Lakhanlal Yadav लखनलाल यादव

बुंदेलखंड की चारागाही लोक संस्कृति के सूत्रधार Shri Lakhanlal Yadav  ने अपनी परंपरागत लोक कला दिवारी पाई डण्डा Divari Pai Danda का प्रदर्शन भारत ही नही अपितु अनेक देशो में किया और सम्मान प्राप्त किया। बुन्देलखण्ड आदिकाल से अनेक लोक कलाओं को अपने हृदय में सजोय हुए उसका संरक्षण संवर्धन करते हुए, पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हुए,  आज भी लोक मानस के हृदय में बसी हुई है।

चारागाही लोक संस्कृति के सूत्रधार, बुंदेली माटी के लाल

बुन्देलखण्ड क्षेत्र के ऐतिहासिक शहर महोबा नगरी वीर भूमि के रूप में जानी जाती है। यहाँ के रणबांकुरे वीर आल्हा – ऊदल और और चंदेल नरेश परमार्दिदेव की वीरता यहां के  कण –कण मे है। हमारे बुन्देलखण्ड में सबसे अधिक लोक कलायें हैं। श्री लखनलाल यादव ने बचपन से ही संगीत में रूचि रखते हुये अपने बाबा श्री लच्छू यादव से लोक नृत्य दिवारी और पाई डण्डा सीखा था।  पिता श्री गुब्बे व माता श्रीमती बलिया जी का हमेशा प्रोत्साहन मिला जिसके कारण उन्हें कम समय में इन कलाओं को सीखने में महारत हासिल हो गई।

दिवारी पाई डण्डा पौराणिक लोक कला है जिसे द्वादर युग से भगवान श्री कृष्ण जी अपनी बाल अवस्था में अपने सखा मित्रों के साथ इन नृत्यों को किया करते थे। उनकी सोलह कलाओं में एक कला यह भी थी, तभी से उनके वंशज आज भी इस नृत्य को करते चले आ रहे हैं। वही परम्परा आज भी चली आ रही है ।

उत्सवों व त्योहारों में जब दिवारी, पाई डण्डे का प्रदर्शन जब होता था तो श्री लखनलाल यादव के दादा जी अपने कपड़े उतार निछावर करके वादक कलाकारों को दे देते थे व दर्शक खुशी में आकर रूपयों की निछावर लुटाते थे। जिससे श्री लखनलाल यादव का  मनोबल आगे बढ़ता गया और हमेशा त्योहारों उत्सवों मेलों में दिवारी पाई डण्डा (Divari Pai Danda)  का प्रदर्शन करने लगे।

बचपन में ही पिता जी के देहान्त हो जाने पर मन उदास रहने लगा पर माता जी के हमेशा प्रोत्साहन व दादा जी का सहारा मिलने पर कला को निरन्तर आगे बढ़ाते रहे। 1987 में महोबा के लोक कलाकारों ने एक आम गोष्ठी आयोजित की जिसमें साधनों के अभाव कलाकारों में अनुशासनात्मक एकसूत्रता और मंच प्रदर्शन योग्य क्षमता के अभाव पर चर्चा की और इस दिशा में प्रयास करने हेतु कहा गया और आपने योग्य उदीयमान कलाकरों को एकत्र कर एक लोक नृत्य दल का गठन कर उन्हें मंच प्रदर्शन हेतु प्रशिक्षण दिया।

1988 में नेहरू युवा केन्द्र हमीरपुर द्वारा दिवारी पाई डण्डा का प्रदर्शन किया जिसमें सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र व पुरूस्कार प्रदान किया गया। इसी सिलसिले हेतु श्री लखनलाल यादव ने उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद के उच्च अधिकारियों सर्वश्री हृदय नारायण श्रीवास्तव जी से लोक विधाओं की चर्चा की आपकी  बातों को सुनकर 1988 में उन्होंने माघ कुम्भ इलाहाबाद में “चलो मन मंगा यमुना तीर” के कार्यक्रम में दल को आमंत्रित किया जिसमें दिवारी पाई डण्डे का प्रदर्शन किया गया।


