बुन्देलखण्ड की नदियों की प्रकृति पर्वतीय है क्योंकि यह पर्वतों से जन्मी और पर्वतों के साथ ही अपनी यात्रा करती हैं। Bundelkhand Ki Nadiyan ग्रीष्म ऋतु में नाले के रूप ले लेतीं हैं या फिर ये नदियाँ सूख जाती है। किन्तु बरसात में यहीं अपने पाट और घाट को असीम विस्तार कर रौद्र रूप भी दिखा देती हैं।
बुन्देलखण्ड की प्रसिद्ध नदियाँ Famous Rivers of Bundelkhand
1 – बेतवा नदी
बेतवा भारत के बुन्देलखण्ड (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) राज्य में बहने वाली नदी है। यह यमुना की सहायक नदी है। यह मध्य प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा,झाँसी, जालौन आदि जिलों में होकर बहती है। इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं किन्तु झाँसी के निकट यह धीमे-धीमें बहती है। इसकी सम्पूर्ण लम्बाई लगभग 480 किलोमीटर है। यह हमीरपुर के निकट यमुना नदी में मिल जाती है।
2 – केन नदी
केन नदी यमुना की उपनदी या सहायक नदी है जो बुंदेलखंड क्षेत्र से गुजरती है। दरअसल मंदाकिनी तथा केन यमुना की अंतिम उपनदियाँ हैं क्योंकि इस के बाद यमुना गंगा से जा मिलती है। केन नदी जबलपुर, मध्यप्रदेश से प्रारंभ होती है, पन्ना में इससे कई धारायें आ जुड़ती हैं और फिर बाँदा, उत्तर प्रदेश में इसका यमुना से संगम होता है। इस नदी का “शजर” पत्थर के लिए प्रसिद्ध है।
3 – नर्मदा नदी
नमामि देवि नर्मदे’ मेकलसुता महीयसी नर्मदा को रेवा नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की सबसे पुरानी, प्रमुख और भारत की पाँचवी बड़ी नदी है। विन्ध्य की उपत्यकाओं valleys में बसा अमरकंटक एक वन प्रदेश है। जहाँ की जैव विविधता अत्यन्त समृद्ध है। नर्मदा को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है। नर्मदा नदी के विषय में अनेक किवदंतियाँ हैं ।
4 – धसान नदी
रायसेन जिला के जसरथ पर्वत से निकलकर धसान नदी सिलवानी तहसील की सिरमऊ, बेगमगंज तहसील की पिपलिया जागीर, बील खेड़ा, रतनहारी, सुल्तानागंज, उदका, टेकापार कलो, बिछुआ, सनेही, पडरया, राजधर, सोदतपुर गांवों के पास से प्रवाहित होकर सागर जिले के नारियावली के उस पार तक बहती है।
5 – चम्बल नदी
यह नदी मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सीमा रेखा बनाती है। यह पश्चिमी मध्य प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है। जो यमुना नदी के दक्षिण की ओर से जाती है। पहले यह उत्तर-पूर्व की ओर फिर पूर्वी दिशा की ओर बहती हुई विसर्जित हो जाती है।
6 – सिंध नदी
सिंध नदी मध्य प्रदेश के गुना जिले के सिरोंज के समीप से उद्गमित originated होती है। गुना, शिवपुरी, दतिया और भिण्ड जिलों में यात्रा करती हुई सिन्ध इन क्षेत्रों को अभिसिंचित करती है। इसके तट पर अनेक दर्शनीय और धार्मिक स्थल मानव मन को उद्वेलित करते हैं। इसकी यात्रा का अंतिम पड़ाव दतिया-डबरा के मध्य उत्तर-दिशा की ओर है।
7 – मंदाकिनी नदी
चित्रकूट भगवान राम की कर्मस्थली रही है। जहाँ भगवान राम ने साढ़े ग्यारह वर्ष का वनवास काटा चित्रकूट विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी पर बसा है। इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित महर्षि अत्रि एवं माता सती अनुसुइया आश्रम से पयस्विनी मंदाकिनी का उद्गम हुआ। ऐसा कहा जाता है कि सती अनुसुइया ने अपने तपोबल से मंदाकिनी को उत्पन्न किया था।
