Homeबुन्देलखण्ड का इतिहास -गोरेलाल तिवारीBanda Nawab Ko Rajao Ka Sahyog बांदा नवाब को अन्य राजाओं का...

Banda Nawab Ko Rajao Ka Sahyog बांदा नवाब को अन्य राजाओं का सहयोग

अलग-अलग जगह से बागी सिपाही बाँदा आ रहे थे जिनमें बाबू कुंअर सिंह प्रमुख थे। महाराजा बानपुर ने भी अपना सहयोग देने के लिये बांदा नवाब के पास चांद किशोर के द्वारा संदेश भेजा। इस प्रकार Banda Nawab Ko Rajao Ka Sahyog प्राप्त होने लगा। हिन्दू और मुसलमानों दोनो के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि दोनो एकताभाव से मिलकर अंग्रेजों को हिन्दुस्तान से बाहर निकालें ।

नवाब का बानपुर राजा, शाहगढ़ के विद्रोही राजा तथा अन्य राजाओं से संम्बन्ध अच्छा था जैसा कि इन पत्रों से प्रतीत होता है।

1 – शाहगढ़ के राजा के लिए नवाब का पत्र दि० ११ सफर हिजरी १२७४ ।
2 – शाहगढ़ के राजा बख्त बली की ओर से नवाब बांदा को पत्र अगहन बदी सम्वत 1614, पूस बदी 10  संवत 1614  ।
3 – सोहावल ठाकुर की ओर से नवाब बांदा के लिए पत्र पूस सुदी 7 संबत 1614 ।
4 – कोठी के जागीरदार अबधूत सिंह की ओर से नवाब बांदा के लिए पत्र पूस बदी 12  संवत 1614 ।
5 – विजयराघवगढ़ के राजा सरजू प्रसाद का नवाब बांदा के लिए पत्र दि० 14 रबीउलाखिर 1274 हिजरी।
6 – नवाब अली बहादुर की ओर से रीवा के राजा के लिए पत्र 14 रबीउल-आखिर 1274 हिजरी।
7 – नवाब अली बहादुर की ओर से नाना साहेब के जिए पत्र
8 – नवाब बांदा की ओर से छतरपुर के राजा जगतराज के लिए पत्र ।
9 – इनके अलावा दतिया राजा से भी पत्र व्यवहार हुआ था । ऐसा ही एक पत्र दतिया राज्य के मुख्तयार कन्हैया प्रसाद के पास मिला था।

शाहगढ़ के राजा के लिए नवाब के पत्र का प्रारूप
दि०1  सफर 1274 हिजरी
आपसे मुलाकात करने तथा गुफ्तगू करने की इच्छा है, जिसका कि मै जिक्र नहीं कर सकता। अधर्मियों का नाश करने तथा उनके भाग जाने के बाद जो कि धर्म के विरोधी और हर किसी की संस्कृति, के खिलाफ थे, इन यूरोपियनों का शासन हर जगह से खत्म हो चुका है। तथा ईश्वर की कृपा से कई राजाओं ने अपने को बादशाह के मातहत होने का ऐलान कर दिया है, और शत्रु को नष्ट करने तथा धर्म की रक्षा के लिए अपने को तैयार कर लिया है।

महाराज श्रीमंत नाना साहेब बहादुर ने इन बुरे दिनों में कठिनाईयों के सामने सराहनीय कार्य किया । उन्होंने साहस दिखाया  और वे शत्रुओं को निकालने के लिए तैयार हैं, ईश्वर की अनुकम्पा से उन्हें विजय हासिल होगी । यह आपको अभी ज्ञात नहीं कि बुन्देलखण्ड के राजा -विभिन्न राय के हैं । आपके अनेक विश्वसनीय व्यक्ति मेरे पास आये और उन्होंने वहाँ परिस्थिति से अवगत कराया । आपके साथ कन्धा मिलाकर चलने में आपसे मित्रता करने में, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। जब तक कि हम में व आप में कुछ पक्का निश्चय नहीं हो जाता तब तक विश्वास कैसे जागेगा ।

