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Prabhudayal Shrivastava Ke Bal Geet प्रभुदयाल श्रीवास्तव के बाल-गीत

Prabhudayal Shrivastava Ke Bal Geet देश के कई प्रदेशों की हिंदी पाठ्यपुस्तक में पढ़ाए जाते हैं । आप पेशे से इंजीनियर हैं पर चार दशकों से कहानियाँ, कवितायें व्यंग्य, लघु कथाएँ लेख, बुंदेली लोकगीत, बुंदेली लघु कथाएँ, बुंदेली गज़लों का लेखन कर रहे हैं। प्रभुदयाल श्रीवास्तव की रचनाएं देश की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

मुझको नींद बहुत है आती सुबह-सुबह।
मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।

मम्मी टेर लगातीं उठने-उठने की,
पापा की बातों में धमकी पिटने की,
दोनों कहते जल्दी शाला जाना है
नल चालू है उठकर शीघ्र नहाना है,
पर मुझको तो नींद सुहाती सुबह-सुबह
मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।

म‌म्मी तो उठ‌ जाती मुंह‌ अंधियारे में,
पापा ट‌ह‌लें सुब‌ह‌-सुब‌ह‌ ग‌लियारे में,
मेरे हाथ‌ हिलाते सिर‌ को स‌ह‌लाते,
दादा-दादी उठो-उठो य‌ह‌ चिल्लाते,
आल‌स‌ आता नींद‌ स‌ताती सुब‌ह‌-सुबह
मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।

दादा-दादी मुझ‌को य‌ह‌ स‌म‌झाते हैं
अच्छे लोग‌ सुब‌ह‌ ज‌ल्दी उठ‌ जाते हैं,
ब‌ड़े स‌बेरे मुर‌गा बांग‌ ल‌गाता है,
रोज‌ निय‌म‌ से सूर्य‌ उद‌य‌ हो जाता है,
य‌ही बात‌ चिड़िया चिल्लाती सुब‌ह‌-सुब‌ह‌
मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।

अब‌ मुझ‌को ल‌ग‌ता है कुछ‌ क‌र‌ना होगा,
किसी त‌र‌ह‌ भी सुब‌ह‌-सुब‌ह‌ उठ‌ना होगा,
रात‌ देर‌ त‌क‌ न‌हीं आज‌ से जागूंगा,
टेलीविजन‌ देख‌ना अब‌ मैं त्यागूंगा,
बात‌ स‌म‌झ‌ में प‌र‌ न आती सुब‌ह‌-सुब‌ह‌
मेरी नींद नहीं खुल पाती सुबह-सुबह।

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अम्मा बोली सूरज भैया जल्दी से उठ जाओ,
धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ।  

मुर्गे थककर हार गये हैं कब से चिल्ला चिल्ला,
निकल घोंसलों से गौरैयां मचा रहीं हैं हल्ला,
तारों ने मुँह फेर लिया है तुम मुंह धोकर जाओ,
धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ।  

पूरब के पर्वत की चाहत तुम्हें गोद में ले लें,
सागर की लहरों की इच्छा साथ तुम्हारे खेलें,
शीतल पवन कर रहा कत्थक धूप गीत तुम गाओ,
धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ।

सूरज मुखी कह रहा “भैया अब जल्दी से आएं,
देख आपका सुंदर मुखड़ा हम भी तो खिल जायें,
जाओ बेटे जल्दी से जग के दुख दर्द मिटाओ,
धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ।  

नौ दो ग्यारह हुआ अंधेरा कब से डरकर भागा,
तुमसे भय खाकर ही उसने राज सिंहासन त्यागा,
समर क्षेत्र में जाकर दिन पर अपना रंग जमाओ,
धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ।
अंधियारे से क्यों डरना कैसा उससे घबराना? 
जहां उजाला हुआ तो निश्चित है उसका हट जाना,
सोलह घोड़ों के रथ चढ़कर निर्भय हो तुम जाओ,
धरती के सब लोग सो रहे जाकर उन्हें उठाओ।

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मुझे कहानी अच्छी लगती
कविता मुझको बहुत सुहाती,
पर मम्मी की बात छोड़िये
दादी भी कुछ नहीं सुनाती।

पापा को आफ़िस दिखता है
मम्मी किटी पार्टी जाती,
दादी राम राम जपती हैं
जब देखो जब भजन ही गाती।

मुझको क्या अच्छा लगता है
मम्मी कहां ध्यान देती हैं,
सुबह शाम जब भी फुरसत हो
टी वी से चिपकी रहती हैं।

कविता मुझको कौन सुनाये
सुना कहानी दिल बहलाये,
मेरे घर के सब लोगों को
बात ज़रा-सी समझ न आये।

कोई मुझ पर तरस तो खाओ
सब के सब मेरे घर आओ,
मम्मी-पापा और दादी को
ठीक तरह से समझा जाओ।

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चली पुतरियाँ पइयाँ पइयाँ,
पहुंची पीपल छैयाँ।

लाल पुतरिया दूल्हा बनकर ,
ले आई बरात।
हरी पुतरिया दुल्हन बन गई,
हो गए फेरे सात।
मटकी सबने सिर पर रखकर,
नाची छोन मुनइयाँ।

दूल्हा-दुल्हन बनी पुतरियों,
ने खाई तिलपट्टी।
तिलपट्टी पर हुई लड़ाई,
लो हो गई अब कट्टी।
ज़रा देर में हुई दोस्ती,
फिर हो गई गलबहियाँ।

सभी पुतरियाँ बस्ता लेकर,
निकल पड़ीं स्कूल।
शोर मचाती मस्ती करतीं,
गईं रास्ता भूल।
थोड़ी-थोड़ी सभी डर गईं,
का है राम करैयाँ।

नहीं किसी ने हारी हिम्मत,
सबने छेड़ी तान।
हँसते गाते धूम मचाते,
सबने गाये गान।
मस्ती करते पहुँच गईं सब ,
अपनी अपनी ठइयाँ।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव का जीवन परिचय 

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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