श्री सोहन सिंह, एक योग प्रशिक्षक हैं , जिन्होंने चीनी लोगों के बीच योग के प्रचार-प्रसार और अभ्यास को बड़े पैमाने पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। Sohan Singh Yoga का उद्देश्य सूक्ष्म स्तर पर शरीर और मन की शुद्धि करना है, अभ्यास के माध्यम से जीवन को एक आनंदमयी अवस्था में लाना है। यह शांति और आनंद की भावना भी पैदा करता है।
श्री सोहन सिंह की कहानी अदभुत है। 12 साल की उम्र में अपनी मां द्वारा योग की शुरुआत की, वह आईटी में प्रोफेसर बन गए। हालांकि, योग के प्रति प्रेम ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और वह चीन में एक पूर्णकालिक योग गुरु बन गए। 2014 में उन्होंने चीन में सोहन योग संस्थान की स्थापना की, जिसके वर्तमान में चीन भर में 10 योग केंद्र हैं, जो हठ, अष्टांग, प्रवाह योग, योग (मूल और उन्नत), चिकित्सा पाठ्यक्रम आदि सहित विभिन्न भारतीय योग पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। वह युगल योग में एक प्रशंसित विशेषज्ञ हैं। योग के माध्यम से चीन में 10 लाख से अधिक लोगों को छुआ है।
श्री सोहन सिंह ने चीन में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उत्सव में योगदान दिया। चीनी आबादी के बीच योग को फैलाने के उनके उत्साही प्रयासों को भारतीय दूतावास द्वारा भी मान्यता मिली। चीन में योग के प्रसार के उनके प्रयासों ने चीनियों के बीच बड़े पैमाने पर योग को अपनाया। उन्होंने योग से जुड़े कई मिथकों को तोड़ते हुए, इसके धार्मिक जुड़ाव सहित, चीनी जनता के बीच योग को सुलभ और स्वीकार्य बना दिया। अब उनकी योजना सोहन योग को भारत ले जाने और अपने साथी भारतीयों के कल्याण में योगदान देने की है।
मेरी कहांनी मेरी जुवानी… सोहन सिंह नमस्कार! मेरा नाम सोहन सिंह उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के बिरधा ब्लाक के एक गांव जिसका नाम बरखेड़ा है। मैं वहां का रहने वाला हूं। पारिवारिक पृष्ठभूमि काफी दयनीय और जो प्रारंभिक शिक्षा मिली हुई वह गांव की ही स्कूल से हुई है। सरकारी स्कूल से ,स्कूल क्या एक कमरा था जहां पर क्लास लगा कर दी थी। मास्टर साहब हफ्ते में दो-तीन दिन ही आते थे। उसके बाद तो फिर आप सभी को पता है उस दौर का स्कूल उस दौर की शिक्षा और उस दौर का कायाकल्प….।
कक्षा 5 की शिक्षा पूरी होने के बाद मां-बाप ने डिसाइड किया कि शहर की तरफ चलते हैं और वह भी बच्चों की शिक्षा के लिए। ज्यादा पढ़े लिखे मां-बाप तो कुछ था ही नहीं, लेकिन फिर भी एक दिव्य दृष्टि थी कि जीवन में और जीवन के रण को जीतने के लिए शिक्षा एक बहुत बहुमूल्य शस्त्र साबित होता है तो उसी संक्षेप में बोलो, फिर शहर की तरह आये। कक्षा 6 से 12 तक की जो मेरी शिक्षा है वह ललितपुर राजकीय इंटर कॉलेज से पूरी हुई।
यह जो 6 साल का समय था कक्षा 6से 12 तक का काफी मुश्किल भरा सफर था। इन्हीं 6 सालों में जीवन का जो आधार है, वह तैयार हुआ। पूरे विश्वास से एक गांव से शहर की तरफ आना। शहर के जीवन हावभाव बोलचाल भाषा का कुछ अता पता नहीं है लेकिन शहर को समझना शहर के जीवन को समझना बातचीत लोगों से करने में डर लगता था। किराए के कमरे में रहते थे हम लोग और अब रोज स्कूल जाना तो दोनों भाइयों के बीच में एक ही जी आई सी की ड्रेस थी तो कुछ दिन मै जाता था, कुछ दिन भाई जाते थे। क्यों कि यदि इकट्ठे जाते थे तो एक को तो वह भगा देते थे । प्रार्थना कर के बाद जो प्रार्थना की लाइन लगती थी, उसमें वो चेक करते थे, कौन ड्रेस में है। कौन ड्रेस में नहीं आया। कभी कबार तो मार भी पड़ती थी।
