रे, और बुकरा तो ल्यइयो मोरे राम ।
लैंके अठवाई नरियल चल भये रे, आंगें लयें है दोरिया मोरे राम ।
पूजा कर दयी सब देवतों की रे, जब पूंजी भुंवानी मोरे राम ।
बजर सिल खों सरका दई मोरे राम, बा तो डाइन भोयरे सें दोरी हती रे ।
ओ खों बुकरा तो मैके मोरे राम, नौ सो नवासी गइयों के खोंड़ा में रे।
जिनकी पुर गई हडुलियें मोरे राम, सांड़ तो मलनियां उते ठांड़े हते रे।
और ठांड़ी विराजन नोने गाय, टप-टप अँसुआ जे के गिर रये हैं रे ।
नैनों लग रयी रमाने की धार, खोंड़ा में आकासवानी हो रयी रे।
पैंती चीरो भनेजा मोरे राम, पैंती चीर दई बारे परसा नें रे ।
खून छिरक रये भैसा खोंड़ा में रे, गइयें नारें तो दे रई मोरे राम ।
गौरी हरबारी ठांड़ी हो गई है रे, जब बोले मलनियां रे सांड़ ।
काय खों आ गये भैया खोंड़ा में रे, बोले ने परसा जा कहे रे ।
माता सुनले हमारी नोंने बात । कलेउ करवा दे जल्दी सें रे ।
हम गइयें चराबे वन जायं, उते से पौंचे वे बाखर में रे ।
फिर कर रये कलेबा मोरे राम, बोले नें सुअना जब समजावें रे ।
भैया सुनले रे धरम की बात, रमना देखें हम तो मुलकों के रे।
परसा बोले जा कहे रे, माई सुनियो मोरी बात ।
मोखों कलेवा जल्दी दे दे रे, बारा कुरैया रोटी बन गई हती रे ।

और तेरा तो बन गई ती दार, परसा तो भूंके रे गये ते रे ।
मांई सुन ले हमारी बात, अन ब्याही के दूद तो लिया दे।
ओकी खीर बना दे मोरे राम, लैकें कसेंड़ी चल भयी रे ।
अर गइयों पै पोंची मोरे राम, पाँच परकम्मां उन ने दे दये ।
और लटक छिये रे दोई पाँव, सत्त हमारे माता राखो ।
मोरी अरज है मोरे राम, गइयें लगा लई धर्मा साँवरी नें रे ।
फिर आ रई पोहर के रे दोर । खीर बनाई जल्दी से रे ।
जब टाठी तो परसी मोरे राम, खीर खांड़ खाकें परसा के रये ।
अब तो अफर गये मोरे राम, आज्ञा तो माता दे दे मोये ।
हम जावें मुलक परदेस, टप-टप अँसुआ रानी के गिर रये ।
नैनों में लागी है धार, पानों की चुलिया जैने लै लई है रे ।
अर बीड़ा लगा रई मोरे राम, जादू तो भर दओ है पानों में रे ।
जब मचला में धर दये मोरे राम, तुम पै जहाँ संकट पर जाबे रे ।
तुम बीरा तो खइयो मोरे राम, इते से तो परसा भैया चल भये रे ।
अपनी लयें हैं मुरलिया मोरे राम, सुअना को पिंजरा ले लओ रे ।
संगे लई है लुहांगी मोरे राम, गैयें निकारी जे ने खोंड़ा सें रे ।
जिनकी सोभा कही ने जाय, नौ सौ नवासी गैयें ठांड़ी हैं रे ।
जिनके संगे मलनियां रे सांड़, विराजन गैयां सोई जा रही रे ।
जब बोले नें रनियां मोरे राम, ये सुनो मोरी नौ सौ नवासी जा बात।
तोरे भरोंसे अब भनेंजा खों सोंपत हैं रे, मोरी सुनो मलनियां बात।
हिरदा जोगन अब तिल चाँवरी रे, जे तोरे सुपरत भनेंजा रे राम ।

