Homeबुन्देलखण्ड के लोक विश्वासDharmik Lok Vishwas धार्मिक लोक-विश्वास

Dharmik Lok Vishwas धार्मिक लोक-विश्वास

धार्मिक लोक विश्वास Dharmik Lok Vishwas विभिन्न संस्कृतियों और समाजों में गहरी जड़ें जमाए हुए होते हैं, जो समाज के धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग हैं। ये विश्वास धार्मिक ग्रंथों, परंपराओं और सामाजिक अनुभवों से विकसित हुए हैं और सदियों से लोगों के जीवन में मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करते रहे हैं।

धार्मिक लोक विश्वासों के ये विभिन्न पहलू समाज की धार्मिक और आध्यात्मिक धारणाओं को गहराई से प्रभावित करते हैं, और लोगों की आस्था और व्यवहार को आकार देते हैं। यह दिखाता है कि धार्मिक परंपराएं और लोक विश्वास सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनकर समाज को एकता और विश्वास के सूत्र में बांधते हैं।

वर्ष भर विभिन्‍न देवी-देवताओं की पूजा, इच्छा पूर्ति हेतु की जाती है। ऐसा लोक-विश्वास है कि शुभ अवसरों पर देवताओं की पूजा और निमंत्रण देने से कार्य निर्विष्न सम्पन्न होते हैं। मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि मनुष्य को प्रत्येक कार्य हेतु आत्मिक-बल की आवश्यकता होती है। जो ईश्वर की पूजा से प्राप्त होता है बुन्देलखण्ड में पुराने लोक-विश्वासों से यह सिद्द हो गया है कि ईश्वर सर्वोपरि है। उसकी साधना ही मोक्ष का मार्ग है। ऐसी स्थिति में ईश्वरीय शक्ति की उपासना मानव कार्यों की सफलता में मानसिक प्रभाव डालने में सहायक होगी।

1- भगवान और देवताओं की शक्ति में विश्वास
अधिकांश धर्मों में यह विश्वास होता है कि परमात्मा या देवी-देवता सर्वशक्तिमान हैं, और वे सृष्टि, प्रलय, और जीवन-मृत्यु के चक्र को नियंत्रित करते हैं। हिंदू धर्म में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और अन्य देवी-देवताओं को ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं का संचालन करने वाला माना जाता है। इसी प्रकार, ईसाई धर्म में ईश्वर को सर्वशक्तिमान और सृष्टिकर्ता माना जाता है, जबकि इस्लाम में अल्लाह को दुनिया का एकमात्र रचयिता और पालनहार माना जाता है।

2- पुनर्जन्म और कर्म सिद्धांत
कई धार्मिक परंपराओं में पुनर्जन्म और कर्म का सिद्धांत महत्वपूर्ण होता है। हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में यह विश्वास है कि व्यक्ति का वर्तमान जीवन उसके पिछले कर्मों का परिणाम होता है, और मरने के बाद आत्मा पुनर्जन्म लेती है। व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर अगले जन्म में अच्छा या बुरा जीवन प्राप्त करता है। यह सिद्धांत व्यक्ति को अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है और आध्यात्मिक उत्थान की ओर मार्गदर्शन करता है।

3- पवित्र स्थलों और तीर्थ यात्रा का महत्व
धार्मिक लोक विश्वासों में पवित्र स्थलों की विशेष महत्ता होती है। हिंदू धर्म में चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम) की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी तरह, काशी (वाराणसी) में गंगा नदी के किनारे मृत्यु को मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। इस्लाम में मक्का और मदीना का महत्व है, जहां हज यात्रा करना धर्म का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। ईसाई धर्म में जेरूसलम और वेटिकन को पवित्र स्थल माना जाता है।

4- चमत्कारों में विश्वास
धार्मिक लोक विश्वासों में चमत्कारों का विशेष स्थान है। यह मान्यता है कि भगवान या संतों की कृपा से असंभव को संभव किया जा सकता है। हिंदू धर्म में कई संतों और देवी-देवताओं के चमत्कारों की कहानियां प्रचलित हैं, जैसे साईं बाबा, मीराबाई या तिरुपति बालाजी के चमत्कार। ईसाई धर्म में यीशु मसीह द्वारा लोगों को चंगाई देने और पानी को शराब में बदलने जैसे चमत्कारों का उल्लेख है। इस्लाम में भी सूफी संतों और वलियों के चमत्कारों की कहानियां प्रचलित हैं।

5- बुरी नजर और अपशगुन
कई समाजों में बुरी नजर या अपशगुन से बचने के उपायों पर विश्वास किया जाता है। यह माना जाता है कि किसी की ईर्ष्या या नकारात्मक सोच दूसरों के जीवन में बाधा पैदा कर सकती है। इससे बचने के लिए ताबीज, नींबू-मिर्च या काजल लगाने जैसी लोक मान्यताएं प्रचलित हैं। इस्लाम में बुरी नजर से बचने के लिए ‘नजरबट्टू’ और आयतें पढ़ने की प्रथा है। इसी तरह, ईसाई धर्म में भी कई बार क्रॉस का प्रतीक बुरी नजर से बचाव के लिए किया जाता है।

