Badam Desh बादाम देश-बुन्देली लोक कथा  

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By admin

सात समुंदर पार Badam Desh की राजकुमारी कौनऊ कारण बस धरती पे आ गई ती ऊतए एक राजा रत्तो। वौ बड़ौ प्रतापी उर बलवान राजा हतो। ऊके राज में कोनऊँ दुश्मन के घुसबे की हिम्मत नई होत ती। इतै उतै के चोर चबाई तौ दूर सै चौंकत ते उनकौ नाँव सुनकैं। चम्पा कैसे फूल उर अनार कैसी कली उनकी इन्द्र कैसी परी एक सुन्दर रानी हती। उर उनकैं एकई राजकुमार भये ते। वे राजा रानी खौं भौतई लालड़े हते। जो कछू बे सुर्त करत ते राजा रानी उनें लयें ठाँढ़े रत्ते।

राजकुमार खौ शिकार खेलबे कौ भौतई शौक हतों जब देखौ जब हतयार लये उर घुरवा पै चढ़े जंगल में भटकतई रत्ते। एक दिनाँ वे शिकार खेलबे के लानें जंगल में बिलात दूर कड़ गये। भूके -प्यासे हारे-थके एक तला के किनारे एक घने पेड़े के छाँयरे में बैठकै सुस्तान लगे। तला कौ अच्छौ ठण्डो पानी पिये उर आराम सैं

ओई पेड़े तरे बैठ गये।

उन्नें देखौ कै तनक देर में एक धोबी की बिटिया आई उर ओई तला के घाट पै उन्ना फींचन लगी। वा उन्नन खौं पानी में बोर कैं ऊपर खौ फेंकत ती उर उतै सै उन्ना धुले धुलाये नैंचे आ जात ते। राजकुमार जौ तमाशौ उतै बैठे-बैठे बड़ी देर नौ देखत रये। उने बड़ौ अचम्भौ हो रओ तौ ऊबिटिया की कला देख- देख कै। वे ऊकी कला पैरीझ गये उर सोसन लगे कै कजन हमाओ ब्याव ई बिटिया के संगै हो जैय तौ ईकी जा विद्या हम सोऊ सीक जैय। ऐसी सोसत-सोसत वे सूदे राजमिहिल में भूके-प्यासे पर रये।

कर्ता कामदारन ने रानी नौ खबर पौंचाई कैं कुजाने की कारन सैराजकुमार भूके-प्यासे उर रिसाने परे हैं। सुनतनई रानी घबड़ा कै पौंची उर कन लगी कैं बेटा, ऐसी तुम पै का आफत आ गई कै तुम लाँगे डरे हों ? इत्ते बड़े राज में तुमाये लानैं का चीज की कमी है। हमें बताव, हम तुमें तुरतई मँगाय देत। अपनी मताई खै देखतनई राजकुमार फुसक-फुसक कैं कन लगे कै तुम तौ हमाव ब्यावऊ धोबी की बिटिया के संगै करा देव। जौन धोबी जंगल के बीच के गाँव में रत है।

रानी बोली कै बेटा तुम इत्ती सी बात के लाने रिसाने परे हो। अरे जौ तौ हमाये बाँयें हात कौ खेल है। हम मराज सैं अब्बई कत उर वे ऊ बिटिया खौं बुलवा कैं तुमाये सामैं ठाँढ़ीं करें देत। मताई की बात सुनकैं राजकुमार खौं धीरज बँध गओ, उन्ने अच्छी तरा सैं सपर खोर कै खाव पियो। उर तैयार होकै बैठ गये।

राजा ने सिपाइयँन सैं ऊ धोबी खौ बुलवाकै कई कै तुम अपनी बिटिया कौ ब्याव हमाये कुँवर के संगै कर दो। सुनतनई बोलौ कैं मराज कितै तौ हम धोबी सी जात उर कितै अपुन राजा-महाराजा। हम औरे तो आपके पेशादार आँय उर कऊँ ऐसौ हो गओ तौ हमाये सातपुरखा तर जैय।

मराज हम तौ कुँवर साव के संगै बिटिया कौ ब्याव करबे खौ तैयार है। तोऊ हमें तनक बिटिया सै तौ चर्चा कर लेंन दो। राजा बोले कैं तुम जाव उर बिटिया सैं सला करकै जल्दी जवाब दिइयौ। धोबी ने घरै जाकैं बिटिया सै पूँछी सोऊ वा बिटिया कन लगी कैं राजकुमार सै कईयौ कै वे पैलाँ बादाम देश की सैर कर आबै तबई उनकौ हमाये संगै ब्याव हो पैय।

धोबी ने जाकैं राजकुमार खौ बिटिया कौ संदेशौ सुना दओ सुनतनई राजकुमार भोचक्के होकै रै गये। उन्ने तो ठान लई ती धोबी की बिटिया के संगै व्याव कराबे की। वे बिना सोसै समझै बादाम देश की खोज करबे पौचें। गर्मी कौ समय हतो सो घनों छाँयरौ देख कै एक बरगद के पेड़ै तरै दुपारी बिलमान लगे। उनें हँस के चैनुअन के चैचाबे की आवाज सुना परी। ऊ पेड़ै पै हंस-हंसनी के चैनुवा धरे ते।