जहाँ भनेंजा को पसीना गिर जेहै रे, उते मोरे खून की रे धार ।
वारो भनेंजा मोरो लाड़लो रे, आने कबउ ने लड़ी न्याव मोरे राम ।
हाँ नौ सौ नवासी सब के रये हैं रे, जैसो भनेंजा तोरो लगे रे ।
उसई हमाव मानो मोरे राम, तीन तिरवाचा धरमा हरा लयी रे |
ये बजर सिला खोल लियो मोरे राम, परसा तो पकरी बजर सिला रे ।
वा तो हिलचिल ने होवे मोरे राम, दाँतों पसीना ओंखों आ गओ रे ।
ठांड़ी तो धरमा नोने के रही रे, काहे खों मरद के जनमन लये।
कउ मोड़ी ने हो गय मोरे राम, इत्ती सुनके तो गुस्सा आ गई रे।
उतो रोस में भर गये मोरे राम, बजर सिला जा खोंड़ों की रे।
बजर सिला के दो टूंका हो गये रे, एक तो ट्रंका बारा पेड़ पै गिरो रे।
दूसरो बंगाले में पोंचो मोरे राम, हाँ-हाँ बजर सिला हुमस गई रे ।
हाँ हो ले कें सामान खोंड़ों पोंचो है रे, जे धरमी के रई नौ सौ नवासी सें मारे राम ।
जोन चरोखर तुमारे बरेदी चराउत रये रे, ओई चरोखर खों रे जाव ।
जोंन घाट के पानी पियत ती रे, ओई खों जइयो मोरे राम ।
परसा तो भीतर घुस गओ रे, उबेरत में डोबन पड़ा रे गब मोरे राम ।
बोले ने परसा जा कहे रे, मम्मां सुनो हमारी बात ।
कैंसे मुहरा हम पाहें रे, तेरा दिना तेरा रातें बीती मोरे राम ।
बोले ने डुमना जा कहे रे, मोरे अटुओं में गोड़े लगा ले मोरे राम ।
और घींच में कैंची दे दियो रे, गदबद दे दयी अब डुंमना नें रे ।
रात दिनां तो पड़ला मंजलें कर रहा रे, चार दिनों में मुहरा पा लओ मोरे राम ।
आंगू तो मुहरा जेने छेक लओ रे, नांय से पसारी इखट्टी हो गयी रे ।

गैयें तो बगरी जहाँ पड़ला बगर गव मोरे राम, सुक की मुरलिया परसा की बज रही रे ।
गावें छत्तीसई राग मोरे राम, धोये हैं चौंतरा बारे मम्मां के रे ।
जहाँ बैठो परसुआरे ज्वान, गैयें फिर प्यासी हो गईं रे ।
जमन झोर पै पानी तो पी रई मोरे राम, इते से परसुआ निंग चले रे।
झिरियो पै पोंचे मोरे राम, उते लमाने की बेटी बैठी हती रे ।
मोय पानी पिया दे मोरे राम, बेटी बोले जा कहे रे ।
मोरी सुनले अरज दीनानाथ, जल्दी फिरा दे मुगदर खों तुम ।
देखों तुमारे परताप, परसा ने मुगदर फिरा दये रे ।
इतें से परसा चल भये जहाँ गइयें तो चर रईं मोरे राम ।
नने की खाई गइयें प्यासी तो भई रे, उन नें नदिया की तो पकर लई रे गैल ।
बरेठा तो उते उन्ना फींच रओ रे, बारा तो कोस में मोरे राम ।
बारा कोस की तो अरे नदिया में, ओकी सुन रयी सुसकारी मोरे राम ।
बरेदी तो आओ रमना में रे, मोरी सुनले रे भैया नोंने बात ।
सामने के घाट भैया जैयों नें रे, इते से धुवनिया निंग चली रे।
बा तो लये है कलेबा मोरे राम, एक तो गदा पै रोटी धरें रे ।
एक पै दार धरें है मोरे राम, खेपें तो रीति ओंखों मिल रही हैं रे ।
और करिया काट गओ गैल, गैलों में तो आंखों कुसगुन हो रहे रे ।
उते सुसकारी सुनाये ने मोरे राम, नजरें तो परी जेंकी गयों पै रे ।
जिते बैठोंबरेदी मोरे राम, बोले ने धुवनिया जा कहे रे ।
मोरी सुनले बरेदी भैया बात, मोरो बरेठा का गओ रे ।

