रीति-रिवाज संबंधी लोक-विश्वास Riti Riwaj Sambandhi Lok Vishwas किसी समाज की संस्कृति, परंपराएं, और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा होते हैं। ये सदियों से समाज में प्रचलित नियम, मान्यताएँ और अनुष्ठान होते हैं, जिन्हें लोग अपने जीवन में अपनाते हैं। इनका सीधा संबंध व्यक्ति के दैनिक जीवन, पर्व-त्योहार, विवाह, मृत्यु, जन्म और सामाजिक गतिविधियों से होता है। लोक-रीतिरिवाज और लोक-विश्वास मुख्यतः अनुभवों, सांस्कृतिक धारणाओं और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होते हैं।
1- विवाह के लोक-रीतिरिवाज और विश्वास
भारतीय समाज में विवाह के समय अनेक लोक-रीतिरिवाज और विश्वास निभाए जाते हैं। विवाह से पहले कुंडली मिलान और गुणों की गणना करना एक प्रमुख परंपरा है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि शादी के समय दूल्हा-दुल्हन को बुरी नज़र से बचाने के लिए काले धागे या काजल का टीका लगाया जाता है। विवाह के दौरान हल्दी और मेंहदी जैसी रस्में भी शुभ मानी जाती हैं। ये रस्में जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का प्रतीक मानी जाती हैं।
2- जन्म से जुड़े रीतिरिवाज और विश्वास
बच्चे के जन्म के बाद छठी और नामकरण संस्कार भारतीय समाज में महत्वपूर्ण रीतिरिवाज होते हैं। छठी के दिन बच्चे की कुंडली बनाई जाती है और उसका भविष्य बताया जाता है।
नवजात शिशु को बुरी नजर से बचाने के लिए काले धागे पहनाने और घर के दरवाजे पर नींबू-मिर्च बांधने का लोक-विश्वास बहुत प्रचलित है।
3- मृत्यु के लोक-रीतिरिवाज और विश्वास
मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार और श्राद्ध कर्म भारतीय समाज में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह विश्वास है कि मृतक की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए विशेष रीतिरिवाजों का पालन करना आवश्यक है। यह लोक-विश्वास भी प्रचलित है कि मृत्यु के बाद 13 दिनों तक आत्मा भटकती रहती है, इसलिए इस समय श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक होता है।
4- पर्व-त्योहार से जुड़े लोक-रीतिरिवाज और विश्वास
हर त्योहार के साथ अनेक लोक-रीतिरिवाज और विश्वास जुड़े होते हैं। जैसे, दीवाली पर लक्ष्मी पूजा करके घर में सुख-समृद्धि लाने का विश्वास है। होली के समय होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और इसे एक पवित्र अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है।
5- धार्मिक अनुष्ठानों के लोक-विश्वास
पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के समय विशेष नियमों का पालन किया जाता है, जैसे बिना नहाए पूजा न करना, या पूजा के समय साफ-सुथरे कपड़े पहनना। यह विश्वास है कि यदि आप विधि-विधान से पूजा करते हैं, तो ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
6- प्रकृति से जुड़े लोक-रीतिरिवाज और विश्वास
भारतीय समाज में प्रकृति से जुड़े कई लोक-विश्वास प्रचलित हैं, जैसे कि पेड़-पौधों की पूजा करना। विशेषकर तुलसी, पीपल और बरगद जैसे वृक्षों की पूजा करना शुभ माना जाता है।
बरसात का आना, बादल गरजना, और इंद्रधनुष का दिखना भी शुभ और अशुभ संकेतों से जोड़ा जाता है।
7- बुरी नज़र और इसके उपाय
लोक-विश्वासों में बुरी नजर से बचने के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं, जैसे घर के दरवाजे पर नींबू-मिर्च टांगना, बच्चों के माथे पर काजल का टीका लगाना, या काले धागे पहनना।
यह विश्वास है कि यदि किसी को बुरी नजर लग जाती है, तो वह व्यक्ति बीमार हो सकता है या उसके जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए नजर दोष को दूर करने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
8- सपने और उनका प्रभाव
लोक-विश्वासों के अनुसार सपनों का गहरा महत्व होता है। यह माना जाता है कि सपने व्यक्ति के भविष्य के बारे में संकेत देते हैं। जैसे सपने में सर्प या देवी-देवता का दिखना शुभ माना जाता है, जबकि आग या पानी से संबंधित स्वप्न अशुभ माने जाते हैं।
9- फसल कटाई के रीतिरिवाज
