Maharani Roop Kunvar महारानी रूप कुंवर- बुन्देली फाग साहित्यकार 

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Maharani Roop Kunvar चरखारी नरेश महाराज मलखान सिंह की पत्नी थी। इनका जन्म संवत 1933  में हुआ था। इन्हें 75 वर्ष की आयु प्राप्त हुई थी। महाराज मलखान सिंह स्वयं एक अच्छे कवि थे। इसलिए महारानी रूपकुंवर को काव्य रचना करने का अनुकूल वातावरण प्राप्त होता रहा।

यद्यपि महारानी रूप Maharani Roop Kunvar ने अपने वैधव्य काल में भजन माला के लिए भक्ति रचनाये लिखी हैं किन्तु उनकी फुटकर फागें अत्यन्त रागमयी है। होली विषयक उनकी फागें इतनी सहज हैं कि जनमानस के अधरों पर क्षण मात्र में उतर आती है। 

खेलन फाग बिहारी ब्रज में, खेलत फाग बिहारी ।

गोपी गोप विसाखा ललता, संग हैं राधा प्यारी ।

अबीर गुलाल उड़ावत आवत, नाचत दै दै तारी।

एक ओर सब गोपि राधिका, एक ओर गिरधारी ।

सब गोपिन मिल पकर श्याम कों, राधे उड़ाई सारी ।

है। नख शिख से गहनों पहिरायों, कहैं श्यामली नारी ।

रानी रूप कुंवर सरनागत, ह्रदय बसहु मम प्यारी ।

बुन्देलखण्ड की फाग गायकी 

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