6- स्वर्ग-नरक का सिद्धांत
अधिकांश धार्मिक परंपराओं में यह मान्यता होती है कि मृत्यु के बाद आत्मा का लेखा-जोखा होता है और उसके कर्मों के आधार पर उसे स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है। ईसाई धर्म में स्वर्ग और नर्क का स्पष्ट वर्णन मिलता है, जहां ईश्वर के प्रति निष्ठा रखने वाले स्वर्ग में जाते हैं और पापी नरक में। इस्लाम में भी जन्नत और जहन्नुम का उल्लेख है, जहां अच्छे कर्मों से जन्नत में जगह मिलती है। हिंदू धर्म में भी यमराज और स्वर्ग-नरक की अवधारणा है।

7- संत, साधु और गुरुओं की कृपा में विश्वास
भारत और दुनिया के कई हिस्सों में संतों, साधुओं और गुरुओं की विशेष मान्यता होती है। ये व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक माने जाते हैं, जिनकी कृपा से लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। हिंदू धर्म में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान स्थान दिया गया है। सिख धर्म में गुरु नानक और अन्य गुरुओं का मार्गदर्शन धर्म और जीवन का आधार है।

8- व्रत और उपवास
धार्मिक लोक विश्वासों में व्रत और उपवास का विशेष स्थान होता है। यह विश्वास किया जाता है कि उपवास करने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में करवाचौथ, एकादशी, और व्रतों का पालन व्यापक रूप से किया जाता है। इस्लाम में रमजान के महीने में उपवास करना अनिवार्य है, जबकि ईसाई धर्म में भी लेंट के दौरान उपवास का विशेष महत्व होता है।

9- अंधविश्वास और टोटके
कई बार धार्मिक विश्वासों के साथ-साथ अंधविश्वास भी जुड़ जाते हैं। जैसे, हिंदू परंपराओं में घर के बाहर नींबू-मिर्च टांगने से बुरी शक्तियों से बचाव होता है, या बिल्ली का रास्ता काटना अशुभ माना जाता है। इस्लाम में ‘नजर’ से बचने के लिए काले धागे या बंधन का उपयोग किया जाता है।

लोक-विश्वास है कि आत्मा अमर है। जन्म-मरण का चक्र अनवरत चलता है, पुनर्जन्म होता है। यह विश्वास व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करता हैं, जिससे वह आध्यात्मिक और अच्छे सामाजिक कार्य करने को प्रेरित होता है।

गंगा स्नान पाप नाशक है, तीर्थ-यात्रा व गरीबों को दान देने से पुण्य प्राप्त होता है। पाप-पुण्य जीवन में इस प्रकार घुले मिले हैं जिससे व्यक्ति पुण्य कार्य करने में जुटा रहता है। पाप का भय तथा पुण्य का लोभ व्यक्ति को दुष्कर्मों से विमुखता तथा सद्‌गुणों का पालन करने को प्रेरित करता है।

देवी-देवताओं को प्रसाद चढ़ाना, व्रत -उपवास करना, भजन-कीर्तन करना आदि भी लोक विश्वास है। सम्पूर्ण संसार में शक्ति की उपासना इन्ही माध्यमों से की जाती है। मानव जन्म मिलने पर संसार के समस्त सुखों को भोग करने वाला सर्वोच्च प्राणी ईश्वर के प्रति आभार प्रगट करने का सरल मार्ग इसी को मानता है। व्रत-उपवास आत्म नियंत्रण, पाचन शक्ति सुचारू होना तथा संतुलित दीर्घायु जीवन जीने का समन्मार्ग है।

स्वर्ग-नरक की कल्पना मानव-जीवन को नियंत्रित आचरण करने को प्रेरित करती हैं। नर्क की काल्पनिक यंत्रणायें और स्वर्ग के सुख मनुष्य को सद्‌ कार्य करने हेतु प्रेरित करते हैं। ईश्वर सर्वत्र विद्यमान है इस लोक विश्वास का प्रभाव हमारे छोटे-छोटे कार्यों पर भी पड़ता है। हम सदैव सुरक्षित अनुभव करते हैं। एकान्त मे भी गलत कार्य करने से डरते है। पाप-पुण्य का लेखा-जोखा ईश्वर के पास है – यह भाव हमारे कार्यों के शुभ-अशुभ होने पर निर्भर करता है। यह समस्त भावनायें मिलजुल कर सुन्दर समाज की रचना में सहायक सिद्ध होती है।

वैज्ञानिक तथ्य है जब हम शान्त-चित रहते हैं तब शरीर की रक्‍त-संचार गति नियंत्रित रहती हैं जिससे हम अनेक बीमारियों से बच सकते हैं। चित्त शान्ति का सर्वोत्तम उपाय है– योग-साधना, जप-तप, इनका लोक-विश्वास में महत्वपूर्ण स्थान है। सत्य यह है कि हवन से वातावरण शुद्ध होता हैं। छोटे-छोटे कीटाणु धुंये से नष्ट हो जाते हैं। भले ही लोक-विश्वास में यह माना जाये कि हवन से देवता प्रसन्न होते हैं।

बुन्देली कहावतों में लोक विज्ञान 

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Bundeli Jhalak: The Cultural Archive of Bundelkhand. Bundeli Jhalak Tries to Preserve and Promote the Folk Art and Culture of Bundelkhand and to reach out to all the masses so that the basic, Cultural and Aesthetic values and concepts related to Art and Culture can be kept alive in the public mind.
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