अपने श्याम के गुन गाऊँ, गुन गाऊँ चरन चित लाऊँ, बहुरि न भव-जल आऊँ

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By admin

Apne Shyam Ke Gun Gaun
अपने श्याम के गुन गाऊँ।। टेक।।
गुन गाऊँ चरन चित लाऊँ, बहुरि न भव-जल आऊँ।। 1।।

चुन चुन कलियाँ मैं सेज बिछाऊँ, बगलन फूल भराऊँ।।
सेज सुरंगी पर पिया को पौढ़ाऊँ, करसे बीड़ा आर गाऊँ।। 3।।

हेत करके तरवा सोहराऊँ, करसों बिजना डुलाऊँ।। 4।।
मीठी मीठी बात करत पिया हमसों, सुनि सुनि के सुख पाऊँ।। 5।।

कहत ‘मुकुन्द’ पिया मिलें  हमसों, हँसि हँसि कण्ठ लगाऊँ।।

मैं अपने श्याम (श्रीकृष्ण) के गुण गा रहा हूँ। प्रभु के गुण गाने के साथ ही उनके श्री चरणों को अपने चित्त में इस भाव के साथ धारण कर रहा हूँ कि हे धनी! पुनः इसभाव-सागर में न आना पड़े ऐसी कृपा करना। कलियों को चुनचुन कर मैंने अपने पिया के लिए सेज बिछाई और बगलों में तरह-तरह के फूल भरे।

इस प्रकार की सुरंगी सेज पर पिया को बिठाया, तद्-उपरान्त पान-बीड़ा प्रभु को अरोगाया (खिलाया) बड़े प्रेम से प्रीतम के तरवा (पैरों) को सहलाया (दबाया) तथा हाथों से विजना (पंखा) डुलाया। बीच-बीच में पिया जी मीठी-मीठी बातें हमसे करते हैं, जिनको सुनकर मुझे अपार आनन्द की अनुभूति हो रही है। मुकुन्द स्वामी कहते हैं कि मुझ अंगना को मेरे प्रीतम मिले मैं बार-बार हँस-हँस के उनको कंठ लगा रही हूँ।

रचनाकार – श्री मुकुंद स्वामी का जीवन परिचय

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