Bundeli Shabdkosh बुंदेली शब्दकोश

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Bundeli Shabdkosh का संक्षिप्त परिचय है। बुन्देलखंड की भाषा  की वह मिठास, संस्कृतिक शब्दों का सयोंजन एवं सरस्ता की पराकाष्ठा और साथ-साथ शब्दों का सौंदर्य जो जनमानस के व्यवहार मे झलकता है। उस शब्दकोश को आप सब तक पहुंचाने की एक कोशिश है।

बुन्देलखंड के बुंदेली शब्दकोष Bundeli Dictionary

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अ/आ  

आइयो – आइयेगा।

अकाज – बुरा काम।

अकती खेलना – लड़कियों द्वारा अक्षय तीज का त्योहार मनाना।

अंकुरिया – गट्ठे।

अगन-अग्नि – हाजमा शक्त, मार्गशीर्ष।

अगाने – तृप्त होना।

अगनाई – आँगन।

अंगोट – मार्ग रोकना, अधिकार करना।

अघाना – तृप्त होना।

अघाके सांस लेना – आह भरना।

अचै लेना – भोजन के बाद हाथ धो लेना।

अछीती – अक्षय।

अटकर – अटकल।

अटकें खांगे – अटक जाने पर।

अटा-अटारी – दुमंजिला मकान।

अठाव – शैतानी।

अड़कें – हठकर।

अडुआ – मूर्ख/हठी।

अतरारी – छत पर की आड़ी लकड़ी।

अधपर – अनाधार/बीच में।

अथांह – गंभीर/जलाशयादि।

अथाई – गाँव की खुली बैठक।

अदिन – बुरे दिन।

अँदयारो – अंधेरा।

अधेला – आधा पैसा।

अनमनें – उदास।

अनारी – शैतान ऊधमी।

अनार – अठाव, शौतान।

अनुआ – दोष/अपराध/बहाना।

अनोय – उपाव।

अनोई – उद्योगी/कार्य कुशल।

अन्तस – भीतर/हृदय में।

अन्त – अन्यत्र/अन्य।

अन्होंनो – अनोखा।

अपुन – आप, श्रीमान।

अपौंच – पहुँच के बाहर।

अफरना – पेट भरना।

अफाज – अपाहिज।

अबाई – आगमन।

अबै – अभी।

अबिरथाँ – व्यर्थ।

अभर – गर्व।

अमी – अमृत

अमरौती – अमृत।

अमल – व्यसन।

अजान/अयान – अज्ञान।

अरथी – चिता।

अरवत/अरैउत – रस्सी बाँधकर कुएँ में उतारना ।

अरैंनां – रस्सी बाँधकर कुएँ में उतारना।

अरै कौ परौ – बेगार टालना।

अरझो – उलझन।

अलफ – संकट/अल्पायु में मृत्यु, मौत टालना।

आखत – चावल/अक्षत।

आगम – भविष्य।

आदौ – अदरक/अर्थ।

आँदू – लगना/मदांध होना।

आधान – गर्भ।

आबरदा – उम्र।

आसरौ – सहारा।

आँसना – खटकना।

आरौ – दीवाल मे वस्तु रखने का स्थान/आला।

आसों – इस वर्ष।

इतै – इधर ।

इकारौ – इकहरा/दुर्बल शरीर का ।

इयै – इसे ।

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उ/ऊ

उअत – उदित होना ।

उकास – अवकाश ।

उकार पछाड़ – बड़ा उद्योग।

उगंैयाँ – अँगुलियाँ ।

उगरियाँ – अँगुलियाँ।

उगारे – नंगे बदन, उगेरना, उघारना ।

उजार – उजाड़ ।

उतार – ढाल ।

उतै – उधर ।

उदना – उस दिन ।

उनें – उन्हें/उनको ।

उनजस/उनार – अनुहार ।

उन्हार/उन्हवाह – अनुहार ।

उपारी – उखाड़ी ।

उबारना – मारने को हथियार उठाना/पार लगाना ।