हमको एवं आपको बुन्देलखण्ड में एक ऐसा स्थान निश्चित कर लेना चाहिये जहां कि हम अपनी आधी या इससे अधिक फौजें भेजेगें और जैसा भी निश्चित होगा, ये फौज स्थायी रूप से वहां तैनात रहेंगी।

जो भी चाहे वह अपने परिवार को भी वहां भेज सकता है। यहाँ तैनात आदमियों को वहीं पर वेतन भत्ता दिया जाय और भोजन आदि भी । बुन्देलखण्ड में कालिन्जर से अधिक उपयुक्त तथा सुदृढ़ और सुरक्षित अन्य कोई स्थान नहीं हैं जहांकि सेना रखी जा सके। इस समय पन्ना राजा की सेना कालिन्जर में तैनात हैं, अत: आप एक तिथि निश्चिन कीजिए जव आपकी सेना कालिन्जर के निकट पहुच जाय मैं भी उसी दिन अपनी सेना भेज दूंगा । जिससे कि हमारी और आपकी फौजों का संगम हो जाय और कालिन्जर के किले पर कब्जा कर लिया जाय ।

फिर वहाँ पर अपनी फौजे स्थायी रूप से तैनात रहेंगी। वहीं पर हम लोग उनको वेतन देंगे तथा वहीं पर उनके लिये रसद आदि की आपूर्ति करेंगे। मैं उतने ही आदमी भेजूँगा जितने की आप भेज रहे हैं । कालिन्जर पर फौज रखने से यदि उस पर शत्रु हमला कर देता है तो सभी फौज मिलकर शत्रु को मार सकती हैं, दूसरे समय की आवश्यकता पर इनको किसी भी स्थान पर भेजा भी जा सकता है । शत्रु को हराना केवल एक के बस की बात नहीं है, आपके उत्तर आने पर उसी अनुसार काम किया जायेगा।

शाहगढ़ के राजा बख्तवली की ओर से नवाब वादा को पत्र आपसे मिलने की इच्छा है अपनी कुशलता का मैंने एक पत्र आपकी खिदमत में भेजा है जो कि आपको मिल गया होगा पुरबिया पल्टन, रिसालदार सवार (घुड़सवार)  जिन्होंने हर व्यक्ति की,  बादशाह सम्राट की,  वजीर की, नवाबों राजाओं की रक्षा की है उनके अधिकारियों तथा जवानों को ईश्वर ने महान शक्ति दी है । ईश्वर उन सभी सिपाहियों पर कृपालू हैं। उन्हीं की बदौलत हम और आप इन धर्म विरोधियों को खत्म करने के लिए तैयार हो गये हैं। राजा रईस इन अधर्मी लोगों को अपने यहाँ रखता है चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान सगे भाई हो या अजनबी, वे हमारे शत्रु है।

राजा रईस चाहे भाई-भाई के समान क्यों न हों, यदि उस पर धर्म विरोधी को अपने घर में रखने का शक हैं, तो वह शत्रु  हैं, हम दोनों ने एक ही बात यानी धर्म की रक्षा का ब्रत ले लिया है । अतः आप हमारे भाई हैं। यहां से जो व्यक्ति आपके पास भेजा जावे उसकी बात अवश्य सनिये और आप अपने हृदय की गुप्त बातें उसे बता दीजिए । एक मत हो जाने पर आप अधर्मियों  की तथा जिन्होंने उनका साथ दिया है उसको दण्डित करने के लिए तैयार हो जाइये। इससे हमारा विश्वास कायम रहेगा

