Homeबुन्देलखण्ड के साहित्यकारPandit Vinod Mishra “Surmani” पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि"

Pandit Vinod Mishra “Surmani” पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि”

Pandit Vinod Mishra “Surmani” का जन्म सांस्कृतिक नगरी दतिया में 22 जुलाई 1966 को हुआ आपके दादा पंडित नारायण दास शर्मा राजघराने के चित्रकार थे उनके बनाए अनेकों चित्र आज भी मंदिरों में मिल जाते हैं आपके पिता दतिया की ख्याति प्राप्त साहित्य और संगीतकार तथा पुरातत्वविद थे।

बुन्देलखंड के लोक वाद्य कचहरी के निर्देशक

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” ने अपने पिता से संगीत की शिक्षा ग्रहण की और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से वायलिन वादन में M.A. किया फिर आपने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद द्वारा संगीत प्रभाकर की डिग्री हासिल की। आपको वर्ष 1991 मैं सुर सिंगार संसद मुंबई द्वारा स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन में “सुरमणि’ की उपाधि से अलंकृत किया गया जिसे प्रख्यात बायोलिन वादक पंडित आर. पी. शास्त्री तथा प्रख्यात नृत्यांगना सितारा देवी ने प्रदान किया था ।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” द्वारा बुंदेलखंड की लोक परंपरा , लोक संस्कृति के लिए अनेक कार्य किये है जिसमें लोक परंपराओं पर आलेख एवं संगीत के कार्यक्रमों का प्रमुखता के साथ आयोजन करना है । आपके द्वारा निर्देशित लोक वाद्य कचहरी बुंदेलखंड के लोक वाद्यों पर केंद्रित विशिष्ट कार्यक्रम है जिसका प्रसारण आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से किया जा चुका है ।विनोद मिश्र अनेकों सम्मान लोक परंपराओं के संरक्षण हेतु प्राप्त हुए हैं आप लेखक भी हैं। पांच पुस्तकों का सम्पादन किया हैं और दो प्रकाशन हुए हैं।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” ने संगीत और साहित्य तथा लोक परंपराओं के वातावरण में रहकर  अपने जीवन का लक्ष्य कला संस्कृति और पुरातत्व का संरक्षण करना तय किया है। आप इंटेक दतिया चैप्टर के आजीवन सदस्य बनने के साथ दतिया अध्याय के सह संयोजक चुने गए बाद में आप कन्वीनर नियुक्त हुए। दतिया के इतिहास पुरातत्व और लोक कलाओं को समर्पित कार्यक्रम आयोजित कर आपने इस क्षेत्र में कार्य किया। आपने दतिया के पुरातत्व को युवा पीढ़ी विशेषकर छात्र-छात्राओं के मध्य पहुंचा कर  जागरूकता का कार्य किया ।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” ने जहां विरासत स्थलों का सर्वेक्षण किया वहीं जागरूकता के लिए अभियान चलाए आपने ग्राम दर्शन कार्यक्रम से ग्रामों की विरासत को पर्यटकों के सामने प्रस्तुत किया। कोरोना के समय में संगीत साहित्य एवं प्राकृतिक पुरातत्व पर वेबीनार आयोजित किए वही कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे लगभग 80 कलाकारों को राज्य शासन से आर्थिक सहायता दिलवाई ।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” को संस्कृति संरक्षण के लिए कार्य करने पर कई संस्थानों ने सम्मानित किया। आप अखिल भारतीय मधुकर समारोह का आयोजन  करते हैं जिसमें देश के अनेक विद्वानों का सम्मान किया जाता है । आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हैं चार पुस्तकों का संपादन किया है। संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश द्वारा चित्रकला पर आपकी पुस्तक शीघ्र प्रकाशित की जा रही है। बुंदेलखंड के  लोक वाद्यों का संरक्षण कर आपने लोक वाद्य बृंद समूह तैयार कर महत्वपूर्ण कार्य किया है।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” को बचपन से जल जमीन जानवर और जंगल से लगाव रहा हैं सो इनके प्रति संवेदन पूर्ण कार्य करते रहे है। गत 15 वर्षो से आप गुग्गुल के लिए कार्य कर रहे हैं. जिसमें सुजागृति संस्था मुरेना के लिए वृत्तचित्र तेयार करबाया साथ ही सेमिनार संगोष्ठी परिचर्चा आदि के माध्यम से गुग्गुल संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इस दिशा में आपकी एक पुस्तक बरगद का न्याय प्रकाशित हुई हैं। अभी अभी आपकी चित्र कला पर एक पुस्तक मध्य प्रदेश शासन ने प्रकाशित की हैं. आपको कई संस्थाओं ने सम्मानित किया है।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” द्वारा बुंदेली नाटकों में संगीत
1 – धर्मवीर हरदौल 2 – सुंदरिया 3- न्याय मुखरा बंदेलखंड 4 – नाटक जारी है 5 – वीर छत्रसाल 6 – राय प्रवीण 7 – केसर देई 8 – रानी गणेश् कुंवरि
पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” द्वारा की गई देश के प्रतिष्ठित मंचों पर वायलिन वादन की प्रस्तुतियां…..
1 – कल के कलाकार संगीत सम्मेलन मुंबई 2 – स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन मुंबई 3 – अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन महोबा 4 – रामलाल संगीत सम्मेलन झांसी।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” द्वारा लोक संगीत की प्रस्तुतियां लोक उत्सव…… झांसी, ललितपुर, गंजाम उड़ीसा, भोपाल, बेलूर तमिल नाडु , अल्मोड़ा उत्तराखंड, शिमला हिमाचल प्रदेश, लखनऊ बनारस, इलाहाबाद,उत्तर प्रदेश।

