Homeबुन्देलखण्ड के साहित्यकारDr. Suresh Parag  डॉ. सुरेश पराग

Dr. Suresh Parag  डॉ. सुरेश पराग

अपने मन की बात
साहित्यकार के एक भी लक्षण न होने और साहित्य की कसौटी पर खरी उतरने वाली एक भी पंक्ति न लिख पाने के बाद भी आप सब के प्यार ने साहित्यकार बना दिया और आपके कहने पर मैनें भी यह सुखद भ्रम पाल लिया है कि मैं Dr. Suresh Parag  साहित्यकार जैसा कुछ हूँ।

कुछ लिखा जिसे आपने कविता कहा, कुछ को ‘व्यंग्य’, कुछ को नाटक, कुछ को उपन्यास और कुछ को कहानियाँ कह दिया। जब जैसी भीतर से तरंग उठी मैं भी कलम घिसता रहा। मैं अकेला हूँ या मैनें कोई अनोखा काम किया है ऐसी बात नहीं है। और भी लोग हैं, जिन्होंने अनेक विधाओं में कलम घिसी है बल्कि कभी-कभी तो इतनी ज्यादा घिस दी कि अलग विधा ही खड़ी कर दी।

बेचारी सीधी-साधी जीवन से जुड़ी कहानियों को वादों-प्रतिवादों से जोड़कर विवादों में उलझा दिया। मेरा ऐसा कुछ करने का इरादा नहीं है, मेरी चाहत सिर्फ इतनी है कि ये जो कहानियाँ आपके हाथ में हैं, आप इन्हें पढ़ें और सोचे कि इन कहानियों के पात्रों से आपकी मुलाकात कहाँ हुई है। हो सकता है ये आपके पड़ोसी या आपके गाँव के निकलें आपको यह भी लग सकता है कि इन कहानियों में अनेक स्थलों पर मैं हैं। कभी किसी से किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाये तो मुझे बताइये जरूर।

ये दो-चार कहानियाँ समाज की सोच बदल देंगी या कोई आंदोलन खड़ा कर देंगी, मैं इस भ्रम में नहीं हूँ। लेकिन आपके ‘बर्फ’ हो गये मन को हल्की सी आँच देकर पिघला सकेंगी ऐसा विश्वास अवश्य है। आपका पिघलता मन मुझे नई ऊर्जा प्रदान करेगा।

इधर बुन्देली साहित्य पर नये सिरे से बहुत काम हो रहा है। बुन्देली शब्दों की विलक्षणता इसे बहुत बड़ी सामर्थ्य प्रदान करती है। अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी के साद-साथ मुझे बुन्देली से भी बहुत प्यार है। हमारे हिन्दी के पाठक बुन्देली के लालित्य, इसकी शब्द शक्ति और भाव की गहराई से परिचित हो सकें, इस लालच में दो बुन्देली कहानियाँ भी संग्रहीत कर दी हैं। आशा हैं, इन्हें भी आपकी प्यार भरी छाँव मिलेगी।  

संग्रह का एक नाम देना था, मुझे सभी शीर्षक अच्छे लग रहे थे। इस दुविधा से उबरने के लिये मैंने शीर्षकों की चिटें बना लीं और उनमें से एक उठा ली। ‘चुटकी भर रेत’ का नाम आया। वही नाम दे दिया। आशा है, आपको भी अच्छा लगेगा।

इधर बहुत लोग ऐसा कहते हैं कि हिन्दी के पाठकों का बड़ा संकट है, पढ़ने वाले नहीं मिलते। किताब छापकर क्या करें….? पर आप हैं न….! जो इस किताब को पढ़ रहे हैं, तो फिर आप पर आरोप कैसा….? आप ही हैं जो हिन्दी साहित्य को इस संकट से उबारेंगे। साहित्य को जिन्दा रखने के लिये आपके प्यार का ‘शक्तिप्राश’ चाहिए।

महान भाषाविद् डॉ. रामायण प्रसाद गर्ग जी ने ‘अनुभूति’ के द्वारा मेरा जो उत्साह बढ़ाया है इसके लिये मैं उनके प्रति हृदय से आभारी हूँ। सुकवि और सुप्रसिद्ध समीक्षक प्रो० सेवाराम त्रिपाठी जी ने ‘फ्लेप’ पर अपनी प्रतिक्रिया देकर, कहानियों के प्रति स्नेह प्रकट किया है। इसके लिए मैं सदैव अनुग्रहीत रहूँगा।

आपका
डॉ. सुरेश ‘पराग’ देवेन्द्रनगर पन्ना (म.प्र.)
डॉ. सुरेश ‘पराग’
पारवारिक पूरा नाम : डॉ. सुरेश कुमार द्विवेदी
जन्मतिथि01 दिसम्बर, 1955
योग्यता: एम.ए. हिन्दी, पी.एच.डी.
(शरद जोशी के व्यंग्य का अनुशीलन)

साहित्यिक उपलब्धियाँ : आकाशवाणी से एक दर्जन नाटकों का प्रसारण, कहानियों, कविताओं, रूपकों का लेखन एवं प्रसारण, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन
प्रकाशित कृति : राम की अग्नि परीक्षा, पुनर्मिलन
प्रकाशन के लिए तैयार : दो उपन्यास, दो काव्य कृतियाँ एवं काव्य संग्रह
दूरदर्शन के लिए : टेलीफिल्म ‘कठपुतली’ भोपाल दूरदर्शन से प्रदर्शित कहानी एवं संवाद लेखन
फिल्म: निर्माणाधीन बुंदेली फिल्म की कहानी एवं संवाद तथा कुछ गीतों का लेखन (इसके गीतों की रिकार्डिग बंबई में हो चुकी है)
संपादन: दशा दिशा मासिक पत्रिका अंबाह (मुरैना) से प्रकाशित में सहायक संपादन एवं भैरव पत्रिका तथा मानस विद्या पीठ में संपादकीय सलाहकार
रंगमंच: एक दिन का बादशाह एवं राम की अग्नि परीक्षा का मंचन, नृत्य नाटिका ‘सम्भवामि युगे-युगे’ की अभिकल्पना एवं निर्देशन
सम्प्रति: शिक्षक के पद पर कार्यरत
पत्राचार का पता : डॉ. सुरेश ‘पराग’
देवेन्द्रनगर पन्ना (म.प्र.)- 488333

बुन्देली झलक (बुन्देलखण्ड की लोक कला, संस्कृति और साहित्य)

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!