इसी दौरान लखनऊ जाकर सांस्कृतिक विभाग के उच्चाधिकारियों सर्वश्री डी.पी. सिन्हा, इन्दु सिन्हा एवं अरविन्द सहाय जी से और उ. प्र. संगीत नाठक अकादमी के सचिव सर्व श्री वी.वी. श्रीखण्डे व श्री सुभाष मिश्रा अशोक बनर्जी से तथा लखनऊ दूरदर्शन जाकर श्री रघुवीर कोतवाल जी से भेंट की और दिल्ली जाकर श्रीमती सीमा तिवारी व किरन चन्द्रा से बात की और सभी से सहयोग का अनुरोध किया।

बुन्देली लोक नृत्यों के प्रदेश व प्रदेश से बाहर मंच प्रदर्शन के लिये बड़े उत्साह के साथ तैयारी की और अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित होकर तन-मन-धन से परिश्रम किया इसी सिलसिले में कई जगहों तथा ग्रामों में जाकर लोगों से मिलकर लोक संस्कृति से अवगत कराया उन्हें पूर्ण जानकारी दी।

दिवारी पाई डण्डा के अलावा बुन्देलखण्डीय और भी जो नृत्य है उनको देखकर अपने दिलों दिमाग पर बैठाकर जैसे ढिमरयाई नृत्य कछयाऊ नृत्य रावला नृत्य राई नृत्यों के कलाकारों से मिलकर शिक्षा पाई और उदीयमान कलाकारों को इन नृत्यों का प्रशिक्षण देकर प्रदर्शन भी कराये।

इस दल से चुने गये कलाकारों द्वारा संस्कृति विभाग लखनऊ दूरदर्शन लखनऊ व उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी लखनऊ व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद दिल्ली व नेहरू युवा केन्द्र हमीरपुर शासन के आमंत्रण पर जिले प्रदेश व प्रदेश के बाहर बुन्देलखण्ड के  लोक नृत्यों में दिवारी पाई डण्डा, राई नृत्य, ढिमरयाई नृत्य, लोक गीतों के कार्यक्रमों को किया गया।
वर्ष 1988 में उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी लखनऊ द्वारा देहरादून राजपुरा में कार्यक्रम
वर्ष 1988 में नन्दादेवी मेला अल्मोड़ा,
वर्ष 1988 में हिमांचल प्रदेश कुल्लू,
दिसम्बर 1988 कुम्भ पर्व, इलाहाबाद
वर्ष 1988 में दूरदर्शन लखनऊ
जनवरी 1989 उत्तर प्रदेश पर्व त्रिवेन्द्रम केरल
जनवरी 1989 माघ मेला इलाहाबाद
जनवरी 1990 गणतंत्र दिवस
लखनऊ दिसम्बर 1991 प्रदर्शनी मेला इटावा
जनवरी 1992 गणतंत्र दिवस समारोह भोपाल
फरवरी 1993 सूरज कुण्ड मेला हरियाणा
वर्ष 1994 में प्रदर्शनी मेला अलीगढ़
वर्ष 1994 में मऊरानीपुर जल विहार मेला
वर्ष 1988 से 1993 तक बुन्देलखण्डीय लोक नृत्यों के जिले प्रदेश व प्रदेश सेवा कर मंच प्रदर्शन किये गये जिसमें मेरी अत्यधिक सराहना हुई।
15-08-95 को उ.प्र. संगीन नाटक अकादमी लखनऊ द्वारा राजभवन लखनऊ में लोक नृत्य दिवारी पाई डण्डा प्रस्तुत किया गया जिसमें उ.प्र. के महामहिम राज्यपाल जी श्री मोतीलाल बोरा व उ.प्र.  सरकार की मुख्यमंत्री माननीय सुश्री मायावती जी ने श्री लखनलाल यादव की  काफी सराहना की।

मंच प्रदर्शन करते हुये कलाकारों की एक बैठक बुलाई गई जिसमें एक समिति के नाम से स्थापना करने का निश्चय किया गया और श्री लखनलाल बुन्देलखण्डी लोक नृत्य समिति टिकरीपुरा महोबा के नाम से 17-10-95 को सहायक रजिस्ट्रार फर्म सोसायटी चिट्स उ.प्र.  झॉसी के कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करवाया गया।