8 – यमुना नदी
यमुना नदी का अपभ्रंश नाम जमुना भी है इसे कालिंदी और कई नामों से जाना जाता है। बुंदेलखंड में यमुना, केन और चन्द्रावल नदियों के बीच का पठारी असमतल भाग ‘तिरहार क्षेत्र’ कहलाता है। उत्तर से यमुना नदी एवं दक्षिण में तीव्र प्रपाती कगार, मध्य उच्च प्रदेश की सीमा बनाते हैं। इस प्रदेश की ऊँचाई पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ती जाती है।
9 – किलकिला नदी
किलकिला नदी का उद्गम Origin पन्ना जिले की बहेरा के निकट छापर टेक पहाड़ी से हुआ है। यह नदी पन्ना से उत्पन्न होकर पन्ना जिला में ही प्रवाहित केन नदी में विसर्जित हो जाती है। यह पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा को बहती है।
10 – उर्मिल नदी
उर्मिल सिंचाई परियोजना उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है। जो छतरपुर -कानपुर मार्ग पर उर्मिल नदी पर बनाई गई है। उर्मिल बाँध का निर्माण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराया गया है तथा नहरों का निर्माण मध्य प्रदेश शासन ने किया है। इस परियोजना के पूर्ण हो जाने से रवि फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई है।
11 – पहुँज नदी
उन्नाव /उनाव बालाजी सूर्य मंदिर-दतिया से 17 किलोमीटर की दूरी पर उनाव गाँव में ब्रह्मबालाजी का सूर्य मंदिर है, जो पुष्पावती के पश्चिमी घाट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि पहुँज में नहाने और बाला जी की सूर्य यंत्र की काले पत्थर की प्रस्तर प्रतिमा को जल चढ़ाने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। बाला जी का यह मंदिर अपनी विशालता एवं भव्यता के लिए जाना जाता है। यह दतिया जिले का एक महत्वपूर्ण मंदिर है।
12 – टोंस नदी
टोंस नदी का मैकल की पहाड़ियों तमसा कुण्ड से उद्गम हुआ है। इस नदी को टमस या तमसा भी कहते हैं। छत्रसाल के जमाने की बुंदेलखंड की पूर्वी सीमा टोंस नदी बनाती थी। इतना ही नहीं उनके शासित बुंदेलखंड की चारों दिशाओं की सीमायें प्राकृतिक रूप से चार नदियाँ ही निर्मित करती थीं। विन्ध्याचल का पूर्वी भाग कैमूर पर्वत श्रेणी है जो मिर्जापुर तक विस्तारित है। यह पर्वत श्रृंखला सोन और टोंस नदियों को एक दूसरे से अलग करती है।
13 – चेलना नदी
पावा क्षेत्र जैन धर्मावलम्बियों का तीर्थ स्थल है। इसी क्षेत्र के दक्षिण, पश्चिम की ओर चेलना नदी बहती है। यह बेतवा की सहायक नदी है। चेलना आगे चलकर बेतवा में मिल जाती है। दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पावा जी क्षेत्र से जैन मुनि को मोक्ष मिला था। यहाँ की पहाड़ी सिद्ध पहाड़ी कहलाती है।
14 – जामनेर नदी
इस नदी का प्राचीन पौराणिक नाम जाम्बुला है। यह बेतवा की सहायक नदी है। जामनेर की सहायक नदी यमदृष्टा है। जो आजकल जमड़ार नाम से जानी जाती है। जमड़ार नदी टीकमगढ़ से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित कुण्डेश्वर शिवतीर्थ से गुजरती है। कुण्डेश्वर इस क्षेत्र की आस्था का केन्द्र है ।