जब बोले रे परसा भैया ज्वांन, रात के उसनींदे सो रहे हैं रे ।
उनके उन्ना तो फिंच गये मोरे राम, नांय से धुवनियां भैया चली गयी रे ।
सिंल के पोंच गई मोरे राम, पाँच परकम्मा बारे बालम की रे ।
फिर ताने बिछौना मोरे राम, मोंमें से खून उनके बे रहो रे ।
जब लगी है रकत की रे धार, नांय से धुवनियां भैया चल भयी रे।
जेखों चलत लगे ने नोंने झेल, कौना देस भैया जनमन लये रे ।
हाँ तो है औतार, हम तो चरवे गइयों खों आये रे ।
प्यासे है बारा बरस खों आये रे, नांसें धुवनियां निंग चली रे ।
जेखों चलत लगे ने नोंने झेल, बा तो रोउत डीफत जा रही है रे ।
बा तो पौंची चमरा के मोरे राम, बोले ने धोवन जा समजावे रे।
लालस सुनले धरम की रे बात, नदिया पै बरेदी जब आओ है रे ।
तुमाये भैया खों नें डारे हैं मार मार के सुआ दये उनें पथरा पै रे ।
उते नाहर तो हो गये मोरे राम, कैसो वीर तो आ गओ नदियो पै रे।
मोरे बीरन खो डारे हैं मार, पैरा दउ पनैयां जेखों नदिया पै रे ।
उपर सांत पटक दउं मोरे राम, गैलें पकर लई जे नें जल्दी से रे ।
जब ठांड़ी चमरिया मोरे राम, हांत जोड़ बिनती करों रे ।
स्वामी सुन ले धरम की रे बात, ऐड़ी महाउर मोरे छूटे तो नैयां रे।  
अर छूटे नइयां हरद के रे दाग, तेल की फरिया फाटी नहीं रे ।
तुम मरबे खों जा रये नदिया घाट, दरवाजों पै ठांड़ो हो गओ रे ।
जब बोले धुबनियां मोरे राम, लुआ गये लुगाई खों जब दरवाजें रे ।

भैया मर गव नदी के रे घाट, जेकी सुद नईयां दरवाजे रे ।
नांसे भनेंजा भैया चल रहे हैं रे, उनखों चलत लगी रे नैयां झेल ।
नीमा शहर की गैलें पकर लई रे, बो तो पोंचो नदी के रे घाट ।
गइयें उतर गईं जेकी नदियों सें रे, उतें ठांड़ी बरोनी मोरे राम ।
सुककी मुरलिया ओकी बज रई है रे, सुनवे में लग गव जब ध्यान।
परसा तो कूंदो जब नदिया में रे, पानी पडूले हो गये मोरे राम ।
बोले ने बेटा जा कहे रे, मोरी सुनियो बरोंनी नोंने बात ।
जेठा के दोंगरे अबे लों ने गिरे रे, काहे नदिया के पडूले हो गये नीर।
बोले ने बरौनी जा कहे रे, बैठे हैं नदिया बरेदी मोरे राम ।
बोले ने बेटी जा कहे रे, मोरी सुनले स्वामी रे बात ।
मैं संगे चलों रमना खों रे, फिर बोले रे परसुआ ज्वान ।
तुम बैठी रव ऐई नदिया पै रे, अर भजन करत रव मोरे राम ।
लौट कें हम भाँवरें पर हैं रे, तुमे ले चल हैं संगे मोरे राम ।
नांय से भनेंजा निंग रहे रे, अपनी लये हैं मुरलिया मोरे राम ।
आंगू तो परसा चल रहे रे, पांछू गइयें तो जा रयी मोरे राम ।
जल्दी से गैले ओंने पकरी हैं रे, बे तो चलत बिरोबर जांय ।
मैड़े तो उनने दाबे राजा भोज के रे, नांय सें भनेंजा चल भये रे ।
जीखों चलत लगे ने झेल, बगिया में तो गइयें ओंने पेंड़ी है रे ।
अर सो रये परसुआ ज्वान, छै मईना की नींद जैकी लग रयी रे ।
उते जादू चला दये मोरे राम, खाई खुई गई आठ हांत की रे।

