बुंदेली भाषा में डोल का अर्थ हैं चलना अतः इन फागों में हर पंक्ति आगे की पंक्ति में डोलती हुई ज्यों की त्यों चलती है। इसी लिए इसका नाम डोल की फाग पड़ा है। इस लिए इन फागों को Dol Ki Fagen कहते हैं ।
उदाहरण-
विन्द्रावन में बंशी बाजी हो, विन्द्रावन में।
विन्द्रामन में बंशी बाजी, फिर उते राधका साजी,
फिर उते राधका साजी, जब मोहन भरी पिचकारी ।
जब मोहन भरी पिचकारी, जब लय राधा पे डारी ।
जब लै राधा पे डारी, तब भींज गई रंग सारी ।
हो विन्द्रावन में, बंशी बाजीजी हो………
जब भीज गई रंग सारी, अब थर थर कपै दुलारी,
अब थर थर कपै दुलारी, सब सखा हंसै दे तारी ।
सब सखा हंसे दे तारी, सब मोहन पे बलिहारी,
हो विन्द्रावन में, विन्द्रावन में बंशी बाजी हों।
हो विन्द्रावन में, बंशी बाजीजी हो………