ग्रामीण इलाकों में फसल की कटाई के समय कई लोक-रीतिरिवाज निभाए जाते हैं। जैसे, फसल कटाई से पहले हल शुद्धि या भूमि पूजा की जाती है, ताकि फसल में वृद्धि हो और किसी प्रकार की आपदा न आए। इसके अलावा, यह भी विश्वास है कि फसल कटाई के समय कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण करने से बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।
10- नए कार्य की शुरुआत से जुड़े लोक-विश्वास
किसी नए कार्य की शुरुआत के समय शुभ मुहूर्त निकालने का प्रचलन बहुत पुराना है। यह विश्वास है कि शुभ समय पर शुरू किया गया कार्य सफल होता है और उसमें किसी प्रकार की बाधा नहीं आती। इसके अलावा, लोग कार्य शुरू करने से पहले नारियल फोड़ने या ध्वजा फहराने जैसे प्रतीकात्मक रीतिरिवाजों का पालन करते हैं, ताकि देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे।
11- यात्रा से जुड़े रीतिरिवाज और विश्वास
यात्रा पर निकलते समय विशेष लोक-विश्वासों का पालन किया जाता है। जैसे, यह माना जाता है कि यात्रा से पहले दही-शक्कर खाना शुभ होता है, क्योंकि इससे यात्रा सफल और सुरक्षित होती है। यह भी माना जाता है कि यदि यात्रा के समय कोई छींक दे, तो यात्रा टाल देनी चाहिए, क्योंकि यह अशुभ संकेत माना जाता है।
12- स्त्रियों के साथ जुड़े विशेष लोक-विश्वास
स्त्रियों के साथ विशेष लोक-विश्वास जुड़े हुए हैं, जैसे कि मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश न करना। यह माना जाता है कि इस समय स्त्रियाँ अशुद्ध होती हैं और धार्मिक कार्यों में भाग नहीं ले सकतीं। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को लेकर भी कई लोक-विश्वास हैं, जैसे ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि इसका बुरा असर शिशु पर पड़ सकता है।
13- धन और समृद्धि से जुड़े लोक-विश्वास
घर में झाड़ू को उचित स्थान पर रखना और शाम के समय झाड़ू न लगाना एक आम लोक-विश्वास है, क्योंकि ऐसा करने से घर से लक्ष्मी चली जाती है। दीवाली के समय लक्ष्मी पूजा करके घर के कोने-कोने को साफ करने और दीप जलाने का रिवाज है, ताकि घर में धन और समृद्धि बनी रहे।
14- रात और दिन से जुड़े लोक-विश्वास
रात के समय नाखून न काटना, बाल न धोना और कर्ज न लेना जैसे लोक-विश्वास समाज में प्रचलित हैं। इसका मुख्य उद्देश्य दिन और रात के बीच अंतर बनाए रखना और सुरक्षा को प्राथमिकता देना है। इसके अलावा, यह भी विश्वास है कि रात में पेड़-पौधों के नीचे नहीं सोना चाहिए, क्योंकि इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
लोक-रीतिरिवाज और लोक-विश्वास समाज की पहचान और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा होते हैं। ये विश्वास पीढ़ी दर पीढ़ी चलकर लोगों के जीवन को दिशा और सुरक्षा प्रदान करते हैं, और समाज में सामूहिकता और अनुशासन बनाए रखते हैं।
लोक विश्वास की जड़ें जब समाज में स्थायीत्व प्राप्त कर लेती हैं तब वे लोक-मान्यताओं में परिवर्तित हो जाती हैं। लोक मान्यताओं पर ही आधारित होते हैं हमारे रीति-रिवाज| यह समाज की संस्कृति व सभ्यता के साकार रूप होते है। इसी प्रकार बुन्देली लोक जीवन में रीति-रिवाज और मान्यताओं की अपनी अलग सुगन्ध है। मनुष्य जीवन में होने वाले सोलह संस्कारों में यह सम्बद्द रहती है।
शास्त्रों में वर्णित सोलह संस्कार बुन्देली लोक-जीवन में भी मनाये जाते है, किन्तु उनका मनाने का तरीका अलग है। अनेक निषेध भी है। 16 संस्कार इस प्रकार है।
1- गर्भाधान संस्कार 2- पुंसवन संस्कार 3- सीमन्तोन्न्यन संस्कार
4- जातकर्म संस्कार 5- नामकरण संस्कार 6- निष्क्रमण संस्कार
7- अन्नप्राशन संस्कार 8- चूड़ाकर्म संस्कार 9- वेदारंभ संस्कार
10- उपनयन संस्कार 11- कर्णवेधन संस्कार 12- समापवर्तन संस्कार
13- विवाह संस्कार 14- बानप्रस्थ संस्कार 15- सन्यास संस्कार
16- अन्त्येष्टि संस्कार
संदर्भ-
बुंदेली लोक साहित्य परंपरा और इतिहास – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त
बुंदेली लोक संस्कृति और साहित्य – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त
बुन्देलखंड की संस्कृति और साहित्य – श्री राम चरण हयारण “मित्र”
बुन्देलखंड दर्शन – मोतीलाल त्रिपाठी “अशांत”
बुंदेली लोक काव्य – डॉ. बलभद्र तिवारी
बुंदेली काव्य परंपरा – डॉ. बलभद्र तिवारी
बुन्देली का भाषाशास्त्रीय अध्ययन -रामेश्वर प्रसाद अग्रवाल