ऐंगर बैठ लेव कछु काने, काम जनम भर राने।
बिना काम को कोऊ नइयां, कामें सब खां जाने।
जौन काम खां करने नैंयां, कईयक होत बहाने।
जौ जंजाल जगत कौ ईसुर,करत-करत मर जाने।
महाकवि ईसुरी शिक्षा देते हुए कहते हैं कि कुछ समय मेरे पास बैठ लो। मैं तुमसे कुछ सार की बाते कहना चाहता हूं। काम तो सारे जीवन भर करते रहना है, जो कभी न पूरा होता है न समाप्त। काम मुझे भी करना है, आपको भी और इस संसार में जो भी आया है उसे भी। बिना काम का भला कौन है? वो तो जिसे काम करना नहीं होता है वह न करने के बहाने ढूंढ लेता है। दुनिया में काम अनन्त हैं और जीवन क्षण भंगुर। अतः इस जीवन में कुछ सार की बातों के लिए भी समय निकाल लेना चाहिए।
महाकवि ईसुरी की आध्यात्म परक फागें अद्वितीय हैं। उनकी फागों में कला पक्ष बड़ा प्रबल है। वे द्विअर्थी फागें कहने के कुशल शिल्पी हैं। जिसकी जैसी बुद्धि-जैसी समझ होती है वह वैसा ही समझ लेता है, किन्तु वे जो कह रहे हैं, वह शाश्वत सत्य है।