शाहगढ़ के राजा बख्त बली की ओर से नवाब बाँदा को पत्र
पूस बदौ १० सम्वत १६१४
आपसे मुलाकात करने की इच्छा है आपने अपने पत्र में बताया कि हमारे मुखतयार राजधर रावत ने आपको हमारे राज्य के मामलात से अवगत करा दिया है । यह पत्र मुझे मिला, मुझे आशा है आप भी इसी प्रकार पत्र व्यवहार बनाये रखेंगे । जब तक कि मैं आपसे न मिल लूँ। एक ही पत्र मिलना आधी मुलाकात के बराबर है। राजघर के पत्र से पता चला कि मेरे मित्र आप स्वयं सागर की ओर बढ़कर अंग्रेजों को जो वहाँ किले में हैं दण्डित करेंगे। यह समाचार पाकर ईश्वर जानता है बहुत अधिक खुशी हुई, मेरी खुशी का वर्णन न तो ज़बान ही कर सकती है और न ही कलम, आपसे अनुरोध है कि आप यथा सम्भव सलाह करें कि किले में अंग्रेजों को कैसे मारा जाय।

ये अंग्रेज किले में कैदियों की भांति चारो ओर से बंद हैं । तत्पश्चात हम लोग सागर से श्रीमत महाराजधिराज श्री महाराजा श्री नाना  साहब पेशवा,  बहादुर  जी से मिलने के लिए चलेंगे । पन्ना राजा तो  मुझसे युद्ध करना चाहता है और राज को बरबाद कर देना चाहते हैं ।  बिटिश अधिकारी तथा सवार कभी-कभी बाहर गढ़ाकोटा तथा अन्य स्थानों पर हमले करते हैं । जब तक हम परस्पर नहीं मिल सकते पत्र व्यवहार बनाये रखें ।

सोहावल के ठाकुर की ओर से नवाब बांदा को पत्र
पूस सुदी ७, सम्वत १६१४
मुझे आपका पत्र मिला और महीपाल सिंह से परिस्थति की जानकारी मिली । आप जो भी लिखते हैं या कहते हैं में उसका सम्मान करता हूँ। इस स्थान की अनेक आवश्यकताओं के कारण आपके आग्रह को अपनाने में कमी नहीं आयेगीं ।

कोठी के जागीरदार अवधूत सिंह की ओर से नवाब बाँदा को पत्र
पूस बदी १२, संवत १६१४
महाराज कोमार लाल अबधूत सिंह का आपको प्रणाम प्रतिदिन के ढलते उठते समाचारों से आप अवगत कराते रहें हैं । मैं गर्ग महिपाल सिंह को भेज रहा हूँ । वह जो आपको मौखिक बतावें कृपया आप सुनें । आप उसके स्वामी हैं गर्ग  आपको ताजा समाचार बतायेंगे । जिसे आप कृपया ध्यान पूर्वक सुनें । आपके पास हर काम करने की शक्ति है। कृपया उसे भी मदद करें।

विजयराघवगढ़ के जागीरदार सरजू प्रसाद का नवाब के लिए पत्र
दि. 14 रबीउल आखिर 1274 हि० स्थान विजय राघव गढ़।
सलाम आपसे मुलाकात करने की इच्छा है । बहुत समय से आपकी कुशलता का कोई समाचार न मिलने से चिन्तातुर हूँ, आपसे अनुरोध है कि आप अपनी कुशलता का समाचार भेजे। जिससे चिन्तामुक्त हो सकूँ  । जहां तक विजय राघव गढ़ राज्य के मामलात का सवाल है  प्रशासन ने मेरी नाबालगी के कारण सारा प्रबंधन  अंग्रेजी सरकार ने ले लिया है। इस पर भी वे मेरी सम्पत्ति को मुझे नहीं लौटाते हैं।

उन्होंने इस दयनीय हालत में कर दिया है कि अब मुझे एक कौड़ी के लिए दूसरों का मुहताज होना पड़ता है । परिणामतया मैंने तहसीलदार को मार डाला है । तथा ब्रटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया है। उन्होंने मेरी जागीर को रीवा राज को दे दिया है। जो कि हमारे पूर्व को मित्रता को भी भुला बैठा है। बल्कि इसके विपरीत उसने मेरे विरुद्ध एक बड़ी सेना भेज दी है । इस अंधेर से क्या उदय होता है । देखना है, आपके तथा हमारे पूर्वजों में प्रगाढ़ मित्रता थी जो वह अब भी रहेगी। मैं आपको अपना सच्चा मित्र समझ कर आपके परामर्श तथा सहायता का आकाँक्षी हूँ।