उबीनों – उदास/फीका ।

उयै – उसे ।

उयें – उदित होने पर ।

उरइयाँ – सबेरे की धूप ।

उरानें – उलाहनें ।

उसारे – दालान ।

ऊ – वह ।

ऊसई – अकारण, वैसे ही ।

ऊरई – उदित हो रही ।

ऊले पार – उस पार ।

ए/ऐे 

एकठिया/एकठौल/एकठया- एक ।

ऐंगर – समीप ।

ऐंचना – खींचना ।

ऐंचातानी – खींच -तान ।

ऐझरा – बयान ।

ऐंडान – अंगड़ाई लेना ।

ऐंन – खूब/बखूबी/भरे हुए गाय के थन ।

ऐले पार – इस पार ।

ओे/औै

ओई – उसी।

ओड़ना – सहना ।

ओंगन – चक्के में लगाने के लिए तेल में भिंगोई रूई आदि ।

ओंदाना – ओंधा देना/उलटना ।

ओली – गोद ।

औखद – दवा।

औखाद – हिम्मत/शक्ति/सन्तति ।

औलें – उदरन/रेखाएँ ।

क – के लिए के अर्थ में एक प्रत्यय यथा जाँयक (जाने के लिये) ।

कक्का-कक्इया – चाचा-चाची ।

ककरा – कंकड़ ।

कँखयाएँ – बगल मे दबाये/नाम धातु काँख शब्द से बनी क्रिया ।

कगदा – कागज ।

कचरना – कुचलना ।

कचैरी – कचहरी ।

कचैरी/कचैर – विवाह मे गहनों के साथ चढ़ाये जाने वाली चूड़ियाँ।

कछोटा – स्त्रियों द्वारा परिश्रम का कार्य करते समय लगाई

गई काँछ/कच्छा ।

कजरा – काजल ।

कजरौटी – काजल रखने का पात्र ।

कटाछनें की – निर्णायक लड़ाई/बातचीत ।

कटा करना – मार-काट करना ।

कटाछन – कटाक्ष ।

कठला कंठी – काँच के दानों का हार ।

कड़ना – निकलना ।

कड़के – श्रेष्ठ।

कडै़आ – कण।

कंदेला/कंधेला – मुख खुला रखकर स्त्रियों का धोती ओढ़ने का एक ढंग।

कनाव – किनारा कसी।

कबीला – परिवार/कुटुम्ब-कबीला।

कभऊ – कभी

कमल – हृदय/एक फूल।

करकसा – दुष्ट स्त्री।

करवा – मिट्टी का टोंटीदार पात्र।

करतूत – कारनामा।

करौंटा – करवट।

कलपें – दुःख पाना।

कलकान करना – परेशान करना

कसकना – खटकना।

कहना – कहाँ।

काड़ना – निकालना।

कातीं – कहतीं।

कारिन्दा – मुख्तार।

कानें – कहना।

कालोनी – दाल-भात, शकर, घी और बड़ा मिलाकर बनाया गया खाद्य।

कितेक – कितना

कितनऊं/कितेकऊ – कितना ही।

कुचाल – दुष्टता।

कुची – चाबी।

कुठिया/कुठैला – अनाज रखने का मिट्टी का बड़ा पात्र।

कुठौर/कुठैया – बुरा स्थान।

कुबेरा – देर/कुसमय।

कुप्यारे – प्र्रेम वंचित।

कुमरगढ़ा – वह गडढा जहाँ से कुम्हार मिट्टी खोदकर लाते हैं।

कुरा – अंकुर।

कुरैया – घर छाने की लकड़ी।

कूँड़ी – चैडे़ मुख का मिट्टी का पात्र।

कूत-खाँद – ज्ञान/जानकारी।

केतारथ – कृतार्थ।

केंड़ा – सूत की पिण्डी।

कइयां – आधा पाव घी या तेल नापने का मिट्टी का पात्र।

कइयक – कई एक।

कैंयां – खड़े- खड़े गोद में लेना।

कैलौ – मटके के नीचे का आधा भाग जिस पर मैंदा के माड़े बनाये जाते हैं।

कोंडीला – कोड़ी जैसे श्वेत चिन्ह का साँप।

कोते – बदले में।

कोद – तरफ।

कोंप पै – विकास की ओर/बाढ़ पर।

