Homeबुन्देलखण्ड के साहित्यकारSurendra Sharma Shirish सुरेन्द्र शर्मा "शिरीष"

Surendra Sharma Shirish सुरेन्द्र शर्मा “शिरीष”

श्री सुरेन्द्र शर्मा “शिरीष” का जन्म पनवाड़ी, जिला हमीरपुर (उ. प्र.) मे 27 जुलाई 1945 को हुआ था।  Surendra Sharma Shirish माँ सरस्वती के अनन्य साधक थे। उन्होंने बाल्य काल से ही हिंदी एवं बुंदेली भाषा मे गीत, मुक्तक, कविताओं के माध्यम से अपनी साहित्यिक साधना प्रारंभ की ।

विशेष विवरण
श्री सुरेन्द्र शर्मा “शिरीष” के पिता पं. श्री मथुरा प्रसाद शर्मा एवं माता जी श्रीमती राम दुलारी शर्मा बचपन मे ही इन्हें पनवाड़ी से लेकर छतरपुर आ गए और यही उनकी शिक्षा, दीक्षा हुई, पिता जी छतरपुर नगर के प्रसिद्ध वैद्य हुए, जबकि बड़े पिता जी पं. कुंज बिहारी शर्मा जी प्रसिद्ध वैद्य के साथ साथ नगर पालिका छतरपुर के प्रथम चेयरमैन बने।

बचपन से ही प्रतिभावान रहे Surendra Sharma Shirish जी ने बी. ए. , बी. ऐड. छतरपुर से ही उत्तीर्ण करने के बाद अति गरीबी के चलते एम. ए. द्वितीय वर्ष मे प्रवेश नही ले पाए और पढाई छोड़कर मजबूरीवश छतरपुर से बहुत दूर एक आदिवासी गाँव केशवाहि (शहडोल) मे आदिवासी कल्याण विभाग के आश्रम मे मात्र 300 रुपए के वेतन पर बच्चों को पढ़ाने का कार्य प्रारंभ किया।

सुरेन्द्र शर्मा “शिरीष” के पिता जी के आकस्मिक निधन के बाद इनका संपूर्ण जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा, माता जी, छोटे भाई एवं तीन बहनो की ज़िम्मेदारी बहुत छोटी उम्र मे उन पर आ गई ।

अपने तीन सौ रुपए के वेतन मे से एक भाग अपनी माँ और तीन बहनो के लिए छतरपुर भेजते, दूसरा भाग डॉक्टरी पढ़ रहे अपने छोटे भाई को मेडिकल कॉलेज, रीवा भेजते और जो बचता उससे अपनी पत्नी और तीन बच्चों का भरण पोषण करते हुए बेहद विषम परिस्थितियों मे परिवार को संभाला और निरंतर साहित्य साधना के क्षेत्र मे अग्रसर रहे।

श्री शिरीष जी के प्रेरणाश्रोत थे श्रीयुत पं. श्रीनिवास जी शुक्ल, पं. शारदा प्रसाद उदैनिया ‘मनोज’ , पं. श्री भैया लाल जी व्यास, इन सभी ने साहित्य की अनुपम साधना से श्री सुरेन्द्र शर्मा जी को अलंकृत किया और अपने विशद मार्गदर्शन से प्रोत्साहित किया और बड़े बड़े मंचों पर गोपाल दास ‘नीरज’ , आनंद वक्सी , उमर खैयाम जैसे गीतकार और गज़लकार के सम्मुख काव्य पाठ का अवसर देकर निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया ।

छतरपुर नगर को साहित्य के लिए श्रेष्ठ साधक देने का गौरव भी प्राप्त है, पं. वंशीधर जी व्यास, पं. श्रीनिवास जी शुक्ल, विध्य कोकिल, पं. भैया लाल जी व्यास, श्री गंगा प्रसाद जी बरसैयाँ, श्री नर्मदा प्रसाद जी गुप्त के साथ मधुर  कंठ, मृदु भाषी पं. श्री सुरेन्द्र शर्मा शिरीष जी का नाम सदैव साहित्य के क्षेत्र मे जगमगाता रहेगा ।  