ओ में मगरा रहे हैं अतरांय, नींदे जब खुल गईं परसुआ की रे ।
तो फिर ये बगीचा घेरउ घेर, सबरो बगीचा उनने घेरो है रे ।
मनो गैले मिली तो नइया मोरे राम, बोले ने मलनिया जब समजावे रे।
बेटा सुनले धरम की नोंने बात, मोरी पीरा तुम पांठे देखियो रे ।
आड़ों गिर रव है मलनियां रे सांड़, नौ सौ नवासी गइयें कड़ गईं रे ।
आंगू इयें तो चर रई मोरे राम, सुक की मुरलिया इनकी बज रही रे ।
फिर सो रये परसुआ ज्वान, राजा भोज ने चढ़ाई कर दई रे ।
उनकी तुबकें तो चल रई मोरे राम, गोली तो रिमझिम रिमझिम गिर रही रे ।
घेर गइयें तो ठांड़ी मोरे राम, दुरगा भवानी छत्तर तानें हती रे।
सबरी तुबकें बचा लयी मोरे राम, दुरगा तो ठांड़ी जे की रमना में रे ।
उनने ठांड़े कर दिये परसुवा मोरे राम, तुम हांत फरेरे अपने कर लेव रे ।
तो ये है लुहांगी मोरे राम, ठूंसा तो जेखे लग जांबे रे ।
सोई तुरतई तो कढ़ जायें प्रान, जब बोले परसुआ रे ज्वान ।
छिरियें हांक ले अब जल्दी से रे, इते गइयें बैठे है मोरे राम ।
बातों में बतबड़ हो गई रे, बतबड़ में बाड़ी है रार ।
उनखों आ गई फरूरी मोरे राम, ठूंसा तो मारो वारे परसा ने रे ।
दोई मर गये तला की रे पार, सुमरें भुवानी अपने मम्मां की रे। भै
या सुन ले धरम की जा बात, बुकरा तो लै ले तुम जल्दी सें रे ।
बे तो बुकरा चढ़ा दये मोरे राम, बंदी है टोरियें बोरे बुकरों की रे ।
जहाँ बैठे है गड़रिया मोरे राम, बांदी है चुटइयें जे ने जल्दी सेंरे ।
आड़े धर दयेतला की रे पार, बोले ने लोदन जब समजावे रे।

सुन ले बरेदी भैयां बात, कौना देश जनमन लये हैं रे ।
राजा को हांती ठांड़ों हतो रे, नांय सें भनेंजा चल भवो रे ।
सामूं राजा तो पोंचे मोरे राम, उठा लई लुहांगी जेनें हांती खों रे ।
जब बोले नें राजा मोरे राम, तुमखों दामांद बनें हो रमना में रे ।
तुम हमखों बचन दे मोरे राम, बिटिया तो बुला कें जिनने रमना में रे ।
जिनकी पर रयीं हैं भाँवरें मोरे राम, चार भाँवरें जिनने पर लई रे ।
फैटा छोरें रमना में मोरे राम, गरो पकर लव ओनें जलदी सें रे ।
नांय से परसा तो पोंचे है रे, बे तो पौंचे तला की रे पार ।
गइयें तो पानी नोंने पी रहीं रे, बे तो आ गये गड़रिया मोरे राम ।
तला पें बातें जिनकी हो गईं रे, तुम तो मोरी सुनले बरेदी भैया बात ।
ओंटी तो गइयें अपनी हांकियो रे, तैंने कहाँ तो धरे हैं औतार ।
नाव तो बता दे माई-बाप के रे, बे तो बोले बरेदी मोरे राम ।
रोरी गाँव में जनमन लये हैं रे, उतईं धरे हैं औतार ।
बरा गाँव में रैत हैं, जब गइयें चरा रये मोरे राम ।
रमना तो जा रये जूनागढ़ अपने मम्मां छुटा बें मोरे राम ।
बोले नें लोंदन जा कहे रे, मोरी सुन ले बरेदी नोंने बात ।
कानों में कुंडल कैसे डोलें रे, देखों मोरे तरुकला मोरे राम ।
तोरी अर मोरी जोड़ी तो है रे, तुम पारों भाँवरें मोरे राम ।
सेवा तो करहों तोरी गइयों की रे, उनको गोबर तो डारों मोरे राम ।
बोले ने परसा जा समजावे रे, मोरी सुनले लुदनियां रे बात ।