नवाब अली बहादुर की ओर से रीवा के राजा को पत्र
14   रबीउल आखिर 1274  हिजरी
मेरी तीव्र उत्कण्ठा है कि मैं आपसे मिलूँ  इसको अभिव्यक्त करने के लिए शब्द ही नहीं हैं। आपको यह बताना चाहता हूं कि बहुत समय से हमारे और आपके बीच दोस्ती एक दूसरे से एकता और प्रेम की  दोस्ती का साथ रहा है। इसलिए मैं तहेदिल से इस कठिन समय में आपकी तथा आपकी सम्पत्ति की रक्षा करना चाहता हूं।

आप यह जानते ही हैं कि इस समय किसमत ने हम लोगों पर बुरे दिन ला दिए हैं । हयात मोहम्मद के हाथों अभी हाल में अवध के नवाब का एक खरीता इस आशय का प्राप्त हुआ है कि देहली के बादशाह को सेना शोघ्र हो गंगा, अवध कानपुर की ओर जायेगी और आस-पास के क्षेत्र में वहाँ के शत्रुओं को दण्डित करेगी । अतः आप बादशाह की सेना की सहायतार्थ अपनी सेना भेज दें ।

मैं इस पत्र के साथ एक बन्द पत्र और भेज रहा हूँ । जिसके विषय आदि के बारे में मैं नहीं कह सकता खरीता पढ़ने के बाद आप जो उचित समझें सो कीजिए । मैं तो आपका पुराना दोस्त हूं राय देना मेरा काम है । समय की मांग के मुताबिक स्वय निर्णय लें पिछली बातों पर ध्यान दें । आप मुझे अपना विश्वसनीय मित्र समझें और अकसर आप मुझे पत्र लिखते रहें- खुशी होगी।

जहाँ नवाब बांदा को बांदा की तथा दानापुर, की बागी पल्टन का अंग्रेजी  शासन को उखाड़ने में सहयोग मिल रहा था वहीं पर बुन्देलखण्ड के अन्य देशी राजा उसके विरुद्ध थे। नवाब ने अपने पत्र में भी इस बावत स्पष्ट किया है।

नवाव अली बहादुर की ओर से नाना साहेब बहादुर बिठूर को पत्र
आदर के पश्चात्, मैं आपको बताना चाहता हूं कि कुछ समय पहले मैंने अपने विश्वसनीय और गुप्तचर के हाथ आपकी सेवा में भेजा था । जिसमें यहाँ के हालात बताये गये थे और आपसे अनुरोध किया था कि आप सेना, तोप गोला बारूद, अस्त्र -शस्त्र, रुपया भेजे इस पत्र के उत्तर की अब तक प्रतीक्षा है, बहुत समय गुजर जाने के बाद भी सही बात यह है कि सरकार से मिलने वाली पेन्शन पर मेरा गुजारा चलता था, अब वह भी बन्द है।

बांदा जिला चारों ओर बुन्देला राज्यों से घिरा हुआ है, बांदा यथावत अधिकार में बनाये रखने के लिए सेना तथा रुपयों की आवश्यकता है। बुन्देला राजाओं ने बांदा जिले को चारों ओर घेर लिया है । और कुछ तो इधर बढ़ते आ रहे हैं। और बांदा से बहुत कम दूरी पर रह गये हैं, साधनों के अभाव के कारण उन्हें निकालने में असमर्थ हूं । यदि  आप मेरे आग्रह के मुताबिक मदद भेज देते हैं तो मैं वाँदा जिले पर कब्जा रख सकता हूं।