खता – फोड़ा।

खरा – चोखा/शुद्ध/खरगोश।

खसम – पति।

खातिर – निमित्त मान।

खोटा-रव्वाटा – बुरा/अशुद्ध।

ख्यालत-खेलत – खोलता है।

ख्याप खेप – एक बार में जितने घड़े पानी आयें।

खितयारे – किसान।

खिसयाना – नाराज होना।

खुदन्त – कुचलना।

खैला – गट्टा/काले रंग का हृष्ट-पृष्ट छोटा बैल।

खोंग – खोखला।

खोबा – अंजली भरकर/खोया दूध का।

गटा – आँख की पुतली।

गट्टा – छोटा बैल।

गदियां/गेदरी – हथेली।

गडडी – छोटी गाडी।

गरदा – धूल

गरदी – भीड़

गरयार – कामचोर बैल/बैठने वाला बैल।

गहनों/गानों – आभूषण।

गाहिर/गहीर – गंभीर।

गाड़ौ – बड़ी गाड़ी।

गड़ली – छोटी गाड़ी।

गारी गुप्ता – गाली गलौच।

गा – गया।

गाँसना – फाँसना।

गिरस्तीवारे – गृहस्थ।

गिरूआ – गेहूँ की एक बीमारी।

गिरैयां – जानवर बांधने की रस्सी।

गुइयां – सखा, सखी।

गुनियाँ – झाड़-फूंक करने वाला।

गुलचा – मुट्ठी में बंधी तर्जनी या अंगुष्ठ का गाल पर प्रहार।

गुसइयाँ – स्वामी/महात्मा/गुरू।

गंेवड़ों – ग्राम का वह समीपवर्ती मैदान जहाँ लोग टट्टी फिरने जाते हैं।

गैल – राह।

गैलारौ – पथिक।

गों – दाव/वारौ/लाभ/सुविधा।

गोऊ – गेहूं।

गोंत-गिलाऔ – नाबदान आदि की गन्दी कीच।

गोरी – सुन्दरी/गोरे रंग की स्त्री।

घटिया – मार्ग की चढ़ाई।

घतिया – चापेट।

घनेरी – घनी।

घरियाँ – स्वर्णकार का धातु गलाने का पात्र।

घाले घबा न घलना – असफल होना।

घलना – मारना।

घारौ – ढोलक आदि का ढांचा।

घिंची घोच – गरदन।

घुल्ला – शक्कर धातु या मिट्टी का घोड़ा/जिस शरीर में देव आता है।

घूंघट – मुखाच्छादन।

घैला – छोटा घड़ा।

घ्याला – घैला का बनाफरी रूप।

घोरूआ घोरना – काम में देर लगाना।

चइयां मइयां – बच्चों का चक्कर खाने का खेल।

चकरी – लम्बी/श्रावण मास में खेलने का एक लकड़ी का गोल खिलौना।

चपिया – चैड़े मुख की छोटी मटकी।

चबाई – शैतान।

चलाव – गौना।

चांड़े रहना – तैयार रहना/बुरे कामांे के लिए उद्यत।

चात – चाहत है।

चाना – चाहना।

चाय – चाह।

चाब खाना – शान्त रहना।

चावें – चाहते हैं।

चिनारी/चिन्हारी – पहचान/अभिज्ञान/परिचय/स्मारक वस्तु।

चिहारी – वेदना से तड़पने की आवाज

चीता – एक हिंसक जीव।

चुपाना – चुप रखना।

चुखैला – जिस बैल ने गाय का खूब दूध पिया हो।

चुक्का – भूल।

चेंथरी चढ़ना – मस्ती आना।

चोला – देह।

चैगिरदां – चारों ओर।

चौंरी – चमर।

छटिया – बाँस का पात्र।

छटैया – छड़ी।

छमाका – बिछियों की आवाज।

छेंकना/छ्यांकना – राह रोकना।

छांयरी/छुयारी – छाया।

छिनारौ – व्यभिचार।

छिनारिन – व्यभिचारिणी।

छुटिया/छूटा – काँच का कण्ठ-भूषण।

छैयाँ – छाया।

छैला – सजा हुआ जवान।

छोबा – छेड़खानी।

जबर – मोटा/शक्तिशाली।