तीन ब्याव तो अबे तक कर लये हैं रे, चौथे ने लोंदन जा कहे रे ।
मोरी ले परसुआ रे बात, पकरो तुमरिया मोरी तला सें रे ।
जब बन्द तो कर दयें मोरे राम, तुमरिया तो ओ की पकराई में ने आवे रे ।
बो तो हारो बरेदी मोरे राम, आन के ठांड़े हो गये रे ।
फिर बोले लुदनियां मोरे राम, भाँवरें तो पारी अब जल्दी सें रे ।
नातर बन्द तो कर दउ मोरे राम, परसा ने तो हामी भरी नैयां रे ।
बा तो ले गई पकर के मारे राम, थूबर कटाई जे ने सम्पनयाउ की रे ।
ओ खों नेंचे बिछा दई मोरे राम, ओ पें सुआ दये बारे भनेंजा खों रे ।
ऊपर कांटे तो डारे मोरे राम, सुआ तो फड़फड़ा रये पिंजरा में रे ।
ओ की सींक ने खुल गई मोरे राम, मड़िया में भुआनी बैठी हतीं रे ।
उनें चलत लगी रे नैयां देर, गैलें तो पकरी उन नें गोबर गाँव की रे।
उते पौंचीं भुंआनी मोरे राम, नींदे लगीं ती उनकी पलका पैरे ।
उन नें मारी थपरिया मोरे राम, तुम तो परीं हो अपने मिहलों में रे ।
साँकरे पर गये बरेदी मोरे राम, उनके टप-टप अँसुआ गिर रहे रे ।
उनके नैनों में लग रयी जा धार, खूब तो मैंने हटके हते रे।
मोरी आदी ने मानी रे बात, संगे तो लै लओ सबरो जादू रे ।
अर गदबद तो दे दई मोरे राम, अल्टी अर सूदी गिरदी खा रही रे ।
नैनों लग रयी रमाने की रे धार, पैरें की मुंदरी हांतों में रे ।
उन नें सुमरी शारदा रे माँय, असी मसान अर करुवा रे ।
अर भैरों लये हैं बुलवाय, चौसट जोगन जेनें बुंला लई हैं रे।

भैया भरे हैं उड़नियां मोरे राम, उल्टी तो सूदी गिरदी खा रयी रे ।
बा तो चील बन गई रे मोरे राम, भरी ती उड़ानें बारे रमाने की रे ।
ठाँड़ी हो गई तला की रे पार, बदले भेस जल्दी सें रे ।
उन नें ढूँढ़े भनेंजा मोरे राम, ढूँढ़े परसुआ नयीं मिले रे ।
बा तो बन गई डुगरिया मोरे राम, चार खूट की गड़ल टोरियें रे ।
जहाँ कनका है लोंदन मोरे राम, भनेंजा होय ने नगरी में रे।
मोरे टेरे से ऊतर देय, रानी तो खोरन – खोरन फिर रहीं रे ।
तो धरें है कारन भेस, टप-टप अँसुआ गिर रहे रे ।
नैनों लग रयी रमाने की रे धार, टेंकत गुटनियां धरमा की रे धार ।
टेंकत गुटनिया धरमा जा रही रे, ओ खों पर गई अवाजें मोरे राम ।
थूबर तो में की बारे परसा रे, ओनें गदबद तो दे दई मोरे राम ।
रानी पै जैसई नजरें परीं रे, उन ने छाती से लये हैं लगाय ।
पैलें तो भनेंजा के अँसुआ पोंछे रे, फिर ओली में धर लये मोरे राम।
सबरे तो कांटे ऐंचे हते रे, जब मुंड़ई पै फैरे नोंने हांत ।
कैंसे डरे हो बेटा रमना में रे, जब बोले भनेंजा मोरे राम ।
हार गये हम जादू में रे, ऐई तला की रे पार ।
बोले ने रनियां जब समजावे रे, मोरी सुन ले लुदनियां रे बात ।
छोड़ों तुमरिया जब जलदी सें रे, फिर आ गई लुदनिया मोरे राम ।
जादू की तुमरिया जे ने छोड़ी है रे, बातों ठांड़ी है लोदन मोरे राम ।