गांव में जो थोड़ी सी ज़मीन थी। पिता जो रेलवे में काम करते थे, लेकिन पिताजी ने अपने परिवार में भाई बहनों की शादी के लिए बहुत कर्जा ले रखा था तो जहां जिस जिस दिन में पेमेंट मिलती थी तो वहीं से कर्जे वाले उनसे लेकर चले जाते थे तो काफी चैलेंजिंग था जीवन। माता-पिता मेरे दोनों स्वर्गवासी और अब इस दुनिया में नहीं है। स्मृतियां हैं। उनका आशीर्वाद है और आज जो कुछ भी उन्हीं की दिव्य दृष्टि उन्हीं के दिखाए हुए रास्ते पर चल रहे हैं।
कक्षा 12 के बाद फिर डिसाइड करना था कि कहां जाया जाए तो सागर विश्वविद्यालय में मैंने बीएससी में एडमिशन लिया और वहां से मैंने बीएससी बायोलॉजी में पूरा किया। वहां का समय इंटरेस्टिंग था, चैलेंजिंग था, नया था। विश्वविद्यालय के परिवेश को समझना और आंखों के सामने बड़ा दृश्य सामने था। बहुत सुंदर विश्वविद्यालय सागर का।
सागर विश्वविद्यालय में मेरा समय 1992 से 1995 तक रहा है। इन 3 सालों में वहां में 300/- महीने में उसी में किराया देता था। उसी में है भोजन पानी होता था और मैं रोज ट्यूशन पढ़ाता था तो मै ट्यूशन पढ़ाकर में अपना खर्चा पानी निकालता था। वह गर्मियों की छुट्टी में घर नहीं आ पाता था क्योंकि उन्हीं गर्मी की छुट्टी में कोई काम ढूंढ लेता था या किसी भी तरीके से के कुछ ऐसा हो जाए कि चलो भाई थोड़ा कुछ हजार बारह सौ जमा कर लें कि वह थोड़ा बाद में काम आ जाए।
बी.एस.सी. करने के बाद फिर सोचा कि अब क्या किया जाए। क्या नौकरी मिलेगी? संभावना ज्यादा थी नहीं। फिर सोचा कि जो उस टाइम का वर्तमान का परिदृश्य था। जॉब हंटिंग के लिए तो क्या किया जाए तो उस टाइम पर कंप्यूटर काफी नया-नया था देश में तो एप्टेक कंप्यूटर करके एक संस्था थी। वहां से मैंने फिर इंदौर जाकर वहां से मैंने 6 महीने का डिप्लोमा किया। दिन में पढ़ाई करता था इस्टीट्यूट में और रात को जॉब करता था तो उसे इतनी आय नहीं हो जाती थी कि किराया रहना खाने का निकल जाता था।
एप्टेक से कंप्यूटर करते हुए जॉब करते हुए फिर सोचा कि कंप्यूटर में काफी चीज़ें है सामने हो सकता है अच्छा दरवाजा खुले जीवन के लिए दाल रोटी कमाने के लिए परिवार का थोड़ा सहयोग करने के लिए तो फिर मैंने डिसाइड किया कि अब कुछ इसमें डिग्री वगैरह की जाए तो फिर उस टाइम पर मैंने मध्यप्रदेश का जीमैट होता था। उस टाइम पर मैंने उसको निकाला और एमसीएम में मुझे एडमिशन मिला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में। मास्टर ऑफ कंप्यूटर मैनेजमेंट 2 साल का डिग्री मास्टर डिग्री प्रोग्राम और यह भारत का पहला मास्टर डिग्री प्रोग्राम था जो मैनेजमेंट और कंप्यूटर में एक साथ शुरू किया था सरकार ने मै उसके पहले बैच का हूँ ।
जीवन का रूटीन वही था, दिन में पढ़ाई करने विश्वविद्यालय जाना शाम को या फिर रात को जो भी काम मिल जाए, वह करना तो मैं कंपनी में काम करता था। ओसवाल डाटा प्रोसेसिंग रात को 12:00 से सुबह 6:00 तक काम करता था। वहां पर 7:00 बजे हॉस्टल पहुंचता था। सोता था 2 घंटे 9:30 बजे फिर निकल जाता था। विश्वविद्यालय क्लास के लिए कर वहां जो लंच ब्रेक होता था, उसमें कहीं सो जाता था। मैदान में या क्लास रूम में तो इस तरीके से लाइफ मैनेज करता था।