लगभग 80 वर्ष की आयु मे भी रचनात्मक रूप से सक्रिय रहते हुए उन्होंने संसार सागर से विदाई ली, पं. श्री सुरेन्द्र शर्मा ‘शिरीष’ जी मृत्यु 10 जनवरी 2023 को हुई ।  वे हिंदी और बुंदेली भाषा के प्रतिस्ठित कवि थे, उन्होंने हिंदी और बुंदेली की कई रचनाओ को संबद्ध किया।

मत खीचो अंतर रेखाए उनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना है । उनकी रचनाएँ ब्लॉग एवं प्रतिलिपि एप पर भी उपलब्ध हैं।

व्यक्तित्व मे समाहित उपनाम
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध व ललित निबंध है “शिरीष के फूल”, श्री सुरेन्द्र शर्मा शिरीष जी के नाम के साथ लगने वाला उपनाम शिरीषआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का आशीर्वाद था जो उनके नाम के साथ जीवन पर्यंत रहा और अब अमर हो गया।  

शिरीष शब्द की रचना जैसे श्री सुरेन्द्र शर्मा शिरीष जी के लिए ही हुई थी, उनके पूरे जीवन काल मे इस शब्द ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है या यूं कहें कि उनका सारा व्यक्तित्व ही ‘शिरीष’ शब्द मे समाया हुआ है |

‘शिरीष’ का फूल संघर्ष का प्रतीक है, वह अपनी कठोरता और कोमलता से जीने की कला सिखाता है, वातावरण की नितांत प्रतिकूलता मे खिलने की शक्ति एक मात्र शिरीष के फूल मे है, इसे कालजयी अवधूत भी कहा गया है। कठोरता और कोमलता के साथ चिंतनशीलता, सौंदर्य और मस्ती, सहिष्णुता और प्रसन्नता, अनासक्ति और साहस, सदास्थिरता और एकरूपता आदि कुछ ऐसी विशेषताएँ शिरीष मे हैं जो हर किसी को अभी भूत कर लेतीं हैं ।  

श्री सुरेन्द्र शर्मा शिरीष जी के व्यक्तित्व की खासियत उनका सहज, सामाजिक और साहित्यिक होना भी है, उन्होंने समाज व देश के हित मे अपनी रचनाओ से कई महत्वपूर्ण संदेश दिए हैं और निरंतर समाज व देश को जागरूक करने, आम जन के दुख दर्द को शासन व ओहदेदारों तक पहुँचने का कार्य अपनी रचनाओं के द्वारा किया है | एक ओर जहाँ श्रृंगार रस से ओतप्रोत रचनाएँ अपनी नितांत सुंदरता से मंत्रमुग्ध करती हैं वहीं ओझ से पूर्ण रचनाएँ देश प्रेम के लिए झकझोरतीं हैं |

श्री सुरेन्द्र शर्मा “शिरीष” जी की प्रमुख रचनाएँ –
1- मत खीचो अंतर रेखाएँ (काव्य संकलन) 14 सितंबर 1974।
2- मलय मंगालाचरण – 1995।
3- आदरणीय दुखो चिंताओ – 1983।
4- घायल विश्राम नही देना – 1978 ।
5- चंदन सा हो जायेगा – 1970 ।
6- आदर्श सजाना व्यर्थ है – 1973 ।
7- मै गाये देता हूँ – 1980 ।
8- हम अनेकता मे एकता के गीत गाएंगे – 1977 ।
9- सुंदरता का आत्म क्षोभ – 1984 ।
10- जागृत सुला दिया ।
11- जीवन क्या है, प्रश्न चिंन्ह है? –   1964 ।
12- योजनाएं लाल फीतों मे बंधी हैं – 1967 ।
13- भारत देश हमारा, हमे प्राणों से भी प्यारा – 1972 ।
14- मधूक के फूल – संपादन (1972) ।
15- अथाई की बातें (बुंदेली तिमाही पत्रिका) संपादन (2011-13) ।
16- अभीनंदन ग्रंथ – पं. श्रीनिवास शुक्ल – संपादन (1/09/2006) ।
17- अभीनंदन ग्रंथ – विध्यकोकिल पं. श्री भैया लाल व्यास – संपादन (26/10/2008) ।
18- स्म्रति शेष – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त- संपादन (2006) ।
19- श्रद्धांजलि – मंजूषा- स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मंत्री (म. प्र.) माननीय जंग बहादुर सिंह जी – संपादन – 05/05/2017 ।

