वृन्दावनी फागों का उद्भव क्षेत्र वृन्दावन बताया जाता है। वहीं की लोक ध्वनि मे यह फाग बुदेलखण्ड के फागकारों द्वारा बुंदेली भाषा की शब्दावली में निर्मित कर गाई जाने लगी। बुंदेली फागों में इसका आगमन वृन्दावन से होने के कारण इसका नाम वृन्दावनी फागें Vrindavani Fagen पड़ गया हैं।
उदाहरण-
ऊंचे से मठ जहां नगर तहां हर खेलत होरी ।
जू खेलत है, ये जू खेलत है, ये जू खेलत है,
राधा के संगे खेलत है । ।
कै मन केसर गार है, कै मन उड़े गुलाल |
राधका खेलत है, ये जू खेलत. ……..
नो मन केसर गार हैं, सो दस मन उड़त गुलाल
राधका खेलत है, ये जू खेलत हैं
ये जू खेलत है, ये जू खेलत है……..