उर एक करिया साँप कोनऊँ ना कोनऊँ चैनुवा रोजखा लेत तो साँप खौ देखतनई चैनुवा बुरई तरा सैं चैंचा परे उनकी चैचाहट सुनकैं राजकुमार की झबकी खुल गई, उर वे ऊपर कुदाऊँ हेरैं सोऊ उनें एक साँप चैनुवन कुदाऊ झपटत दिखानौ। राजकुमार सब समज गये उर उन्ने एक तरवार कौ वार करकै साँप खौ नैचे मार गिराब उर उयै ढाल तरे ढाँक कै धर दओ।

हारे थके हते सोऊ नींद आ गई। शाम के समय हंस उर हंसिनी उड़ कै आये उर नैचे परो एक मुसाफिर खौ देख कै उयै मारबे झपटे पर हंसिनी कन लगी कैं बिना सोसै समजै कोनऊ काम नई करो चइये। देखौ ई ढाल के तरै का धरो चौचन सै ढाल उगार कै देखी उर समज गये कै जेऊ साँप आय हमारे बच्चन खौ खालेत तो। ई बिचारे ने साँप खौ मार कैं हमाये बच्चन की रक्षा करी अपुन ईकौ कछू भलो कर सकत तौ जरूर करबूँ।

उन दोईयन सै राजकुमार ने कई कै जौ साँप चैनुवन खौ खाबे झपट रओ तो। हमें उनपैं दया आ गई उर हमने ई साँप खौ मार डारो। हंस उर हंसिनी बोले कै अपुन ने हमाये ऊपर भौत कृपा करी। हम कैसे ईकौ बदलौ चुका पैय। कछू हमाये लाने सेवा होय तौ बताव। राजकुमार बोले कैं हम तौ ऊसई आफत के मारै फिर रये। उन्नें पूँछी कैं ऐसी तुम पै का आफत आ गई। वे बोले कैं हम तौ बादाम देश की खोज करत फिर रये।

हंस-हंसिनी बोले कैं तुम फिकर नई करो हमने बादाम देश देखो है। हम तुमें उतै पौचा सकत। सुनतनई राजकुमार कौ मुरजानौ चैरा खिल गओ। हंस ने कई कैं तुम हमाई पीठ पै बैठ जाव, हम तुमें बादाम देश के दरवाजे नौ पौंचाय देत। राजकुमार पीठ पै बैठ गये उर हंस-हंसिनी उड़कै बादाम देश के दरवाजे पै पौंच गये। उर राजकुमार खौं दरवाजे पै उतार कैं कन लगे कैं देखौ हमाव जौ एक बार है। जब तुमें हमाई जरूरत परें सोऊ ई बार खौं जरा दिइयौ सोऊ हम तुमाये लिंगा प्रकट हो जैय। उर इत्ती कैकै वे उतै सै उड़ गये।

राजकुमार सात समुन्दर पार बादाम देश कुदाऊँ बढ़े। उन्ने तनक भीतर घुसतनई सिपाइयँन सै पूछी कै काय जेऊ आ बादाम देश। सुनतनई सिपाइयँन के पाँव पथरा के हो गये। राजकुमार सूदे मिहिल कुदाऊँ बढ़े उर पैरेदारन सैं पूँछी कैं का जेऊ आय बादाम देश कौ राजमिहिल। इतनी कतनई सबरे पैरेदार पथरा के हो गये। वे सूदे राजमिहिल में घुसकैं ऊबिटिया की अँगूठी रूमाल उर सारी पैचान के लाने उठा लई, उर बार जलाव सोई हंस-हंसिनी प्रकट हो गए। उनकी पीठ पै बैठ कैं वे सूदे ओई पेड़ के नैंचे पौच गए। जितै हंस-हंसिनी सै मुलाकांत भई ती।

फिर उनन सैं विदा लैकै वे अपनी राजधानी खौं विदा हो गए। उतै पौचतनई उन्नें कई कैं देखौ हम तुमाये बादाम देश हो आए उर उयै अंगूठी दिखाई। अँगूठी के देखतनई बिटिया के पाँव  पथरा के हो गए। फिर उन्ने रूमाल दिखाव सोऊ बिटिया कौ आँदौ शरीर पथरा कौ हो गओ। फिर उन्नें सारी दिखाई सोऊ वा बिटिया उड़ गई।

अब राजकुमार सन्न होकै रै गये। इत्ती मैनत करी उर कछू सार नई कड़ो। तनक देर में उने हंस-हंसिनी की खबर आ गई उन्ने तुरतई बार जलाव सोऊ हंस-हंसिनी उनके लिंगा उड़कै आ गये। राजकुमार ने उनें पूरी किस्सा सुनाई। उन्नें कई कैं तुम चिन्ता नई करो हम तुम्हें उतई लुआँय चलत। इत्ती कैकैं उने अपनी पींठ पै बैठार कै उड़त-उड़त उनें सूदे बादाम देश के राजमिहिल की छत पै उतारें।

उनें देखतनई धोबी की बिटिया बायरैं कड़ आई, उर बड़े आदर सैं उनें भीतर लुआ गई। खूब आदर सत्कार करो उर प्रेम सै ओई मिहिल में दो तीन दिना राखो उर फिर राजकुमार उयै लुआ कै हंस-हंसनी की पीठ पै बैठकैं अपनी राजधानी में आ गये। राजा ने बड़ी धूमधाम सैं उनकौ ब्याव करो उर राजकुमार ऊ धोबी की बिटिया खौं रानी बना कैं ऊके संगै सुख सैं रन लगे। बाढ़ई ने बनाई टिकटी उर हमाई किसा निपटी।

बुन्देली लोक ब्रतकथाएं 

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