07-02-96 से 09-02-96 तक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद उड़ीसा, राज्य में जगन्नाथ पुरी में लोक नृत्य के कार्यक्रम किये व इसी केन्द्र चित्तौड़गढ़ दीपेश्वर मेला ग्राउण्ड बॉसवाड़ा लक्ष्मन मैदान छूगरपुर में लोक नृत्य दिवारी पाई डण्डा व राई नृत्यों का मंचीय प्रदर्शन हुआ जो बेहद सराहा गया

उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी लखनऊ द्वारा हमीरपुर के गर्वमेन्ट इण्टर कालेज में दल द्वारा ढिमरयाई लोक नृत्य की प्रस्तुत हुई जिसमें मैंने नाटय रोल किया जो बहुत सराहा गया चूंकि ढिमरयाई नृत्य को भी मैंने अनुभवी गुरूवों द्वारा सीखा था। वर्ष 1997 में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग लखनऊ उ.प्र.  सरकार गीत नाटक योजनाके अर्न्तगत निर्देशालय लखनऊ में साक्षात्कार कलाकरों का हुआ जिसमें गीत नाठक नृत्य में अच्छी भूमिका निभाई जिससे उ.प्र.  सरकार सूचना विभाग लखनऊ में दल का पंजीयन शासन की नीतियों के प्रचार प्रसार हेतु किया गया।

बुन्देलखण्ड लोक उत्सव दिल्ली में श्री गंगा ख्रण राजपूत सांसद द्वारा सप्रू हाउस नई दिल्ली में लोक नृत्य दिवारी पाई डण्डा व लोग गीतोंकी प्रस्तुतियों की गई। आल्हा महोत्सव कमेटी द्वारा पालीटेक्निक ग्राउण्ड महोबा में 7-3-97 को लोक गीत व लोक नृत्यों की अनूठी प्रस्तुतियाँ हुई जिस पर प्रसन्न होकर जिलाधिकारी महोबा द्वारा श्री लखनलाल यादव को  पुरूस्कार व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

संस्था के  रजिस्ट्रेशन के बाद एक भवन किराये पर लिया गया था व बाहर के दौरे भी करने पड़ते थे क्योंकि हमारी बहुत सी कलायें लुप्त होती जा रही है उनको प्रकाश में लाने के लिये बुन्देलखण्डी लोक संस्कृति से अवगत कराने हेतु लोगों को जानकारियाँ भी देना जरूरी हो गया था। बाहर से कलाकार बुला कर उन्हें प्रशिक्षण देकर लोक  संस्कृति को जीवित रखने का पूरा पूरा प्रयास किया।

1-4-97 मे दिल्ली मे लोक नृत्यों का साक्षात्कार हुआ जिसमें दिवारी पाई डण्डा, ढिमरयाई, भावनृत्य, कॉच नृत्य, कृपाण नृत्य, राई नृत्य आदि कराये गये। इन सभी लोक नृत्यों का निर्देशन श्री भानु भारती दिल्ली में आडोटोरियम में करा रहे थे इन लोक नृत्यों को देखकर श्री भानु भारती जी ने लोक नृत्य दिवारी व राई नृत्यों का प्रदर्शन शंकरलाल मुरलीधर आडोटोरियम हुआ जिसको दर्शकों ने बहुत सराहा गया।

सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग लखनऊ द्वारा गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर लोक गायकी के लिये उत्तर प्रदेश की झॉकी झारी की रानी परेड में सम्मिलित होकर झासी की रानी की वीर गाथा कलाकरों द्वारा परेड पर गाया गया 22 दिन दिल्ली में रहकर परेड में सम्मिलित होकर इसके बाद भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री के.आर. नारायण व माननीय उपराष्ट्रपति व माननीय प्रधानमंत्री श्री इन्द्र कुमार, गुजरल जी इन सभी के निवास स्थानों पर लोक गायकी के कार्यक्रम कराये गये।