वर्तमान समय तक हमारे पूना रहने पर भी अपने आपसी संबंध वहीं हैं, मैं आपकी सेवा में और आज्ञा पालन में अभी तक असफल नहीं रहा हूं । इस पर विचार करते हुए मुझे विश्वास है कि आप मेरी मदद करेंगे । जब तक आप ऐसा नहीं करेंगे मैं -दिन रात चिन्ता से व्याकुल रहूंगा । जिला बांदा जो बहुत समय से पेशवा का रहा है [ईश्वर न करे] वह हम से छूट जाय । आज तक तो मैंने अपनी छोटी सी फौज की मदद से बांदा को लूट तथा बरबादी से बचाया है ।

लेकिन अजय गढ़ के लोग यहाँ पर बड़ी संख्या में जमा हैं । उनका एक मात्र बहाना है कि वे अपने निमनीपार के किले में ठहरे हैं। निमनीपार का किला बांदा से तीन कोस पर ही है जो अजयगढ़ के पूर्व राजा गुमान सिंह का हैं। किन्तु उनका असली इरादा मुझ से लड़ने का है । वे हर रोज संख्या बढ़ाते ही जा रहे हैं । बांदा के निवासी उनसे भयभीत हो रहे हैं कि ऐसा न हो कि वे लोग बाँदा वालों को लूट  लें ।

सेना तथा धन के अभाव के कारण में उन्हें (निमनी पार से) निकाल भी नहीं सकता इस परिस्थिति में आपसे अनुरोध है कि आप सेना, तोपें और रुपया भेज दें। आप अपनी सेना को बांदा में रखें जब तक कि हालात न सुधर जायें । और उनको वेतन तथा खर्चे  का भुगतान का आप प्रबन्ध करें। अथवा उस सेना को स्थायी रूप से मेरे पास स्थानान्तरित कर दीजिए साथ ही खर्चे व वेतन आदि के भुगतान के लिए पर्याप्त रुपये-चार पांच माह तक भेजते रहें उसके बाद तो भूकर आदि की वसूली शुरू हो जायेगी । आपकी गद्दी निशानी के उपलक्ष्य में २१ स्वर्ण मुहरें भेज रहा हूँ कृपया स्वीकार करें।  

विद्रोह के सिलसिले में बांदा नवाब अन्य राजाओं और नवाबों से भी सम्बन्ध बनाये हुए थे । ग्वालियर के महाराजा सिंधिया ने तो नवाब के विद्रोह में शामिल हो जाने पर खुशी जाहिर की थी । सिन्धिया ने नवाब को निम्न पत्र लिखा था।

बांदा नवाब के नाम महाराजा सिन्धिया का पत्र
कार्तिक सुदी 15 , संवत 1914
यह समाचार मेरे लिये प्रसन्नता दायक है कि आपने अंग्रेजों को निकाल दिया है लड़ने के लिये यदि कोई आवश्यकता हो तो मुझे बताइये मैं आपको सेना देकर मदद करूंगा। राजा हिन्दुपत के हरकारे द्वारा मालुम हुआ कि आप किसी कठिनाई को महसूस कर रहे हैं, इसलिये मेंने आपको यह लिखा ।

रीवा राजा ने अपने यहां अंग्रेजों को ठहरने की अनुमति दे रखी है इस पर मैं नखुश हूँ। मैंने यह भी सुना है कि नागौद से भागे हुए अंग्रेजों को पन्ना राजा ने सुरक्षा प्रदान की है । यह अच्छा नहीं है कुछ समय से आपको खुशी खबर के बाबत नहीं सुना है मैं आपकी मदद के लिये तैयार हूँ आपने अच्छा किया मैंने आपका पत्र यहाँ से दिल्ली भेज दिया है ।

