Homeबुन्देलखण्ड की लोक संस्कृतिबुन्देलखण्ड के लोकगीतKachchi Eent Babul कच्ची ईंट बाबुल देरी ने धरियो

Kachchi Eent Babul कच्ची ईंट बाबुल देरी ने धरियो

Kachchi Eent Babul Deri Ne Dhariyo
कच्ची ईंट बाबुल देरी ने धरियो,
बेटी ने दियो परदेश मोरे लाल ।

कोना ने तुमखों जनम दये हैं, कौना दये परदेश मोरे लाल ।
काहे खों तुमने जनम दये हैं, काहें खों परदेश मोरे लाल ।

आंगन ऊवन खों जनम दये हैं, सुख खों दीनी परदेश मोरे लाल ।
अंगना में बैठे बनी जी के बाबुल, सुनरा खों लाओ बुलाय मोरे लाल ।

सुनरा आये जेवर गढ़ाये, बेटी खों दये पैराय मोरे लाल ।
पैर ओढ़ बेटी मंडप में निकरी, बेटी के वदन मलीन मोरे लाल ।

धीरे-धीरे पूछें संग की सहेलियां, काहे बेटी बदन मलीन मोरे लाल।
हम गोरे हमरे भैया हैं गोरे, सांवरे मिले भरतार मोरे लाल ।
सांवरे सांवरे जिन कहो बनी, सांवरे हैं गोकल के श्याम मोरे लाल ।

मंडप से लोटी महलों में आयी, सखियां रही हैं सजाय मोरे लाल।
भीतर बन्नी खाँ सखियों सजा रयीं, बाहर ठांड़े कहार मोरे लाल ।
पकर हतुलिया डुलिया में धर दई, बेटी खों दयी बैठाय मोरे लाल ।

कोनों के रोंये गंगा जमना बहत हैं, कोना के रोंये सागर ताल मोरे लाल ।

माता के रोंये गंगा जमना बहत हैं, बाबुल के रोंये सागर ताल मोरे लाल ।
भैया के रोंये से छतियां फटत हैं, भाभी के जियरा मलीन मोरे लाल ।

कौना ने दीनी सोने की इंटिया, कौना ने लहर पटोर मोरे लाल ।
कौना ने दीने चढ़त के घुड़ला, कौना ने दये सिन्दूर मोरे लाल ।

बाबुल ने दीनी सोने की इंटिया, मैया ने लहर पटोर मोरे लाल ।
भैया ने दौने चढ़त के घुड़ला, भाभी ने सिन्दूर भर मांग मोरे लाल ।

बाबुल की ईंट खरच हो जेहे, फट जेंहें लहर पटोर मोरे लाल ।
भैया के घुड़ला सजन मोरे जोतें, भरहें जनम भर मांग मोरे लाल ।

एक बेटी अपने पिता से कहती है कि हे पिता महाराज! आप कभी द्वारे पर कच्ची ईंट न लगवाना और न ही बेटी का विवाह दूर देश करना बेटी को किसने जन्मा था तथा परदेश किसने दिया ? जब लड़की का विवाह करके परायी ही करना था तो फिर जन्मा ही क्यों था ? विवाह में कन्या पक्ष के घर जब बारात आती है, उस समय बारात के स्वागत में द्वारचार आदि होते हैं उसे ऊबनी कहा जाता है पिता कहता है कि बेटी का जन्म हुआ है तो उसका विवाह तो होगा ही।

विवाह में बारात आने पर ऊबनी होगी, उसी कबनी नामक पुण्य कर्म हेतु बेटी को जन्मा था। हिन्दू धर्म में विवाह के लिए यश का संबोधन दिया जाता है। बेटी के सुखी भविष्य के लिए उसके हाथ पीले करके विदा की जाती है। विवाह के पूर्व बेटी के पिता ने स्वर्णकार को बुलवाया, स्वर्ण आभूषण बनाये वे सब कन्या को पहना दिये गये जब बेटी सजधज कर विवाह मंडप में जाती है तो अचानक वह उदास हो जाती है, उसकी सखियाँ धीरे से पूछती हैं कि सखी तुम उदास क्यों दिखती हो ?

वह कहती है कि मैं यह सोचकर उदास हूँ कि मेरा तथा मेरे भाई-बहिनों का रंग गोरा है। लेकिन मेरे पिता ने मुझे साँवले रंग का वर ढूँढ़ा है ? सखियाँ बोलीं कि तुम ऐसा क्यों सोचती हो ? साँवला होने में कोई बुराई नहीं है जब साक्षात् श्रीकृष्ण, श्रीराम साँवले थे तो फिर वर का साँवला रंग होना तो सौभाग्य ही मानो मंडप तले भाँवर पड़ी, भाँवरों के पश्चात् दुल्हन की सखियाँ उसे विदाई हेतु तैयार कर रही हैं क्योंकि बाहर कहार डोली ले जाने के लिए तैयार बैठे हैं। अंत में वह घड़ी भी आ गई जब बेटी को विदा किया जाता है उसे बाहर ले जाकर डोले में बैठा दिया

गया। बेटी को विदा करते समय परिजनों की आँखों से गंगा-यमुना की तरह अश्रु प्रवाहित हो रहे हैं। घर में कौन इतना रो रहा है कि जैसे उसकी आँखों से नदी के पानी के समान आँसुओं की धार बहती है ? किसके रोने से इतने आँसू निकल रहे हैं कि जिनसे समुद्र भर जाये ? माता-पिता के रोने से आँसुओं की नदी है। भाई जब रोते हैं तो उन्हें देखकर कलेजा ही फटा जाता है लेकिन भाभी तो उदास हैं वे नहीं रोतीं ?

दहेज में किसने सोना दिया, किसने वस्त्र दिये ? किसने हाथी घोड़े तथा किसने सिन्दूर दिया ? पिता ने स्वर्ण आभूषण, माता ने वस्त्र, भाई ने घोड़े तथा भाभी ने सिन्दूर दिया। पिता का दिया स्वर्ण कभी खर्च भी हो जायेगा, माता के दिये वस्त्र फट जायेंगे, भैया का दिया हुआ घोड़ा उसके पति की सवारी के काम आयेगा लेकिन भाभी का दिया हुआ सिन्दूर तो वह पूरे जीवन अपनी माँग में सजायेगी, वही तो स्थायी है।

नैना बंध लागे कहियों हो चोली बंध लागे कहियो

admin
adminhttps://bundeliijhalak.com
Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!