संस्कृति विभाग द्वारा लखनऊ द्वारा आल्हा महोत्सव महोबा में 28-3-98 को सांस्कृति कार्यक्रम दिवारी पाई डण्डा, राई नृत्य, भाव नृत्य, युगल नृत्य व शास्त्रीय कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसमें सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र पुरूस्कार प्रदान किया गया। 31-03-98 को उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी लखनऊ द्वारा अकादमी परिषर लखनऊ में “जब फागुन रंग झमकते है” मे ढिमरयाई, राई लोक नृत्यों की प्रस्तुतियाँ हुई जो काफी सराही गई।

10-08-98 में नगर पालिका परिषद महोबा द्वारा कजली मेले पर रामलीला मंच महोबा में लोक नृत्य लोक गीतों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसमें हमारे भावनत्य को देखकर नगर पालिका अध्यक्षा के पति श्री धर्मदास चौरसिया द्वारा पुरूस्कार प्राप्त हुआ व विधायक श्री अरिमर्दन सिंह जी ने कार्यक्रम की बहुत प्रसंशा की।

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद द्वारा स्वर्ण जयन्ती समापन समारोह 15 अगस्त दिल्ली में दिवारी पाई डण्डा का मंच प्रदर्शन राजपथ पर किया गया जो सन पर दिखाया गया। 10-11-98 को उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी लखनऊ द्वारा सम्भागीय शास्त्रीय संगीत गायन वादन नत्य संस्था द्वारा महोबा में सम्पन्न कराई गई। 26 जनवरी 99 को पुलिस अधीक्षक महोबा द्वारा पुलिस लाइन पर राष्ट्रीय गीत लोक गीत नाटक आदि की प्रस्तुत की गई जिसमें पुरूस्कार व प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ।

श्री लखनलाल यादव  के मन में एक और जिज्ञासा थी कि हमारे बुन्देल खण्ड में एक लोक विद्या नोटंकी भी है जिसको सीखने का हमेशा मन बना रहता था। क्योंकि नोटंकी में अनेकों शिक्षाप्रद नाटकों का मंचन किया जाता था जो समाज में फैली बुराइयों को दूर करने में सहायक होता था।
श्री लखनलाल यादव  को नौटंकी विधा का प्रशिक्षण हेतु लखनऊ 1999 में बुलाया गया वहां श्री रामदयाल शर्मा मथुरा वालों द्वारा लोक विधा  नोटंकी का प्रशिक्षण लिया साथ ही  दो नाटक भी दिये गये जिन्हें लाकर महोबा के र उदीयमान कलाकारों के साथ लोक विधा नौटंकी का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के बाद मंच  प्रस्तुति हुई  जिसे बहुत सराहा गया।

बुन्देलखण्डी लोक संस्कृति विकास हेतु 1 जून से 30 जून 99 तक बुन्देली लोक विधाओं का प्रशिक्षण उदीयमान कलाकरों को दिया गया प्रशिक्षण समापन पर  सम्मान व पुरूस्कार दिये गये।

1988 में पुलिस अधीक्षक हमीरपुर द्वारा पुरूस्कार प्रदान हुआ। 1989 में नगर पालिका द्वारा पुरूस्कार प्रदान हुआ। 1997 में केन्द्रीय मानव संसाधन विकासमंत्री माननीय श्री एस.आर. बोग्मइ द्वारा सम्मान.स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। 1997 में आल्हा महोत्सव समिति के अध्यक्ष द्वारा सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह प्रदान किया ।


1998 में इसी समिति द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।  1998 में 26 जनवरी परेड उपरान्त माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान स्वरूप दिवारधड़ी व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया और वर्ष 1999 में आल्हा महोत्सव समिति के अध्यक्ष जिला धिकारी डा. राकेश कुमार द्वारा पुरूस्कार व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

इसके उपरान्त गीत एवं नाटक प्रभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ में दल के कलाकारों का साक्षात्कार कराया गया दल के पास हो जाने पर कलाकारों अनेकों जनपदों में कार्यक्रम प्रस्तुत किये जो बहुत ही सराहे गये। गीत एवं नाटक प्रभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विभिन्न जनपदों के विभिन्न ग्रामों में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लोक संगीत के द्वारा प्रचार प्रसार किया गया।