जती – तार खींचने का औजार।

जबरई – जबरदस्ती।

जाना जनना – पैदा करना।

जाँ – जहाँ।

जामिन – यामिनी का अपभ्रंश/रात।

जाँगे – जँघा।

जाँगा – जगह।

जिदना – जिस दिन।

जियन/ज्यौरिया – जीवन सूत्र।

जीरा – दिलमन एक मसाला।

जुड़ाना – शान्ति पाना।

जूजना – जूझना/लड़ना।

जेलना – जुताई का एक प्रकार ।

जोरा – रस्सी/जोड़ा/युग।

जोबन/जुबन – जवानी/स्तन।

जौलौं – जब तक।

जौआँ – कहू आदि के छोटे फल।

झक मारना – विवश होना।

झमँ – मूर्छा

झाड़े जाना – पखाना फिरना।

झाँम देना – भय दिखाना।

झिँकना – खिँचना।

झिन्ना – झरना/पतला।

झींकना – खींचना।

झूमर – छत की सजावट के लिए लटकाने की वस्तु

टटांेना – टटोलना।

टन्ना जाना – बच्चों के जोर से रूदन में आवाज का रूक जाना।

टांको – दाग।

टिकली – स्त्रियों के भाल का काँच का गोल भूषण।

टिक्का – याद।

टिया – अवधि।

टोंका/ट्वाका – शैतान लड़का।

टुइंयाँ – तोता।

टेंकना – पकड़ना।

टैया – बड़ी कौड़ी।

टोरना – तोड़ना।

टोंने टुनई – पेड़ का अग्र भाग।

ठकुर सुहाती – मुँह देखी।

ठट्टा – हँसी मजाक।

ठठरी – मुर्दा ले जाने की काष्ठ शिविका।

ठबेरना – जबरन देना/गले बांधना।

ठांका – बन्दूक की आवाज।

ठँंसना – डाँटना।

ठोकना – पीटना।

ठोड़ी – ढुड्ढी, हनु।

डटा – अड़ा/सजा हुआ।

डटैयाँ लगाना – छिपकर देखना।

डबला – छोटा घड़ा।

डरैया – डाल।

डारिया – मिट्टी का तीन-चार फुट ऊँचा जल पात्र।

डँाग – घना जंगल।

डिठूला – नजर बचाने के लिए भाल पर लगाया गया काजल का निशान

डीठ – दृष्टि।

डील – शरीर का ढाँचा।

डेरौ – वाम, प्रतिकूल।

डोला – एक प्रकार की पालकी जिस पर पर्दा पड़ा होता है।

डण्डौत बिलैयां – खुशामदें।

ढड़कना – ढुलकना।

ढारें – कर्ण भूषण।

ढ्वारा – ढोर का बनाफरी रूप/पशु/मूर्ख/कण।

ढिंग – किनारी/गोबर से प्रागण लीपते समय श्वेत या पीली

मिट्टी की किनारी बनाना धोती की किनारी।

ढिरिया – सूत कातने का एक काष्ठ यन्त्र।

ढूँकना – झाँकना

ढोलक/ढुलकिया – वाद्य विशेष।

ढोंग – दंभ।

ढोर – पशु/गंवार।

तइ – वहीं

तइया – जलेबी ढालने की कड़ाही।

तकना – देखना।

तखरी – तराजू।

तनक – थोड़ा।

तरवा – पद तल।

तनाजा – दुश्मनी।

तरैंया भरना – रूँआसे होना।

तसला – गारा देने का लौह पात्र।

तसीली – तहसील।

तँबुआ – तम्बू/वितान।

ताँ – तहाँ।

ताकना – देखना।

तारे – ताले।

तारी – ध्यान।

ताँसे – अड़ब्बी वाद्य विशेष।

ताली/तलैया – लघु तड़ाग।

तिजारी – तीसरे दिन आने वाला ज्वर।

तूदा – सीमा विभाजक पत्थर या मिट्टी का चिन्ह।

तैइँ – तू ही।

तौर/त्वार – तेरा।

त्योरस – गत या आगामी तीसरी वर्ष।

थापना – स्थापित करना।

थिति – परिस्थिति।

थुनी थुमियाँ – लकड़ी का स्तम्भ।

थोंद – तोंद।

