Bilavari बिलवारी – बुन्देली लोकगीत

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खेतों में किसान की बोनी के समय Bilavari बिलवारी गायी जाती है। इसे पुरुष ही गाते हैं- एकल या युगल। इस अवसर पर खेत में दाना बोने के समय श्रम का पता ही नहीं चलता। इन गीतों के विषय प्रकृति की सुनदारता का चित्रण, नारी के रूप का वर्णन और राम या कृष्ण-परक भक्ति-भावना रहे हैं।

बिलवारी विलंबित लय में अलाप भरकर गायी जाती है। यह ठीक है कि बिलवारी का गायन तालरहित और वाद्यरहित होता है। बिलंबित से मध्य लय में आकर बिलवारी के गायन की इति होती है। उसके स्वर प्रकार हैं- नी सा रे ग म गंधार कोमल।

जाय बसे परदेस पिया री मोरे, जाय बसे परदेश…..
कौना के हाँतों पाती लिख भेजों,
सो कौना के हाँत संदेश………..

सुअना के हाँत पाती लिख भेजों,
सो सारों के हाँत संदेश………

जब-जब याद पिया की आवै,
सो दिल मे उठत कलेश……….

मेरे पति परदेस में बस गये हैं, उनकी कोई खबर नहीं आती, मैं यहाँ उनके लिए परेशान हूँ। उनको कैसे खबर दी जाय, कैसे संदेशा पठाया जाये? तोते के द्वारा पत्र लिखके पहुँचाओ तथा सारस से उन्हें संदेशा पहुँचा दो। उनकी जब भी याद आती है तो मन बड़ा दुखी हो जाता है।

कौना हरे लये जाय हो घीरथ पै,
कौना हरें लंये जाय…….

कौना की जा बेटी, कौना की जा बहुआ,
कौन हरे लये जाये हो घीरथ पै……..

जनक की जा बेटी, दशरथ की जा बहुआ,
असुर हरें लंबे जाय हो घीरथ पै ……….

एक रथ पर कोई किसी स्त्री का अपहरण करके लिये जा रहा है। वह अपहरणकर्ता कौन है तथा किसका अपहरण करके ले जा रहा है किसकी वह बहू है, किसकी बेटी है तथा कौन लेकर जा रहा है? वह महाराज दशरथ की पुत्रवधू, विदेहराज जनक की बेटी सीता है तथा लंकापति रावण उनका अपहरण करके रथ में बैठाकर ले जा रहा है।

 बुन्देलखण्ड का लमटेरा 

 

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