Lakhanlal Yadav लखनलाल यादव
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वर्ष 1998 में संस्था द्वारा बैठक बुलाई गई जिसके अध्यक्ष पद व कोषाध्यक्ष पर श्रीमोरानी जी को सौपा गया जिन्होने अथक प्रयास करके महिला कलाकारों को अपनी पुत्री सुश्री मधुलता सोनी को भी अपनी समिति में शामिल जोड़ा साथ साथ अपनी पुत्री सुश्री मधुलता साना किया तन-मन-धन से संस्था की सेवा में श्रीमती रानी लगी हुई है।

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद नृत्य का कार्यक्रम राज्य स्तरीय सांस्कतिक प्रतिभा समागत 2005 में पटना + ५५ पात्र सास्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद द्वारा दल के कलाकारों ने बुन्देली लोक दिवारी का प्रदर्शन किया और सन 2007 में दिवारी पाई डण्डा व राई का प्रदर्शन अण्डमान तथा निकोबार में किया गया।

Lakhanlal Yadav लखनलाल यादव
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2008 में कजली मेला महोबा में दल के कलाकारों ने नगर पालिका परिषद महोबा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम बुन्देली लोक गीत नृत्यों के कार्यक्रम प्रस्तुत किये। सन 2009 में लोक तरंग 23 से 28 जनवरी दिल्ली में पाई डण्डा के कार्यक्रम प्रस्तुत किये। सन 2010 में रामनगरिया मेला फर्रुखाबाद में सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद द्वारा दिवारी पाई डण्डा राई नृत्यों का प्रदर्शन किया गया।

सन 2010 व 2011 में राष्ट्रीय रामायण मेला चित्रकूट में दल के कलाकारों ने बुन्देली लोक नृत्य दिवारी पाई डण्डा राई नृत्यों का प्रदर्शन किया तथा उ. प्र. खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड महोबा द्वारा रामलीला मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया सन 2012 में दिनांक 21-03-12 से 25-03-12 तक लोक गीत राई नृत्य राष्ट्रीय रामायण मेला चित्रकूट पर कार्यक्रम किया गया।

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बुन्दलखण्डी लोक नृत्यो में पारंगत होकर एक जिज्ञाशा रहती थी की मे बुन्देलखण्डी भजन-लोक गीत गाऊ, श्रीमती रानी गायिका थी और उन्होने मुझे गाने को कहा, 1 जनवरी 2000 में नववर्ष पर प्रथम बुन्देली भजन गाया “विद्यादान के बिना स्वागत मान के बिना। जीवन है अधूरा गुरु ज्ञान के बिना।।“

इस भजन की बहुत प्रशंसा हई धीरे-धीरे बन्देली लोक गीत व भजन गाने लगा। वर्ष 2000 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर पलिस लाइन महोबा में भजन लोक गीतो का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

वर्ष 2002 में पंचरग कला मेला बजेन्द्र स्वरुप पार्क कानपुर में संस्कृति विभाग लखनऊ द्वारा दिवारी पाई डन्डा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसमें स्मृति चिन्ह प्रदान हुआ। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उ.प्र. लखनऊ द्वारा अक्टूबर 2002 में फूल वालों की शहर महारौली-दिल्ली में दिवारी पाई उन्डा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसमें उ.प्र.  को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। वर्ष 2013 माह दिसम्बर पर कृषि मेला सिभौनी धाम बांदा में बुन्देली गीत-नृत्य-नाटक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। बाराही देवी मेला जालौन पर 2 जनवरी 2013 से 8 जनवरी 2013 तक भजन, लोक गीत – नाटक व दिवारी पाई डन्डा नृत्य प्रस्तुत किया गया।

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वर्ष 2013 जुलाई में राजकीय ओद्योगिक एवं प्रदर्शनी अलीगढ में दिवारी पाई डन्डा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया। वर्ष 2014 में राष्ट्रीय रामायण मेला चित्रकूट व कजली मेला महोत्सव महोबा में लोक गीत भजन, दिवारी पाई डन्डा लोक नृत्य राई कार्यक्रम प्रस्तुत किया। समय समय पर तीज त्यौहारो और शादी विवाह जन्मदिन चौक पर लोगो के बुलावे पर कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये।