थुन्दवारौ – तुन्दिल।

दई,दईया – दधि/ईश्वर/विधाता।

दचका, दच्चा – धक्का।

ददोरा – मच्छर काटने का चिन्ह।

दबकी – गले में लटकाने योग्य सुराही।

दर्रा – मारे जाना/बेरोक टोक जाना।

दरेरना – ढकेलना।

दसकत – हस्ताक्षर।

दहड़ियाँ – दही जमाने का पात्र।

दानों – दैत्य।

दाँयने बायें – इधर -उधर।

दालान – गैलरी/खुला पक्का कमरा।

दिखैना – दर्शनीय/प्रदर्शन।

दिखनोंस – देखने का इच्छा।

दुआभाँती – भेदभाव।

दुआरी – दुहरी/मोटी देह।

दुका/द्वाका – छिपा।

दुगई – मकान्र के आगे का छपरा।

दुता – चुगुलखोर।

दुपर – दोपहरी।

दुबैया – दुहने वाला।

दूद – दूध

दूनर – दुहरा/दो तह में।

दूबरे – दुर्बल।

देई – देवता/देवी-देवता।

दोक – लगभग दो।

दोना – दुहना।

दोंना – द्रोण/पत्तों का पात्र।

दौंनैंया – द्रोण/पत्तों का पात्र

दोला – द्वितीय श्रेणी मे।

दौरी – दुहरी।

धन/धनैंयाँ – स्त्री/धनुष।

धाई – दौड़ी/दुहाई

धिरकाल – धिक्कार।

धुन्धकना – जलना/भुनना

नजीक – पास/नजदीक।

नतैत – नातेदार/सम्बन्धी।

नदारौ – निर्वाह।

नवेंनी – नम्र/लल्जाशील।

नाँगा – नंगा/धनहीन।

नाँद – पीतल का जल पात्र/टब।

नाँय की माँय – इधर की उधर।

निचोना – निचोड़ना।

निउरना – झुकना।

निकासना – झुकना।

निधा – निगाह/दृष्टि।

निगना – चलना।

निठई,निठुअई – बिल्कुल ही।

निनुरना – सुलझना।

निनोरना – सुलझाना।

निबाना – निर्वाह करना।

निबल – निर्बल/कमजोर।

निरावना – अपनी सुन्दर वस्तु का प्रदर्शन ।

निरोंना – नमूने की वस्तु।

नियारे – अलग।

नीरें – समीप।

नींदना – उगी हुई फसल में से घास निकालना।

नेंग – दस्तूर/विवाहादि संस्कारों में दिया जाने वाला उपहार।

नों – तक/लों/नाखून।

नोंनों – अच्छा भला।

नेनूं – नवनीत/मक्खन।

पइया – चक्र/पैर/गाड़ी आदि का चक्का ।

पउआ – पाव-सेर का बाँट/एक की चैथाई संख्या का पहाड़ा

पचमेर – पाँच प्रकार की मिठाई।

पटा फेरना – बरबादी/विनाश करना/खेत में लकड़ी का पाटा फंेरना

पठवा – नदीं किनारे की प्रस्तर भूमि।

पतभाँत – लल्जा/लाज/मान/इज्जत।

पतयाना – विश्वास करना।

पतरी – पत्तल/दुर्बल।

पतरौ – पतला।

पनइयाँ – पन्हैयाँ/जूतियाँ।

पनघटौ – अपमान।

पपीरा – चातक/सीटी।

पबारना – उभेरना/बलात् किसी वस्तु को देना।

परना – लेटना, पड़ना

परवो करना – लेटा करना।

परपच – छल।

परछा – दही बिलोड़ने की मटकी।

परचना – सुलगना।

परवायरे – एक ओर/अतिरिक्त।

परवाई/परवारी/परवाही-कुश गडढ़ा खोदने का लोहे का हथियार।

परसना,छूना – परोसना।

पराई उरिया सेना – दूसरों के सहारे रहना।

पराव – दूसरे का।

परलै – प्रलय।

पाखो – पक्के गृह की चैड़ाई की दीवाल।

पारूआ – पहरेदार।

परैला – गर्रा बैल।

पारौ – घड़े को ढंकने का मिट्टी का पात्र/पहरा देना।