20- राष्ट्र गौरव – छतरपुर दर्शन स्मारिका – संपादन (24/05/1993) ।
21- अभिनंदन ग्रंथ – जगदंबा प्रसाद निगम – संपादन ।
22- अभिनंदन ग्रंथ – राजा प्रताप सिंह बुंदेला – संपादन (फरबरी 2010) ।
23- बुंदेली शब्दकोश – अप्रकाशित ।

सामाजिक संस्थाओं मे योगदान
1- सरस्वती सदन पुस्तकालय पब्लिक ट्रस्ट, छतरपुर – अध्यक्ष पद
2- बुंदेलखंड केसरी छत्रसाल स्मारक पब्लिक ट्रस्ट, छतरपुर – सचिव पद
3- श्री नंदी वाला मंदिर पब्लिक ट्रस्ट, छतरपुर – सचिव एवं कोषाध्यक्ष पद
4- बुंदेली उत्सव समिति, बसारी – संरक्षक

बेड़िया समाज के उत्थान मे योगदान
आदिमजाति कल्याण विभाग के बिजावर आश्रम मे कार्यरत रहते हुए 14 वर्ष तक कार्य किया और वहाँ के निवासी बेड़िया जाति के उत्थान मे महत्वपूर्ण योगदान दिया । बेड़िया समाज के बच्चों को प्रेरित कर आश्रम मे शिक्षा दिलवाई और बेड़िया जाति की बच्चियों को वेश्यावृति के घिनोने कार्य से निकालकर मुख्य धारा मे लाकर उनका जीवन परिवर्तित किया ।

बेड़िया समाज के कई बच्चे आज अच्छी नौकरियां पाकर शादी करके अपना घर बसा चुके हैं और अपने रिश्तेदारों और समाज को भी मुख्य धारा मे ला रहे हैं, वह सभी आज श्री सुरेन्द्र शर्मा ‘शिरीष’ जी के पुनीत योगदान को याद करके उनका धन्यवाद प्रेषित करते हैं ।

प्रसस्ति पत्र एवं सम्मान –
1- हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज – स्म्रति चिंह। 
2- मध्यप्रदेश राष्ट्र भाषा प्रसार समिति, भोपाल – स्म्रति चिंह (2014) ।
3- बुंदेलखंड संस्कृति विकास परिषद, बांदा, उ. प्र. – स्म्रति चिंह ।
4- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन, छतरपुर – स्म्रति चिंह (2019) ।
5- श्रीधर शास्त्री, प्रधानमंत्री हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग – स्म्रति चिंह ।
6- बुंदेलखंड गौरव सम्मान – स्म्रति चिंह, मऊसहानिय (छतरपुर) ।
7- महाराजा छत्रसाल गौरव सम्मान, मऊसहानिय (छतरपुर) – 2017 ।
8- महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर – राष्ट्रीय संघोष्ठि – स्म्रति चिंह (2016) ।
9- मध्यप्रदेश तुलसी साहित्य अकादमी, छतरपुर – तुलसी सम्मान (2018) ।
10- छतरपुर गौरव सम्मान – लयन्स क्लब इंटरनेशनल – सम्मान पत्र ।
11- बुंदेली उत्सव समिति, बसारी द्वारा आरंभ से अब तक प्रतिवर्ष सम्मान ।
12 – मेला जलबिहार समिति नगरपालिका, छतरपुर द्वारा कई वर्ष तक सम्मानित ।
13 – आकाशवाणी छतरपुर की ओर से कई बार सम्मानित ।
14 – श्री भृगु (भार्गव) ब्राह्मण समाज, छतरपुर की ओर से अभिनंदन प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय, छतरपुर – सम्मान समारोह – 04 फरवरी 2022 ।

भैयालाल व्यास का जीवन परिचय 

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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