इंदौर से एमसीएम खत्म करने के बाद फिर मेरे पास दो ऑप्शन थे कि मैं भारत में कोई जॉब ढूंढूं या फिर विदेश की तरफ रुख करूं तो मैंने तय किया कि मैं थोड़ा रिस्क लूंगा और फॉरेन में जॉब ढूंढूं । तो मैं सन 2000 में थाईलैंड गया। जॉब खोजिने। फिर वहां पर 3 साल जॉब की। उसके बाद फिर कुछ अलग देशों में मैंने नौकरी है कि जैसे पोलैंड है दो चार जगह और फिर चाइना में पहुंचा और यहां पर मुझे करीब 18 साल होने को आया।
पैसे से देखें तो परिवार में कुछ था नहीं। कई दिवाली हमने से गुजारी कि घर में भोजन नहीं बना है। दिवाली वाला लेकिन दूसरी तरफ से देखें तो जीवन में बहुत समृद्धता थी। परिवार काप्रेम आपसी समरसता आज तक मैं और मेरे भाई और मेरी बहन के बीच है। यह सारा उसकी दरिद्रता वाले टाइम पर हुआ है कि हम एक दूसरे से इतना मजबूत एक संबंध क्रिएट कर पाए ।
पैसे से अमीर होना तो आसान बात है लेकिन जीवन से अमीर हो जाना कि आपके जीवन में जो है जो समृद्धता है जो शांति है जो स्ट्रगल के प्रति आपकी डेडीकेशन है। बड़े बड़े अमीरपन से भी ज्यादा होता है। बड़े-बड़े लोगों में पैसे से जो अमीर होते हैं, उनके पास से बड़ी कमी पाई जाती है इस चीज । अमीर हो ना पैसे से नहीं तौल सकते हैं, लेकिन आज के जमाने में जो आम परिभाषा, सफलता या अमीर होने की जगह पैसे से ही होती है।
तो इसी दीन –दरिद्र परिवार की पृष्ठभूमि जो मैंने आपको बताई मां रोज योग करती थी। मां प्राणायाम करती थी। ध्यान करती थी तो मैंने मां से पूछा कि आखिर यह जो ध्यान में बैठ जाते हो। आप यह सांस लेते से होता क्या है तो मां बोली के भीतर से हिम्मत आती है। शक्ति मिलती है कि मैं परिवार का प्रबंधन ठीक से कर सकूं, जो दो –तीन सौ रुपये महीने के लिए अपने पास होते हैं तो भीतर से दुख नहीं होता है, हिम्मत मिलती है।
तो मां की शक्ति संसार की उपापोह से लड़ने के लिए जो मिली वह योग से मिली। कहीं ना कहीं इनडायरेक्टली वो छाया मेरे ऊपर पडी, मैं मां से पूछता गया धीरे-धीरे करके चीजें मैं करता गया मां के साथ तो भीतर से वह ऊर्जा बंधी । मैं तो ज्यादा जानता नहीं था, लेकिन कुछ चीजें बदलती गईं , क्रिएटिव ट्रांसफॉरमेशन भीतर से होता रहा ।
जब मैं विश्वविद्यालय पहुंचा, सागर तो वहां पर प्रोफेसर साहब थे तो उन्हें एक दिन क्लास में कहा कि यदि आप अपने लेफ्ट टो राइट ब्रेन को एक साथ ही उस करना चाहते हो तो योग किया करो। योग एकमात्र ऐसी विधा है जो आपके दोनों मस्तिष्क को यूज करना आप को सिखाती है। वरना ज्यादातर लोग एक ही तरफ का करपाते हैं तो फिर मैंने योग में अपनी रुचि और बढ़ा दी।
विश्वविद्यालय में कुछ योग की फ्री क्लासेस वगैरा भी होती थी तो मैं वहां जाता जाया करता था। थोड़ा पूछता था जिज्ञासु बहुत था मैं बहुत करता था। कई बार लोग थप्पड़ भी मार देते थे कि यह उल्टा सीधा पूछ लेता है तो वह सारी यात्रा का हिस्सा रहता है। जिज्ञासु होना पूरी बात हुई जिज्ञासा सही आदमी फिर मुक्षा की तरफ जाता है इन तीन सालों में सागर विश्वविद्यालय के दौरान योग मेरे जीवन में गहराता गया और जब मैं इंदौर पहुंचा और जीवन के बड़े संघर्ष की तरफ में गया तो योग की ऊर्जा योग के जीवन में बहुत सहायता की रोज सुबह मेरा योग से शुरू होता था। यह जो मैं रात को पार्ट टाइम जॉब करता था। तीन-चार घंटे बस सो पाता था और मैं 2 साल ऐसा रूटीन रहा इंदौर में कि 5 घंटे से ज्यादा सो नहीं पाया। वह भी टुकड़ों में सोना पड़ता था क्योंकि जॉब करना पड़ता था सपोर्ट करने के लिए अपने आप को।