विनोद मिश्र द्वारा प्रस्तुत लोक वाद्य कचहरी की प्रस्तुतियां…
ग्वालियर, आगरा, भोपाल, झांसी महोत्सव, भारत पर्व गुना मुरैना शिवपुर भोपाल दूरदर्शन से प्रसारण आकाशवाणी ग्वालियर से प्रसारण फोर्ट ऑफ इंडिया दूरदर्शन के एपिसोड फोटो ऑफ दतिया में बादन।

पंडित विनोद मिश्र “सुरमणि” की प्रकाशित पुस्तकें….
बरगद का न्याय (नाटक)
बुंदेलखंड की माटी कला (आलेख)
बुन्देलखण्ड की लोक चित्र शैली चतेउर

संपादित पुस्तकें
सिजनार लिखनार
दतिया एकादश
डा.मानस विश्वास स्मृति ग्रंथ

पुरातत्व एवं इतिहास
श्री विनोद मिश्र ने दतिया की सांस्कृतिक पुरातात्विक एवं इतिहासिक विरासत के लिए संरक्षण एवं संवर्धन का काम किया है । आपके द्वारा दतिया की विरासत के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु अनेक संगोष्ठी विचार गोष्ठी व विरासत दर्शन कार्यक्रम किए गए छात्र छात्राओं के लिए जाने अपना दतिया कार्यक्रम का प्रारंभ किया आपने कोरोना काल में दतिया के लगभग 80 लोक कलाकारों शिल्पकारों को मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा आर्थिक सहयोग दिलवाने का कार्य किया।

संयोजक- भारतीय सांस्कृतिक निधि इंटेक दतिया
लोक कला प्रमुख- संस्कार भारती मध्य भारत
संचालक- संगीत गुरुकुल तथा मधुकर शोध संस्थान दतिया
संप्रति- प्रमुख शासकीय कला पथक सामाजिक न्याय दतिया
सम्मान……
जगनिक सम्मान महोबा विद्यासागर सम्मान दतिया 2011

चंद्र सम्मान दतिया 20 12 रामसेवक बुंदेली सम्मान डबरा 2013
कला ऋषि योगेंद्र बाबा सम्मान ग्वालियर 2014
सलिला साहित्य रत्न सम्मान उदयपुर 2014
हिंदी साजन सम्मान 2014
दतिया सरस्वती सम्मान 2014
हापुड़ श्री भोंदेलाल पाल सम्मान भांडेर 2015
चंद्रशेखर आजाद स्मृति सम्मान 2015
डॉ शंकर लाल शुक्ल साहित्य सम्मान 2015
विरासत सम्मान दतिया 2015
सावित्री देवी सम्मान दतिया 2015
काव्यश्री सम्मान झांसी 2015
राष्ट्रीय साहित्य सृजन शिखर सम्मान भोपाल 2016
महाराजा छत्रसाल गौरव सम्मान मऊसहरानिया 2016
हिंदी साधक सम्मान 2016
स्टेट बैंक दतिया संत कनहर दास सम्मान डबरा 2016
राधा मोहन जोशी सम्मान दतिया 2016
हिंदी महोत्सव सम्मान सेवड़ा 2016
विरासत सम्मान ललितपुर 2017
शब्द सर्जन समान सेवड़ा 2017
आंचलिक साहित्यकार सम्मान भोपाल 2018
कला संस्कृति सम्मान भोपाल 2018
अटल स्मृति सम्मान झांसी 2018
सारस्वत सम्मान झांसी 2018
यथार्थ स्मृति सम्मान झांसी 2018
उत्कृष्ट साहित्यक साधक सम्मान दतिया 2018
साहित्य लोक कोनी एकता सम्मान झांसी 2018
मैथिलीशरण गुप्त सम्मान दतिया 2018
कला रत्न सम्मान लखनऊ 2019
रवि आभा राष्ट्र चेतना सम्मान इलाहाबाद 2019
राधा गोविंद नागार्च स्मृति सम्मान वृंदावन 2019
ओरछा कबीर सम्मान दतिया 20 20

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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