पायक – सेवक।

पाऔ – खँभा।

पाये – पाऔ का बहुवचन/खंभे।

पिछौरी – चादर।

पिड़ी – रस्सियों से बिनी चैकी।

पियराना – पीला पड़ना।

पीतन पड़ना – कठिनाई होना।

पीराई – पीलापन।

पुरवाना – भरवाना।

पुरेती – पुरोहिती।

पुसाना – पसन्द आना।

पुतरिया – गुड़िया।

पेट खौ घूटे नबना – स्वजनों का पक्ष लेना।

पेंड़े परना – पीछे पड़ना।

पेरना – परेशान करना/कष्ट देना।

पेंनी – तेज।

पैल – प्रथम।

पोथन्ना – ग्रन्थ।

पौना – पुहना/गूंथना।

पांेचाना – चतुश्शाल/भवन का प्रवेश गृह/निवास स्थान का प्रवेश गृह।

पँछी – पक्षी।

पुँगरिया – पोली नली/नाक का भूषण।

फच्चा – पिछडा।

फना – धोती को उठाकर किसी वस्तु के रखने योग्य स्थिति में करना।

फराकत – निवृत्त

फरिया – ओढ़नी/लड़कियों के ओढ़ने का वस्त्र।

फरकती – हिसाब चुकता करना।

फादिल – अतिरिक्त।

फीचना – धोना।

फुनगुनियाँ – फुन्सी।

फुलवा – फूल

बओ – बोया-बहा।

बबाई – बोने का काम।

बउ – वधू/पितामही/आजी।

बउत जाना – बोते जाना/बहते जाना।

बखरी – आंगन/सदन/मकान।

बकौटो – बुक्का/एक हाँथ की अंजलि भर।

बघेला – बाघ/सिंह/एक जाति क्षत्रिय।

बखेड़ा – झगड़ा।

बड़के – बढ़ कर।

बतकाव – बातचीत।

बनकें – बनइकें/बन-बन के वर्णरूपेण।

बनता – उन्नति वदाव।

बनक/बन्न – रचना प्रकार।

बन्दवारौ/बंधवारौ – गठीला।

बमकना – कूद पड़ना।

बरयानी – बिगड़ी हुई।

बरीना – स्वप्न देखना।

बरत – जलती हुई।

बरकी – बची।

बरकना – बचना

बरा – उड़द जिसे दही या मट्ठे में भिगोकर खाते हैं

बरोठा – रसोई।

बसना – रहना।

बसीकत – बस्ती।

बहू – वधू/पुत्र या अनुजादि की स्त्री।

बाबर – लकड़ी की वस्तु के छिद्र भरने के लिए लकड़ी के टुकडे़

बावरौ – पागल।

बाँदना – बाँधना।

बारौ – बच्चा।

बार – बाहर/देर।

बाँय – बाँह।

बाँको – सुन्दर।

बिआरौ – बेड़ा/झाँकरों से बनाया गया घेरा।

बिआना – पैदा हुआ।

बिकाउ – बिकने के लिए प्रस्तुत।

बिगरैला – बिगड़ा हुआ।

बिदना/बिधना – फँसना/ईश्वर।

बिदैना/बिदोना – बाँधना फंसाना।

विधगत – भाग्य की बात।

बिदरदिन – वेदर्द/ठोर स्त्री।

बिंदिया – भाल भूषण।

बित्वारी – बिनती।

बिन्नू – लड़की/बेटी/ननद/बहिन।

बिबूचन – अड़चन/उलझन।

बिलोरा – परेशानी/मचाव/मथना।

बिरछा – पेड़।

बिसाना – खरीदना।

बीदना/बीधना – फंसाना।

बीरन – भाई/बीर/सुन्दरी।

बुकरिया – बकरी।

बुजना – बुझना/भरना।

बुधे – फँसे।

बूझना – पूँछना।

बेजारी – बीमारी।

बेवारी – व्यवहारी/अन्य विरादरी के।

बेला – बड़ा कटोरा/पृथ्वीराज की लड़की।

बेराँ – समय

बेबाँडां – अव्यवस्थित।

बेंड़ी – विचित्र।

बैया – ननद या दादी

बोट – गंगाजली।

बंटाढार – विनाश।

व्यान – पश/प्रसव।

व्याव – विवाह।