वो जो 5 घंटे की नींद थी। वो योगनिद्रा थी। ऐसे सोता था कि जैसे मर गया हूं और वही आज है। 5 घंटे साडे 5 घंटे सोता हूं, लेकिन ऐसे कि मर जाऊं। जब साडे 5 घंटे बाद उसने तुझे से नया जीवन है। ऊर्जा से ओतप्रोत सकारात्मक से भरा हुआ और संसार के उन्मुख खड़ा हूं। बहुत ही पॉजिटिव एनर्जी के साथ। संघर्ष के दिनों में मैंने लेखन बहुत किया है। मैं बुंदेलखंडी में लिखता हूं। इंग्लिश में लिखता हूं हिंदी में लिखता हूं। पंजाबी में लिखता हूं। गज़लें,दोहे, कविताएं यह मैं लिखता हूं।
बुंदेली मिट्टी से मैं आता हूं और बुंदेली भाषा से मेरा जुड़ाव है ,अनगढ प्रेम है क्यों कि मेरी मां बोली है। जब कान में पहली आवाज पड़ी तो वह मां की आवाज थी और वह बुंदेली भाषा की आवाज थी तो बुंदेली भाषा को आगे बढ़ाने के लिए बहुत ही प्रयासरत रहता हूं। बुंदेली भाषा में दोहे लिखता हूं, व्यंग लिखता हूं, कविता लिखता हूं और कोशिश करता हूं कि सोशल मीडिया के माध्यम से अपने बुंदेली भाई बहनों के सामने रखूं और अपनी मां बोली के रिस्पेक्ट को उनके सामने रखूं कि आप जो चाहे जिस भी पृष्ठभूमि से आते हैं, जिस भाषा से आते हैं, उसका सम्मान करें और उसको बोलना में गर्व महसूस करें।
एक मेरा दोहा है जिसमें सारे संघर्ष की देशना समा जाती है कि
देखा देखी देख कर देखन आ बसै , बूंद बूंद गागर में सागर आ बसै ।
बुंदेली भाषा में जो भावों का जो चित्रण है, वो इतना गहरा होता है। इतना साक्षात होता है कि शायद ही वह मेरी किसी कृति में ऐसा आ पाये…… ओ री बैठी घाम में जे ठंडन के दिन,कथरी लगे न थेगरा सुई धागा के बिन । अभिव्यक्ति और उसका साकार आप देखें। कि धर के गागर मूड़ पै चली कुआं से गांव, ककरा-पथरा गैल में गोरी उपनयें पांव।।
फिर मेरी यात्रा! थाईलैंड से लेकर आज तक। यही रहा है कि मैं दो से तीन जॉब सिमुल्टेनियसली करता हूं। आईटी का है योगा का है और मैनेजमेंट का कभी मैंने इंग्लिश क्लासेस भी पढ़ाए हैं। मैंने बहुत सारे अलग-अलग चीजों के लिए काम किया है इसलिए कि जीवन को अपडेट करता हूं जितना आप एक्सप्लोर करते जाएंगे, संभावना उतनी ही बढ़ती जाती है।
सोहन योग कोर्स के बारे में सोहन योग एडवांस्ड प्रैक्टिस भारतीय योग शिक्षक सोहन द्वारा तैयार की गई योग की एक पूर्ण-स्कोप प्रणाली है। आसन (आसन) अभ्यास को प्राणायाम और ध्यान के साथ एकीकृत करते हुए, सोहनयोग उन्नत कार्यक्रम में योग के सभी आठ अंगों को शामिल किया गया है। इस प्रणाली में ऐसे अभ्यास शामिल हैं जो योग के लिए नए लोगों द्वारा अपनाए जा सकते हैं और धीरे-धीरे एक उन्नत स्तर के योग अभ्यास का निर्माण करने के लिए लोगों को आगे ले जाते हैं। सूक्ष्म स्तर पर शरीर और मन की शुद्धि, अभ्यासी को जीवन की आनंदमयी अवस्था में ले आती है। यह शांति और आनंद की भावना भी पैदा करता है, जो स्वयं के एकीकरण, योग की वास्तविक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए आधारशिला हैं।
