Homeबुन्देलखण्ड का इतिहासGadhee Parasin गढ़ी परासिन  

Gadhee Parasin गढ़ी परासिन  

जब से जंगल को जानने लायक़ हुआ तबसे Gadhee Parasin गढ़ी परासिन का नाम सुनता आ रहा हूँ जहां की एक ऐतिहासिक और प्राचीन कथा समूचे चित्रकूट में प्रचलित है । कल उस स्थल तक जानें का प्लान बना । इस यात्रा में मेरे साथ रेंजर कृष्णपाल द्विवेदी जी ,तहसीलदार विवेक कुमार जी , बड़े भाई गुड्डा द्विवेदी जी, साथी गुरु मिश्रा एवम् पंकज तिवारी सहित वन विभाग की टीम थी ।

“चौरी के जंगल में स्थित गढ़ी परासिन और नटनी की जीवंत कहानी “

इतिहास एक ऐसे सम्पन्न राजा का….!!! इतिहास शर्त में धोखा खाई एक नटनी का…!!!

बुन्देलखण्ड मानिकपुर से धारकुण्डी के रास्ते पर चलते कल्याणपुर गाँव आया और आगे से हम चौरी के जंगल के लिये चल पड़े । अद्भुत प्राकृतिक नज़ारे और कई तरह के जीव जन्तुओं को देखते हुए हम सब चौरी जंगल पहुँचे ।चारो तरफ से यह स्थल पहाड़ों से घिरा है । जंगल पहुँचते ही सामने थी ब्रिटिशकालीन वन चौकी और उसी से सटी गोंड समुदाय की बस्ती जिसका अपना इतिहास है ।

Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin
Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin

गोंड समुदाय के लोगो से Gadhee Parasin गढ़ी परासिन के विषय मे काफी बातचीत हुई और उन्होंने इस गढ़ी से सम्बंधित प्रचलित कथानक बताए जो उन्हें उनके पूर्वजों ने उन्हे बताया था । कुछ ही दूर चलने पर हमें हथड़ोल नदी मिली जिसको स्पर्श करते हुए मैंने इस नदी का जल पिया । चारों तरफ़ नजारा अद्भुत था बेहद खूबसूरत यूँ कहें तो प्रकृति के द्वारा तरासा गया जीवंत आँगन जहाँ के दृश्य का वर्णन शब्दों में कर पाना बेहद मुश्किल है। वहाँ से कुछ आगे बढ़े तो सामने पहाड़ी पर दिखा गढ़ी परासिन का वह स्थान जहां आज भी कई इतिहास दफ़्न है ।

इतिहास एक ऐसे सम्पन्न राजा का….!!! इतिहास शर्त में धोखा खाई एक नटनी का…!!! इतिहास उस नष्ट हुई गढ़ी का जहाँ का जर्रा जर्रा आज भी चींख चींख़ अपनी कहानी बता रहा है । जैसे जैसे मैं परासिन में स्थित उस गढ़ी के नजदीक पहुंच रहा था मुझे स्थानीय कथानक की सारी बातें शब्दसः याद आती जा रही थीं ।

Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin
Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin

कथानकों के अनुसार प्राचीन समय में एक राजा ने चौरी जंगल के ऊपर बेहद घनी परासिन नामक पहाड़ी में एक गढ़ी का निर्माण कराया । इस भव्य गढ़ी का निर्माण बेहद आलीशान ढंग से हुआ और नीचे की तरफ़ एक आलीशान बाज़ार का भी निर्माण हुआ । सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज़ से यह गढ़ी बेहद महत्वपूर्ण और भव्य थी । राजा ने यह शर्त रखी की अगर इस पहाड़ से सामने वाले पहाड़ में बांधे गये सूत (धागा/रस्सी) पर चलकर इस पार से उस पार पहुँचकर वापस पहाड़ी पर वापस लौट आयेगा तो उसे राज्य का आधा हिस्सा दिया जाएगा ।

यह शर्त सुनकर पास के कबीले की एक नटनी ने शर्त क़बूल कर ली । नटनी को राजा के सामने पेश किया गया और शर्त पढ़कर पुनः सुनाया गया और उससे सहमति ली गई । नटनी ने कहा मुझे शर्त मंज़ूर है लेकिन अगर मैं शर्त जीतती हूँ तो आपको मुझसे विवाह करना पड़ेगा । राजा ने कहा ठीक है ।

पहाड़ के दोनों हिस्सों में सूत बांधा गया और कबीले वालों ने नटनी के स्वागत में ढोल नगाड़े बजाए और बड़े जनसमूह के बीच शुरू हुई इतिहास की सबसे ख़तरनाक शर्त । नटनी ने वहाँ मौजूद सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए शर्त के अनुसार सूत पर चलना शुरू किया और उस पार तक बहुत आराम से पहुँच गई । जैसे ही परासिन पहाड़ तरफ़ नटनी की वापसी शुरू हुई तो यह देखकर राजा विचलित हो उठा और उसे लगा की अब तो यह शर्त नटनी पूरी कर लेगी और उसे आधा राज्य के साथ विवाह भी करना पड़ेगा ।

Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin
Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin

इसी डर के चलते राजा ने सैनिक से कहकर छलपूर्वक सूत कटवा दिया जिस कारण नटनी की गिरकर मौत हो गई । स्थानीय कथानक के अनुसार नटनी ने नीचे गिरते समय ही राजा को क्रोध में यह श्राप दिया की हे राजन ! आपने मुझे छलपूर्वक मारा है इसलिए आपका यह राज्य और आपका परिवार समेत समूल नाश होगा । नटनी ने यह भी कहा की जिस राज्य और विवाह के डर से आपने यह छल किया वह सब नष्ट हो जाएगा और आप कभी इस अपराध से मुक्त नहीं हो पाएँगे ।

कथानको के अनुसार इसके कुछ वर्षों बाद राजा और उसके परिवार का भी अंत हो गया और शर्त के अनुसार आधा राज्य उसी स्वरूप में परासिन की गढ़ी में हमेशा के लिए दफ़्न हो गया। कथानको की मानें तो आज भी नटनी की आत्मा वहाँ मौजूद है और गढ़ी परासिन में दबे ख़ज़ाने और उस स्थान की रक्षा कर रही है। वहाँ रह रहे इकलौते स्थानीय गोंड परिवारों को आज भी गढ़ी परासिन में नृत्य करती घुँघरू की आवाज़ें सुनाई देती हैं ।

जहाँ नटनी की गिरकर मौत हुई थी परासिन के जंगल में वह स्थान आज भी मौजूद है जहाँ से सूत बांधकर शर्त की शुरूआत की गई थी । जब मैंने यात्रा के दौरान गोंड परिवार के कुछ सदस्यों से बात की तो उन्होंने बताया की वह गोंड राजा थे । लेकिन कुछ लोगो द्वारा यह बताया गया की सैकडो वर्ष पहले पन्ना के राजा चौरी के गढ़ी परासिन गये थे और वहाँ गढ़ी से अपने पूर्वजों के कुछ जीवंत सबूत लेकर गये थे । अर्थात् इस कथानक के अनुसार उक्त कथानक से जुड़े राजा पन्ना राजवंश से ताल्लुक़ रखते थे ।

इस स्थल में जाने से पहले मुझे कुछ स्थानीय लोगो ने यह भी बताया था की यहाँ ख़ज़ाने की खोज में लोग तांत्रिकों को लेकर आते हैं । इस बात की पुष्टि मुझे गढ़ी में पहुँचने के बाद हुई जब मैंने देखा जगह जगह गड्ढे थे और तंत्र मंत्र करने की वस्तुयें मौजूद थीं । जानकारी के अनुसार ख़ज़ाने की चाह में यहाँ आने वाले लोगों की तंत्र साधना के दौरान साक्षात भेंट नटनी की आत्मा से हुई ।

Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin
Gadhee Parasin गढ़ी परासिन Castle Parasin

कइयों को वो पूरा दृश्य भी दिखा और कइयो के ग़लत मंतव्य के कारण उन्हें अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा । उन सबने अपने अनुभव साझा करते हुए उस दौरान अपनों से यह सब बातें बताईं थीं जो मेरे सामने आईं हैं और मैंने उन सब बातों को शब्दों की शक्ल देने की कोशिश की है क्योंकि हर कथानक के अपने मायनें होते हैं और हर इतिहास का अपना सच्चा कथानक होता है जिसे नजरंदाज  नहीं किया जा सकता है ।

सच कुछ भी हो लेकिन इस स्थान पर पहुँचकर मुझे बहुत अलग तरह के प्रभाव महसूस हुए और समाज को एक शिक्षा मिलती है जिसे मैं अभी यह सब लिखते हुए भी महसूस कर पा रहा हूँ । इस स्थान से जुड़ा कथानक सही है या गलत ये तो मैं नही कह सकता लेकिन इतना स्पष्ट है कि छल करना कालांतर में भी अनुचित और पाप की श्रेणी में आता था और यही आज भी है । इसलिए व्यक्ति को अपनी शर्त यानी बात पर अडिग रहना चाहिए । व्यक्ति का दोहरा चरित्र उसके और उसके समूल पतन का कारण बनता है ।

मुझे पता है की रानीपुर टाइगर रिजर्व शुरू होने के बाद इस स्थल तक पहुँचना नामुमकिन होगा क्योंकि यह बिलकुल कोर एरिया होगा । इस लिहाज़ से मैं और मेरी टीम इस स्थल तक पहुँचने वालें अंतिम साधारण व्यक्ति/विजटर होंगे ! चित्रकूट वाक़ई में अद्भुत है जहां के कण कण का अपना इतिहास है और उसी इतिहास से जुड़े कथानक हैं जिनसे आज भी सीख मिलती है। दोस्तों हर कथानक झूठे नही होते और उनका मर्म तो बिल्कुल भी नही। 

शोध एवं आलेख – अनुज हनुमात 

जानिए बुन्देली झलक के बारे मेँ 

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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