मछरिया बना दई जे नें जल्दी से रे, भैया ठांड़ी धर्मा साँवरी मोरे राम।
किलकिला बना दये बारे परसा खों रे, नेंचे बैठी मछरिया मोरे राम ।
किलकिला बन कें जे नें पकरी है रे, भैया ऊपर तो आ गये मोरे राम ।
जाकें पोंचे बारे मई के रे, चरनों गिर गई लुदनियां मोरे राम ।
कानों में कुंडल माता खूब लग है रे, जब मोरे तरूकला रे कान।
तोरी अरमोरी माता जोड़ी है रे, आके बैमाता ने डार दये रे आंक ।
तुम पारो भाँवरें बारे कीरत पै रे, जब ठांड़ी है माँई मोरे राम ।
ब्याव रचे हों बारे बीरन को रे, जब गाड़ी लुहांगी मोरे राम ।
मड़वा तो गाड़े लुहांगी मोरे राम, मड़वा तो गाड़े कीरत पैरे ।
जब बैठे भनेंजा मोरे राम, भाँवरें तो पर गईं जे की कीरत पै रे ।
बहू के संगे तो चल भई मोरे राम, परसा तो नांय सें भग लये हैं रे ।
बोलेने परसा जा कहे रे, माँई सुनले धरम की रे बात ।
तुमाई एक बहुरा बैठी रमना में रे, बातो राजा भोज के मोरे राम ।
अर एक बहुरिया बैठी है नदिया पै रे, तुम सबखों तो लिइयों रे बुलाय ।
एक बहुरिया जामन झौर के रे, जब चल रये परसुआ मोरे राम ।
मुरली तो सुक की बज रही रे, नोंने जा रये परसुआ मोरे राम ।
गइयें तो पाछे सें जा रहीं रे, उन जूनागढ़ की तो धर लई नोंने गैल ।
मंजलें करकें रात दिनां की रे, उन ने मेंड़े दो दाब लये मोरे राम ।
नौ सौ नवासी पड़ा भग लये है रे, इनकी गइयें तो छुटक रयीं मोरे राम।
इते सुक की मुरलिया बज रई मम्मां की रे, जहाँ बैठे रिछरिया मोरे राम ।

ऐरो तो सुनकें बारी मुरली को रे, बेतो मन में जो करें रे बिचार ।
मुरलिया तो टाँगी ती ओई खोंड़ा में रे, उतहई पिंजरा टाँगे ते मोरे राम।
बरसें जे बारा हो गई हैं रे, बे तो सुअना तो मर गये मोरे राम ।
खोंड़ा में नौ सौ नवासी गइयें हतीं रे, उनके अँसुआ टपक रये मोरे राम।
टप-टप अँसुआ जिनके गिर रहे हैं रे, उने नैनों लग रयी रमाने की रे धार।
नांय सें परसुआ नोंने चल भये रे, बे तो आ गये परसुआ मोरे राम ।
ओंटें खों गइयें अपनी कर लियो रे, मोरे बगरे पड़ेरू मोरे राम ।
बोले ने परसा जा कहे रे, तुम सुनो धरम की रे बात ।
मोरी तो गइयें अब लौट है नें रे, तुम तो पड़ला ले जाव मोरे राम ।
बत बड़ उनकी हो गई रे, बातों हो रयी है कुस्ती मोरे राम ।
चार पहर जे हो गये हैं रे, बे तो एकउ नें हारे मोरे राम ।
हारे नें रिछरिया जे के रमना में रे, बे तो सुमरें भुवांनी मोरे राम ।
बोले नें रिछरिया जा कहे रे, कौन देस जनमन लये कहाँ धरे हैं औतार।
अपने जीरा के भेद बता दे रे ? रोरी गाँव में जनमन लये रे ।
अर उतईं तो धरे रे औतार, हल्के में छोड़े बाप- मतारी रे।
मोरी माँई तो गई तीं मोरे राम, दूद पिया कें मोय फोहों के रे ।
मोखों पाले है पौहर के रे दोर, खबरें परी ती बारे मम्मां की रे।
उने ले गई ती बिड़नियां मोरे राम, कंकन बंदे है बारी रानी माता खों रे ।
धर्मा साँवरी ओके नाव, नौ सौ नवासी गइयें मोरे मम्मां की रे ।
जेई चर रई है गइयें मोरे राम, जा है मुरलिया मोरे मम्मां की रे।