अन्य राजाओं से भी बांदा नवाब सम्पर्क बनाये हुए थे । सोहावल कोठी और विजय राघवगढ़ के राजाओं ने भी नवाब को पत्र लिखें और अपना प्रतिनिधि भेजा इससे मालूम होता है कि गर्ग महिपाल सिंह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते रहे । यह तो मानी हुई बात हैं कि विजय राघव गढ़ का राजा खुलेआम विद्रोही हो गया था जबकि कोठी का जागीरदार अवधूत सिंह छिपे रूप से विद्रोहियों की सहायता करता था।

नवाब बांदा की ओर से छतरपुर के राजा जगतराज को पत्र
जमादिउलाखिर 1274  हिजरी
आपसे मुलाकात करने की तीव्र इच्छा है, आपको यह बताता चाहँगा कि अभी हाल में श्रीमन्त महाराजा नाना साहेब बहादुर की ओर से एक पत्र मिला हैं, जो कि जगतराज साहेब बहादुर से संबन्धित है  कि आप इस सरकार की इच्छा के मुताबिक चल रहे हैं यदि कोई उन्हें नुकसान पहुँचाता हैं तो आप दण्डित कीजिए ।

यह आपको तथा विश्व को ज्ञात है ही, कि आपके स्वर्गीय पिता महाराज प्रताप सिंह तथा मेरे पिता स्व० जुलफिकार अली में घनिष्ट मित्रता थी खासकर उस समय से जबकि आपके स्व० पिता को (बांदा) इस स्थान पर ही गद्दी पर आसीन कराया गया था और आज तक वही मित्रता मुझमें आपमें कायम है। मुझे यह जानकर और भी प्रसन्नता है कि आपमे तथा महाराज श्रीमन्त बहादुर से मित्रता कायम है। आपके प्रति इसिलए मेरा स्नेह सैकड़ों गुना बढ़ गया है । इसलिए आप मुझे अपना घनिष्ट मित्र समझिये। आपकी प्रसन्नता के लिये मैं आपका आदर करता हूँ।

मेरा इरादा आपके पास आवश्यक एवं महत्वपूर्ण मामलों पर जानकारी प्राप्त करने हेतु एक विश्वसनीय व्यक्ति भेजने का है लेकिन अभी कई ऐसे अनेक कारणों से ऐसा न कर सका उन्होंने [अंग्रेजों के मित्रों ने] आपके हरकारे को वापस जाने में बहुत विलम्ब किया । मैं अब इनको आपके पत्र सहित लौटा रहा हूँ । इनके तुरन्त बाद ही मैं अपने बिश्वसनीय को भेजूगा जो आपको सभी जानकारी देगा। पुरानी मित्रता की वदौलत मुझे विश्वास है कि परस्पर हर काम होगा।

