तन तन दोऊ जने गम खावें करो फैसला चायें।
नायं बगोरा को मेडो है बड़े गांव को मायें।
माझ पारिया पै झगड़ा है तूदा फिरत बनायें।
कानूनगो जू कान सें लगकें सबको मंत्र बतायें ।
लाला बसी मानत नैयां नाबसाब समझायें।
फिरें खतौनी औ खसरा खां लाला जू कखयायें ।
हो गए हैं हैरान बिचारे कांलों किये बतायें।
अपनी लांच खाएबे कौं बे नायं की मायं मिलायें ।
गड्डी गाडे ढड़कत नयां ओंगन बिना लगायें ।
इनका मिनका धुनका बडकैं तिनैं वकील बनायें ।
मंगल टूडिया दुबे रबुदे फल्ले खां दबकायें ।
जिनकें नयां चून चनन को उनसे लाग मंगायें ।
झल्ले मोदी कनक ना देवे मोल बिसाकें खायें।
हो गए हैं हैरान विचारे कांनों किये बतायें ।
नंबरदार चतुर्भुज जू के हम कारिंदा आयें।
पंद्रा-सोरा दिन भय ईसुर द्प्टी जू खां आयें।
बड़े गांव और बगोरा की सीमाओं के बीच की पहाड़ी के संबंध में स्टेट अलीपुर के अधिकारियों तथा जिलाधीश हमीरपुर के बीच कुछ विवाद चल पड़ा था पहाड़ी पर अपना-अपना अधिकार सिद्ध किया जा रहा था इसी पर ईसुरी ने एक लंबी फाग लिखी थी जिसकी टेक इस जनपद के ग्राम पंचायतों में मूल मंत्र का काम देती है।