Devi Ki Baithaken देवी की बैठकें

Photo of author

By admin

बुन्देलखण्ड में गाँव -देहात मे साप्ताहिक या मासिक Devi Ki Baithaken होती रहतीं हैं । पूजा के समय किसी व्यक्ति के सिर देवी आती हैं, इसी को देवी की बैठक बैठना कहते हैं। बैठक बुलाई भी जाती है । ये बैठकें होली, दिवाली और नवरात्रि पर तो अवश्य ही होती हैं, क्योंकि इन्हीं दिनों तांत्रिक अपने यंत्रों को सिद्ध करते और जगाते हैं। जब किसी को देवी भरती हैं, तो वह अपने को बिल्कुल भूल जाता है । इस समय देवी ही उसके शरीर में प्रवेश कर लेती हैं और लोगों के प्रश्नों का उत्तर देती हैं – ऐसा लोक विश्वास है।

इस क्षेत्र में मनसिल बाई, बेड़िनी बेटी, नटनी, भुवानी, कालिका मइया, बीजासेन मइया, घटौरिया, भैंसासुर, ठाकुर बाबा, कारस देव, नाहरसिंह, नाथ बाबा, सिद्ध बाबा, दूधिया बाबा, सवैया बाबा, मसान, पीर, भियाराने, गौड़ बाबा, बरमदेव आदि कितने ही देवी-देवता हैं, जो लोगों के सिर आते हैं। ये सभी जाति विशेष के देवता हैं, किन्तु अन्यजाति के लोग भी उनको मानते और पूजते हैं।

आज आधुनिक कहे जाने वाले शिक्षित वर्ग में देवी-देवताओं के पूजन में श्रद्धा और आस्था का क्षरण तो हुआ है, लेकिन आज भी बुन्देलखण्ड के गाँवों में ही नहीं, शहरी क्षेत्रों के परिवारों में भी विवाह आदि मांगलिक अवसरों पर देवी-देवताओं का पूजन परम्परागत तरीके से होता है ।

उनके मन के कोने में वही आदिम भय कुलबुलाने लगता है कि अमुक देवी-देवता की पूजा न करने से कहीं कोई अनिष्ट न हो जाये । इस आदिम भय से सदियों बाद भी वह निजात नहीं पा पाया है और इसी आदिम मानसिकता के चलते इस वैज्ञानिक युग में भी देवी-देवताओं का वर्चस्व बना हुआ है, जो लोक संस्कृति की अविच्छिन्न धारा प्रवाहित करने में अपना योगदान दे रहे हैं ।

कहना न होगा, ये देवी-देवता अपने गर्भ में न जाने कितनी संस्कृतियों को, पूर्वजों की गौरव गाथाओं का  सच तो यह है कि विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा-उपासना बुन्देलखण्ड की लोक संस्कृति की आत्मा है। पीढ़ी दर पीढ़ी से चले आ रहे ये देवी-देवता बुन्देलखण्ड की माटी से इतने एकाकार हो गये हैं

रक्कस बाबा -बुन्देलखण्ड के लोक देवता 

Leave a Comment

error: Content is protected !!