भकुरना – नाराज होना, रूठना।

भखन – भक्षण।

भरन – गर्व भरने का ढंग।

भरमना – भ्रम/गर्व।

भाका – भाषा।

भाव खेलना – देवता सिर पर आना।

भँजाना – दांव निकालना/बड़े सिक्के के बदले में छोटे सिक्के लेना।

भियाने – सबेरे।

भीत – दीवाल।

भुमानी – देवी/भवानी।

भुनसारौ – सूर्यादय के पूर्व की बेला।

भेंट भलाई – मुलाकात।

भोर – सवेरा।

भोत – बहुत।

महना – मास।

मइकों – उसी ओर।

मइँया – में।

मजा मारना – मौज करना।

मंजयाना – घूर लेना/मध्य के पार करना।

मतारी – माता।

मथेलना – दबाना/मसलना/कुचलना।

मनचाई – इच्छित।

मसाकें – कठिनाई।

मसीली – माँसल।

महूमा – मोरचा।

माड़े – मैदा की पतीली रोटियाँ।

माँछी – मक्खी।

मांजना – साफ करना।

माँड़ – पके चावलों का पानी।

माँदू – मत्त।

मानस – मनुष्य।

माफक – सामान्य/अनुकूल।

माल – छत की लकड़ी/अच्छे भोजन/धन।

मिठयाकें – मधुरता के साथ।

मिठबोला – मधुर भाषी।

मिन्त – मित्र।

मिलकियत – जायदाद।

मींचना – आँख बन्द करना।

मिहिरिया – स्त्री।

मीरा – प्रथम/अगुआ।

मुतकौ – बहुत/काफी।

मूँड – सिर।

मेंनत – मेहनत।

मेर – मैत्री।

मेली – दोस्त/मित्र।

मेलना – फेंकना।

मोना – मोहित होना/घी तेल या पानी के साथ मलना।

मोरना – मुरकना/मोड़ना।

मोख – मोक्ष/बोने के बाद खेत के दोनांे सिरों पर दो-दो कूँड़ डालना

मौखाद – मुँह बानी।

याक – एक

याकों – इसे।

यार – दोस्त।

रईत/रउतई/रउती – रहता है/रहती है।

रकत – रक्त/खून।

रंगीचें – रेखायें।

रजउ – राजपुत्री/क्षत्रिय/पुत्री/प्रेयसी/नायिका।

रड़ना – रट।

रन्थभौंर – उपद्रव/मारकाट।

रनबन का होना – बरबाद होना।

रबार/रबा – स्वर्ण के सरसों जैसे दाने।

रब्बी – ताँसे/वाद्य विशेष/गेहूँ की फसल।

रस – प्रेम/प्रीति/रस/आनंद।

राई नौंन उतारना- नजर उतारना।

रात – रात्रि।

राना – रहना।

राय – राह सम्मति

राई भरौ – शिशु।

रिसाना – नाराज होना/भकुरना।

रीतौ – खाली।

रूँदता – खूँदना,कुचलना, घेरना

रूलना – बुरी तरह तोड़ना

रैजा – चोली/कचुकी/प्रजा।

रोरा – ईटों के टुकड़े।

रोताई – शान

रंज – दुःख/बीमारी।

लच्छन – गुण, दोष

लचर – लचर होना- कोमलता के कारण नरम।

लगवारे – पीछे लगने वाले, उकसाने वाले।

लटी – बुरी

लफाडे़ लेना – तेजी से आगे बहना।

लरकाइयाँ – लड़कपन।

लरैयाँ – लड़ने को उद्यत।

लला – बेटा/देवर।

ललाना – तरसना, इच्छुकहोना।

ललौंना – बनाफरी बोली मे लड़का।

लाग – भोजन का सामान/सीधा।

लाक/लाख – लायक, योग्य।

लानें – लिए।

लिबौआ – वधू या कन्या को लेने के लिए आने वाले व्यक्ति।

लीलना – निगलना।

लुआना – ले जाना।

लुकना – छिपना।

लुरकी – लटकी।

लुहरी/लुहुरी – छोटे भाई की स्त्री।

ल्वा जाना – ले जाना