वर्ष 2013 व 2014 में गीत एवं नाटक प्रभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सीतापुर–बाराबंकी-ललितपुर-डलमऊ (रायबरेली) ध्वनि एवं प्रकाश नाटक जमुनिया व पावर प्रिया पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद द्वारा 2 जनवरी 2017 में रविन्द्र भवन पटना मे दिवारी पाई डन्डा लोक नृत्य प्रस्तुत किया। संस्कृति विभाग भोपाल द्वारा 28 व 29 जनवरी 2017 में भोपाल पर कार्यक्रम दिवारी पाई डंडा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया।

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संस्कृति विभाग लखनऊ द्वारा माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के लखनऊ आगमन पर स्वागत पर कार्यक्रम 28 व 29 जुलाई 2018 में दिवारी पाई डन्डा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया। 14 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक दारागंज कौसाम्बी (प्रयागराज) पर भजन लोक गीत दिवारी पाई डन्डा नृत्य प्रस्तुत किया।

वाराणसी पर माननीय प्रधानमंत्री के आगमन 23 व 24 फरवरी 2020 पर स्वागत कार्यक्रम पर दिवारी पाई डन्डा नत्य प्रस्तुत किया गया। सस्कृति विभाग लखनऊ द्वारा आगरा में अमेरिका राष्ट्रपति के डोनाल्ड ट्रम्प के आगमन पर आगरा एयरपोर्ट पर दिवारी पाई डन्डा कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

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29 फरवरी 2020 में बन्देलखण्ड ऐक्सप्रेस शिलान्यास मा. प्रधानमंत्री जी के स्वागत आगमन पर उनके समक्ष दिवारी पाई डन्डा लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया। संस्कृति विभाग लखनऊ द्वारा दीपोत्सव अयोध्या पर 12 व 13 नवम्बर 2020 पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

विलुप्त हो रही लोक संस्कृति लोक विधाओं को बचाने के प्रयास में हम चारो भाई शंकरलाल-तुलसीदा-रतीराम व दोनो पुत्र जितेन्द्र यादव व विपिन यादव भतीजे – सुरेन्द्र कुमार-हरिश्चनद्र वीरु व हमारा पुरा परिवार लगा हआ है और श्रीमती रानी जो संस्था की अध्यक्ष/कोषाध्यक्ष है पूरे परिवार के साथ सहयोग में लगी हुई है।

छोटे बेटे विपिन की इच्छा के अनुसार गांधी नगर महोबा में लोक संगीत व शास्त्रीय संगीत विद्यालय का शुभारम्भ परम पूज्यनीय हमारी मां जी के कर कमलो के द्वारा हुआ,जिसका उद्घाटन जिला सूचना अधिकारी महोबा सतीष यादव, रामकिशन पाण्डेय, जिला खाद्य विपरण अधिकारी व सामाज सेवी श्री शरद तिवारी दाऊ राम जी गुप्ता द्वारा फीता काट कर किया गया ।

समिति व पार्टी से जुड़े सभी कलाकारो द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया मै हमेशा प्रयासरत रहता हूँ कि युवा वर्ग के लोग लोक कलाओं को सीखे और उनके प्रोत्साहन मिलता रहे,और उनसे मंचीय कार्यक्रम कराये जायें जिससे हमारी लोक संस्कृति जीवित रहे।

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श्री लखनलाल यादव
पिता का नाम- स्व. श्री गुब्बे यादव
जन्मतिथि-  20-07-1954 (बीस जुलाई सन उन्नीस सौ चौवन)
शैक्षिक योग्यता- हाईस्कूल उत्तीर्ण
पता
कार्यालय सुभाषचौकी महोबा जनपद महोबा उ0प्र0 पिन 210427
निवास टिकरीपुरा महोबा जनपद महोबा उ0प्र0 पिन 210427
तकनीकी योग्यता
उप्र होमगार्ड ट्रेनिंग सुर्ध व सेक्शन कमाण्डर की ट्रेनिंग झॉसी से ली गई व फुटबाल खेल में योग्यता व मैच भी खेला गयां व बुन्देली लोकनृत्य दिवारी, पाई, डण्डा व राई, ढिमरयाई, कधयाई, नृत्यों में विशेष रूचि।

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बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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