टप-टप अँसुआ जिन के गिर रहे रे, नैनों लग रयी रमाने की रे धार । बाँ
य तो पकरी भनेंजा की रे, जब छाती से लये है लगाय ।
बोले ने परसा समजाके कहें रे, मम्मां सुनले धरम की जा बात ।
करो तियारी अब चलबे की रे, जब बोले रिछरिया मोरे राम ।
सौंप के हंकना जादूगरनी को रे, अपने पड़ा तो समारो मोरे राम ।
हंकना कमरा दे दये ते रे, अपने घर खों तो जा रये मोरे राम।
बांदे है कलेवा बिड़नियां ने रे, सब दिन निंग रये रिछरिया मोरे राम ।
लौट के पोंचे जेके दोर में रे, जब मिल गये रिछरिया मोरे राम ।
पान निकारे बारे भैया नें रे, मम्मां सुनले धरम की रे बात ।
तीन खूट तो पान गड़ईयो रे, जब एकई तो खइयो मोरे राम ।
पान तो गड़ा दये जे नें जल्दी से रे, नांय से भनेंजा चल भये रे ।
संगे हो गये रिछरिया मोरे राम, नौ सौ नवासी पड़ला हांक के रे ।
अपने घर की पकर लई दिनां की रे, बे तो पोंचे तला की रे पार ।
रिछरिया लौट कें पौंचे ते रे, जब ठांड़ी बिड़नियां मोरे राम ।
जेंने सुमरी चौसट जोगनी खों रे, उर सुमरे गुरैया नोंन देव ।
असी मसान अर करूआ तो रे, बे तो संगे कर दये पोहर के रे दोर ।
बनके चील बा उड़ रयी है रे, बा तो पौंची तला की रे पार ।
गैलों में जेने गइयें छेंकी हतीं रे, मुरका लई परसुआ रे ज्वान।
लौट के भनेंजा देखों रमना से रे, ठांड़ी हो गई उरबसी रे नार ।
पढ़-पढ़ ककरा जे ने मैके हैं रे, बे तो कर दये परवाने मोरे राम ।

इते खबरें परी हैं बारी रनियां खों रे, ओने बहुओं खों लई है रे समजाय।
सबरी पोंचो तुम रमना में रे, सबखों तो लियो रे उबरे ।
जादू बारी रानी को हतो रे, बो तो सबरो ले लव है मोरे राम ।
पकर के गैले देखों रमना की रे, सबरे जादू तो दये हैं रे लगाय ।
उरदा तो पढ़-पढ़ जे ने मैंके हैं रे, ठांड़ी हो गई है गोंखर मोरे राम ।
मम्मां भनेंजा उड़ गये हैं रे, फिर गइयों खों हांकी मोरे राम ।
कनका तो लोदन जब पोंची है रे, ओंने मेड़े तो दाबे मोरे राम ।
उतें पोंची है बिड़निया मोरे राम, रमना में जे नें छैकें डारे हैं रे ।
ओ से गइयें बिचक रईं मोरे राम, सब खों पारवाने के रमना में कर दये हैं रे ।
जब पौंची है भोजा मोरे राम, जब समजाई बैठी मिहलों में रे ।
फिर बिटिया पोंचाई मोरे राम, बिटिया पोंचा दई राजा भोज की रे।
नांय सें बहुरिया भग गई है रे, जिन खों चलत लगे ने नोंने झेल।
एक घरी के बीच में रे, फिर पोंची रमानों रे माँय ।
नौ सौ नवासी गइयें पोंची हैं रे, अपने जादू तो लये है लगाय ।
उरदातो पढ़ केंजेनें के तेरे, बा तो उठ गई गोंखर मोरे राम ।
मम्मां भनेजा दोई उठ गये रे, बे तो गइयें हांक रये मोरे राम ।
गैलें तो पकरी नीमा सिहर की रे, बे तो पोंचे नदी के रे घाट |
बिड़नियां तो भैया फिर कें पोंची रे, ओं से लड़ रये परसुआ जवान ।
नीमा सिहर की बिटियें आ गईं रे, बे तो लड़ गयीं बिड़नियां मोरे राम ।
नौ सौ नवासी गइयों खों उबेरी रे, बे तो पोंची बहुरिया मोरे राम ।