ल्वाटा – बानाफरी बोली में लाटा।

वारौ – उवारा/उआरौ- गा/सुविधा लाभ का/सुभीते का।

सइये – सहिये।

सई – सही।

सकरी – संकीर्ण।

सकात – डर जाना।

सटना – पटना/निर्वाह होना।

सठयाना – बुद्धि बिगड़ना।

सनकिया – प्याली।

सनाका – सन्नाटा।

सपील – गृह की लम्बाई की दीवाल।

सबरौ – सब

सपोले – सपेहुआ/साँप के बच्चे।

सबरत्ता – सरी रात।

साक – गवाही।

साका – यश।

समरकें – संभल कर।

ससरें – ससुराल में।

सरली – मुरली।

साजौ – अच्छा।

सातर – तेज/ पक्का।

सादू – साधू।

सानी – अनाज भूसे आदि को भिगोकर बनाया गया पशु खाद्य।

सांस – दरार।

सांसऊ – सचमुच।

संदवा देना – चुनवा देना।

सिन्नी – मिठाई।

सिट्टाचारी – शिष्टाचार/खुशामद।

सिंयन – सिलाई।

सिरें – श्रेष्ठ।

सिलबिल्ला – वेशऊर/अनजान।

सिराकें – ठण्डा करके।

सीरे – ठण्डे।

सीके – सीखे, शिक्षा ली।

सीके – दूध-घी के पात्र रखने के लिए रस्सी या तार के बने लटकन।

सींतन – सिलाई करने में।

सुगम – सरल।

सुक – सुख।

सुन्दरी – सुन्दर/सुधारी गई।

सुगरी – सुधरी/शुभ घाड़ी।

सुगर – चतुर।

सुगरा – चतुर।

लुघर – चतुर।

सुफलई – चमक-दमक।

सूरत – होश/स्मृति।

सुस्ते

सूज – सुई।

सूजना – सूझना/दिखाई देना, शरीर मे वरम आना।

सोकें – पाल पोशकर।

सैलानी – घुमक्कड़।

सोंज – साझा।

सोस – शोच

सोक – शौक

संकल्प – दान की प्रतिज्ञा।

स्यात – कदाचित् संस्कृत का तत्सम रूप।

स्वासा – साँस।

स्वाहा – सर्वनाश।

हरजाई – दुष्ट स्त्री।

हड़रा – हड्डी।

हनके – जोर से।

हनना – मारना/शिथिल होना।

हमाए – हमारे।

हरबेरी – प्रत्येक बार

हरवारे – किसान

हरयाना – हरा-भरा होना।

हलकी – छोटी/लुहरी/अनुज्ञा।

हाँते – हाथ के चिन्ह जो मंडप पूजने के समय विवाह में लगाये जाते हैं।

हालई – अभी-अभी।

हाल दिनन – आज कल।

हिरकना – पास आना।

हिराना – खो जाना।

हिलाना – धँसाना।

हिलोर – तरंग।

हुनगारू – बाढ़ पर।

होनी – भवितव्य।

हौल – होश।

 

संदर्भ-

बुंदेली लोक साहित्य परंपरा और इतिहास – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त

बुंदेली लोक संस्कृति और साहित्य – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त

बुन्देलखंड की संस्कृति और साहित्य – श्री राम चरण हयारण “मित्र”

बुन्देलखंड दर्शन – मोतीलाल त्रिपाठी “अशांत”

बुंदेली लोक काव्य – डॉ. बलभद्र तिवारी

बुंदेली काव्य परंपरा – डॉ. बलभद्र तिवारी

बुन्देली का भाषाशास्त्रीय अध्ययन -रामेश्वर प्रसाद अग्रवाल

श्री गुणसागर शर्मा ‘सत्यार्थी’ जी के मार्गदर्शन मे

डॉ.रामशंकर भारती जी के मार्गदर्शन मे

श्री विनोद मिश्र ‘सुरमणि’ जी के मार्गदर्शन मे

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