Homeबुन्देलखण्ड के लोक कलाकारRakesh Ahirwar राकेश अहिरवार-रावला लोक कलाकार

Rakesh Ahirwar राकेश अहिरवार-रावला लोक कलाकार

बुंदेली लोक विधा रावला  Bundeli Folk Art (Rawla) के सच्चे समर्पित कलाकार, पुरुष अभिनेत्री और गायक Rakesh Ahirwar हैं सच्चे साधक और माटी के लाल। दुनिया की सबसे कठिन कला होती है पुरूष और स्त्री की भूमिका एक साथ निभाना।

राकेश एंड श्रीलाल रावला पार्टी  बुन्देलखण्ड की अद्भुत कलाकार

श्री राकेश अहिरवार को  बचपन से संगीत का शौक था गांव में उस समय दो-तीन रावला पार्टी हुआ करती थी जिन को देखते हुए सुनते हुए मन में चाहत हुई कलाकार बनने की फिर धीरे-धीरे पार्टी के लोगों से मिले थोडा बहुत सीखा और पहला कार्यक्रम 14 साल की उम्र में किया उस समय बहुत संकोच हुआ है। शुरुआत शौक के तौर पर हुई थी धीरे-धीरे शर्म और संकोच खत्म होने लगी लोगों ने तारीफ की, मन को अच्छा लगने लगा ।

श्री राकेश अहिरवार गरीब परिवार से थे आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी रावला में बतौर कलाकार काम करते हुए कुछ आमदनी होने लगी फिर इसे बतौर व्यवसाय स्वीकार कर लिया । शुरुआती दिनों में अलग-अलग रावला पार्टियों के साथ कार्यक्रम करते रहे जहां से बुलावा आ जाता चले जाते हैं ।

मुख्यता: रावला का प्रचलन बुंदेलखंड के गांव-देहात की शादियों मे है। ये सिलसिला लगभग दस साल तक चलता रहा फिर मित्र श्री लाल से भेंट हुई और सोचा कि क्यों ना हम अपनी खुद की पार्टी बनाए खुद का दल बनाए ।

विचारों का सामंजस्य अच्छा रहा और 1910 में हमने अपना दल बना लिया “राकेश एंड श्रीलाल रावला पार्टी” अपनी पार्टी बनाने के बाद लगभग 500 प्रोग्राम कर चुके हैं और अब हमारी जीविका का साधन भी यही “रावला लोक संगीत” है ।

राई – बुन्देलखण्ड का लोक नृत्य 

राकेश अहिरवार
पिता – श्री फुल्ला अहिरवार
माता – श्रीमती दस्सु बाई
जन्मतिथि –1जनवरी 1981
पता –ग्राम -हैदरपुर,पोस्ट- डूंडा,जिला टीकमगढ (म.प्र.)
दल का नाम –राकेश एंड श्रीलाल रावला पार्टी
दल नेता का नाम – राकेश एंड श्रीलाल अहिरवार
दल में सदस्यों की संख्या – 8-10
पता- ग्राम – हैदरपुर
जनपद- टीकमगढ (म.प्र.)
फोन नम्बर-626743 4204
कला की विधा/विधाओं का नाम – मर्यादित  बुंदेली रावला
अब तक की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण- 20 साल से इस  विधा में काम कर रहे हैं और यही “मर्यादित बुंदेली रावला” ही जीविका का साधन है ।

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ. गायत्री वाजपेयी प्रोफेसर हिंदी महाराजा छ on Dr. Shyam Sundar Dube डॉ. श्‍याम सुंदर दुबे 
डॉ. गायत्री वाजपेयी प्रोफेसर हिंदी महाराजा छत्रसाल बुन्देल on Dr. Shyam Sundar Dube डॉ. श्‍याम सुंदर दुबे 
राजदीप सिंह on Mahakavi Isuri महाकवि ईसुरी
विजय शंकर करौलिया on Bundeli Jhalak बुन्देली झलक
गुंजन on Bade Sab बड़े साब
राज पेन्टर बुंदेलखंडी on Ramsahay Pandey रामसहाय पाण्डे
राज पेंटर बुन्देलखण्डी on Raja Parimal Ka Vivah राजा परिमाल का विवाह (आल्हा )
राज पेन्टर बुंदेलखंडी on Bundelkhand Ki Mahima बुन्देलखण्ड की महिमा
राज पेंटर बुंदेलखंडी on Bundeli Lokkavya Srijan बुन्देली लोककाव्य सृजन
राजदीप सिंह on Bundeli Jhalak बुन्देली झलक
विजय करौलिया on Bundeli Jhalak बुन्देली झलक
दिनेश शर्मा "चिन्तक" खाती बाबा झांसी उत्तर on Bundeli Jhalak बुन्देली झलक
सुमित दुबे on Bundeli Jhalak बुन्देली झलक
प्रीति बबेले कौशिक on Bundeli Jhalak बुन्देली झलक
error: Content is protected !!