जामन झौर गइयें पोंच गई हैं रे, उते पोंची बिड़नियां मोरे राम ।
डारे हैं छेंका जे ने रमना में रे, बोले ने रनियां जा कहे रे ।
मोरी सुनले बहुरिया रे बात, जामन झौर पे छेंका डरे हैं रे ।
जब बिटिया लमाँने की मोरे राम, उठ के तो ठांड़ी हो गई है रे ।
सबरे अपने जादू तो ये हैं लगाय, दई की मटकिया जे ने धर लई है रे ।
इमरत छिटके रमानों में जाय, नौ सौ नवासी गइयें उबेरी हैं रे ।
अर पड़ला उबेरे मोरे राम, मम्मां भनेंजा दोई उठ भये रे ।
जब मम्मां सें रये हैं बतयाय, झेल नें तुम अब करियों रे ।
संगे चल रयी रमानों रे माँय, बिड़नियां तो पांछे जिनके चल रही हैं रे ।
बा तो चलत बिरोबर जाय, मजलें तो करकें रात-दिनां की रे ।
जब पोंचे परसुआ रे ज्वान, दंग रिछरिया सोई पोंचे हैं रे ।
बा तो पोंची बिड़नियां मोरे राम, दरवाजें वा अप्तर मड़रा रई है रे ।
जब ठांड़ी हो गई है रनियां मोरे राम, बोले रे रनियां जब समजावे रे।
वीरन ले-ले कमनियां रे हांत, कमनियां लै लई परसा ने रे ।
बातो चीलई रे बन गई मोरे राम, रानी तो बन गई कल्लू चील रे।
अर परसा खों रई हैं रे समजाय, कारी छोड़ कबरी मारियों रे ।
बे तो बानई चला रये मोरे राम, कबरी पै जेने बान छोड़े हैं रे ।
बा तो गिर गई धरन में रे जाय, संग तो छूट गये बारी बिड़नियां के रे ।
बे तो ठांड़े परसुआ रे ज्वान, खबास खों तुरतई जे नें बुलाये हैं रे ।
बे तो नगर बुलौवा दे दये मोरे राम, सज- बज के संगे हो रहे रे ।
तो पोंचे पोहर के रेदार, पूजीं भुंवानी जब खोंड़ा की रे।
सबरे देवतो लगाये नोंने होम, बस्ती के सब जुर रहे रे ।
बे तो कंकन छोरे रिछरिया मोरे राम, रमना पै के बाँस कटाये हैं रे ।  
लयीं छेवले लकड़िया भगवान, बाड़ई खों तुरतई बुलाये ते रे ।
जब मड़वा तो दये हैं डरवाय, जब पारी भाँवरें मोरे राम ।
चारई बउओं के ब्याव हो रहे रे, जब कंकन तो छोर मोरे राम।
कंकन छूटे बार परसा के रे, जब हो रयी आनंदी मोरे राम ॥

शोध एवं शब्द विन्यास – डॉ. ओमप्रकाश चौबे 

धरमासांवरी लोक गाथा परिचय 

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