बुन्देली झलक 

आधार –
1 – राष्ट्रीय अभिलेखागार-कन्सलटेशन २३८-४४ और के० डब्लू दिनांक ११.३ १८५६ पोलीटिकल, कलेक्टर बांदा की ओर से कमिश्नर चतुर्थ संभाग के नाम पत्र सख्या ४७१० दिनांक ३१-१०-१८५८
2 – राष्ट्रीय अभिलेखागार-पोलीटिकल प्रोसीडिंग्ज ३०-१२-१८५६ सप्तम भाग [अनुक्रमांक १२८०] पोलीटिकल असिस्टेन्ट बुन्देलखण्ड की ओर से भारत सरकार के नाम पत्र संख्या २२ दिनांक २३-१-१८५८ ।
3 – राष्ट्रीय अभिलेखागार-पोलीटिकल प्रासोडिंग्ज ३१-१२-१८५८ सोलहवां भाग [अनुक्रमांक ३६२४] मजस्ट्रेट बांदा की ओर से कमिशनर चतुर्थ संभाग के नाम पत्र संख्या १६३ दिनांक ४-८-१८५८ ।
4 – शाहगढ़ के राजा के नाम नवाब का पत्र दिनांक ११ सफर १२७४ हिजरी। शाहगढ़ के राजा बख्तबली की ओर से नवाब बाँदा के लिए पत्र अगहन बदी १ संवत १६१४ एवं पूस वदी १० संवत १६१४ ।
5 – राष्ट्रीय अभिलेखागार पोलीटिकल प्रोसीडिंग्ज ३१-१२-१८५८ सोलहवां भाग अनुक्रमांक ३६२४ मजिस्ट्रेट बांदा की ओर से कमिशनर चतुर्थ सम्भाग के नाम पत्र संख्या १६३ दिनाँक ४-८-१८५८।
6 – राष्ट्रीय अभिलेखागार-पोलीटिकल प्रोसीडिग्ज ३१-१२-१८५८ सोलहवां भाग अनुक्रमांक ३६२४, मजिस्ट्रेट बांदा की ओर से कमिश्नर चतुर्थ संभाग के नाम पत्र संख्या १६२ दि०४-८-१८५८।
7  – सोहावल ठाकुर की ओर से मवाब बाँदा को पत्र पूस सुदी ७ संवत १६१४ कोठी के जागीरदार अवधूत सिंह की ओर से नवाब बाँदा को पत्र पूस वदी १२, संवत १६१०।
8 – विजयराघवगढ़ के जागीरदार सरजू प्रसाद की ओर से नवाब बांदा के लिए पत्र दिनांक १४ रबीउल आखिर १२७४ हिजरी।
9 – नबाब अली बहादुर की ओर से रीवा राजा को पत्र दिनांक १४ रबीउल आखिर १२७४ हिजरी। ११. नवा ३ अली बहादुर की ओर से नाना साहैब बहादुर को पत्र । नबाव वाँदा के नाम महाराजा सिन्धिया का पत्र कार्तिक सुदी १५ संवत १६१४।
10 –  नवाब वांदा की ओर से छतरपुर के राजा जगतराज के नाम पत्र जपादुल आखिर १२७४ हिजरी ।
11 – शाहगढ़ के राजा के नाम नवाब का पत्र दिनांक ११ सफर १२७४
हिजरी।
12 –  शाहगढ़ के राजा बख्तबली की ओर से नवाब बाँदा के लिए पत्र अगहन बदी १ संवत १६१४ एवं पूस वदी १० संवत १६१४ ।
13 – राष्ट्रीय अभिलेखागार पोलीटिकल प्रोसीडिंग्ज ३१-१२-१८५८ सोलहवां भाग अनुक्रमांक ३६२४ मजिस्ट्रेट बांदा की ओर से कमिशनर चतुर्थ सम्भाग के नाम पत्र संख्या १६३ दिनाँक ४-८-१८५८।
14 – राष्ट्रीय अभिलेखागार-पोलीटिकल प्रोसीडिग्ज ३१-१२-१८५८ सोलहवां भाग अनुक्रमांक ३.२४. मजिस्ट्रेट बांदा की ओर से कमिश्नर चतुर्थ संभाग के नाम पत्र संख्या १६२ दि. ४-८-१८५८।
15 – सोहावल ठाकुर की ओर से नवाब बाँदा को पत्र पूस सुदी ७ संवत १६१४।
16 – कोठी के जागीरदार अवधूत सिंह की ओर से नवाब बाँदा को पत्र पूस वदी १२, संवत १६१०।
17 – विजयराघवगढ़ के जागीरदार सरजू प्रसाद की ओर से नवाब बांदा के लिए पत्र दिनांक १४ रबीउल आखिर १२७४ हिजरी।
18  – नबाब अली बहादुर की ओर से रीवा राजा को पत्र दिनांक १४ रबीउल आखिर १२७४ हिजरी।
19 – नवा अली बहादुर की ओर से नाना साहैब बहादुर को पत्र । १२- नबाव वाँदा के नाम महाराजा सिन्धिया का पत्र कार्तिक सुदी १५ संवत १६१४।
20 – नवाब वांदा की ओर से छतरपुर के राजा जगतराज के नाम पत्र जपादुल आखिर १२७४ हिजरी ।

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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