बहुत से लोग पूछते हैं कि क्या वे पूर्ण योग अभ्यास करने के लिए तैयार हैं। सच्चाई यह है कि जो कोई भी इसके लिए तैयार महसूस करता है और इन प्रथाओं को अपनाने की इच्छा रखता है, वह ऐसा कर सकता है। तकनीकों को सीखना मुश्किल नहीं है, हमें केवल उन्हें सीखने की इच्छा और समर्पण की आवश्यकता है और उन्हें हमारे जीवन को बदलने की अनुमति देना है।
सभी सोहन योग अभ्यासों को हमारे उन्नत योग पाठ्यक्रम पुस्तक के पाठों में विस्तार से समझाया गया है। सोहनयोग साइट पर उपलब्ध मुख्य पाठों में कई अतिरिक्त चीजें भी हैं। हम मानते हैं कि योग सिखाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने आप को पूरी तरह से एक योगिक जीवन शैली में डुबो दें और अभ्यास करें ताकि आपका शिक्षण आपके अपने व्यक्तिगत अनुभव से आए।
शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के मुख्य बिंदु आसन और शरीर को समझने के लिए शरीर रचना विज्ञान का ज्ञान एक महत्वपूर्ण घटक है। एक अच्छा शिक्षक बनने और अपने छात्रों के लिए एक गहरी और सुरक्षित अभ्यास प्रदान करने के लिए मुद्राओं को समझना एक महत्वपूर्ण तत्व है। हम इसे समझने योग्य बनाने के लिए अभ्यास के हर पहलू को तोड़ते हैं।
दर्शन आपको योग दर्शन की गहन समझ प्रदान की जाएगी। दर्शन योग पथ की एक स्पष्ट दृष्टि देता है जो न केवल आपको अपने पथ पर मार्गदर्शन करने में मदद करेगा बल्कि आपको दूसरों को उनके मार्ग पर प्रोत्साहित करने के लिए उपकरण भी देगा।
सही और प्रभावी योग आसन अभ्यास हमारे योग शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान, हमारे अनुभवी शिक्षकों की देखरेख में प्रतिदिन 3 घंटे, अभ्यास और आसनों को टुकड़ों में तोड़ने में व्यतीत होंगे। यह आपको मुद्राओं के सही संरेखण की पूरी समझ देगा।
व्यावहारिक शिक्षण अनुभव सभी छात्रों को व्यावहारिक कक्षाओं का संचालन और नेतृत्व करना आवश्यक है। यह कक्षाओं की तैयारी के डर और घबराहट को दूर करने में मदद करता है।
अनुशासन अनुशासन योग और योग शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। इस अनुशासन का अनुभव किए बिना यह समझना संभव नहीं है कि योग क्या है। यह योग शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रम, पर्यावरण आपको पूरे 2 महीने तक इस अनुशासन को समझने और उसका पालन करने का अवसर देता है जो एक योग शिक्षक के रूप में आपका सबसे मजबूत स्तंभ बन जाएगा।
सुविधा सोहनयोग प्रशिक्षण केंद्र में पक्षियों के चहकने की आवाज और ताजे पानी के झील के दृश्य के साथ ताजी हवा की प्रचुरता है, जो आपको प्रकृति से जुड़ने और गहरे स्तर पर सीखने का अनुभव करने में मदद करेगा। योग यात्रा में प्रकृति के करीब होना एक महत्वपूर्ण कारक है।
हमारी शिक्षाओं में कई उपकरण और तकनीकें शामिल हैं जो छात्रों को एक शिक्षक के रूप में अपनी यात्रा के माध्यम से मार्गदर्शन करती हैं, जिससे प्रत्येक स्नातक को कौशल और ज्ञान की मजबूत नींव के साथ उभरने की अनुमति मिलती है। हम मानते हैं कि योग का मार्ग एक आजीवन यात्रा और प्रतिबद्धता है। हमारा उद्देश्य है कि सभी छात्र विकास का अनुभव करें, खुद के साथ एक गहरा संबंध और दूसरों के लिए इस यात्रा को कैसे पेश किया जाए, इसकी एक मजबूत समझ। हमारे शिक्षक न केवल आसनों में बल्कि योग पथ में भी अत्यधिक अनुभवी हैं। आप उनकी जीवन शैली को जीकर योग के गहरे मार्ग को जानेंगे।
Very inspiring story!
thanks