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Dharam Ko Sang धरम कौ संग-बुन्देली लोक कथा

बड़े पुराने कत ते की Dharam Ko Sang कभऊं नई छोड़ो चईए कायसें धरम छोड़ो तो कर्म बिगड़ जात । एक सिहिर में एक धर्मात्मा राजा रत्तो। वौ रोज कछून कछू दान पुन्न करत रत्तो। उनके दोरैं सैं कभऊँ कोऊ निरास नई गओ। जीनें जो माँगौ सो हमेशई दैबे खौं तैयार रत्ते। अपनी प्रजा खौं पुत्र की घाँई पालन पोसन करत ते। जे राजा हते ऊसिअई उनकी रानी हतीं। उन्नें कभऊँ राजा के कामन में छेबा नई मारों तो। जैसी उन्नें कई वे ऊके लाने हमेशई तैयार रत्ती।

एक दिनाँ उनके नाँ एक साधू कछू मँगाबे खौं पौंच गओ। राजा तौ दैबे खौं तैयारई रत्ते। राजा नें साधू की खूबई खातर दारी करी उर फिर उनके साँमै हाँत जोर कैं बोले कैं-मराज! आज्ञा होय, मैं आपकी का सेवा करौं। साधू बोलो- कैं मराज! हमें अपुन की दो चीजन में सैं एक चीज कोनऊ चानें  चाये आप अपनौ पूरौ राजपाट हमें दे दौ उर चाहे अपनौ धरम हमें दै दो। इन दो चीजन में सै हमें कोनऊ एक चीज चाने है। कजन नई दै सकत होतौ हमें साफ-साफ बता देव। सो हम निरास होकैं अपनी कुटी पै चले जाँय।

राजा बोले कैं मराज, अपुन निराश तौ जाई नई सकत। उन दो चीजन में सैं एक ना एक चीज अपुन खौं जरूरई दई जैय। अपुन इतई बिराजौ, हम रानी सै सला करकै जल्दी अपुन की सेवा में हाजर हो रये हैं ऐसी सुनकैं बाबा जू उतई शांत होकै विराज गये। राजा साव ने रानी सैं जाकैं पूछी कैं आज तौ हमाये सामैं भौतई बड़ी समस्या आ गई। एक बाबा हमाई परीक्षा लैबे खौ राजमिहिल में बैठो है। वौ हम सैं दोतरा के दान माँग रओ। कत है कैं या तौ पूरी राजपाट दै दो या अपनौ धरम।

रानी तौ बड़ी समजदार हतीं। वे हँसकैं बोली कै हमें तौ ऐसौ लगत कैं हम औरन के सत्य की भगवानई आ परीक्षा लैबै आ गये। सो अपुन तौ उनसै कइयौ कै मराज हम तौ आप खौं बारा बरस के लानें पूरौ राजपाट दै रये है, सो आप उयै प्रेम सै लैलो। हम अपनौ धरम तौ कोउये नई दै सकत। रानी की बात सुनकै वे सूदे बाबा जू सै बोले कै मराज। हम आप खौं अपनौ राजपाट दै रये है अकेलै हम अपनौ धरम काऊये नई दै सकत।

अब अपुन ई राज कौ उपभोग करो। हम सो राजा छोड़कै परदेशे जा रये। इत्ती कैकैं राजा अपनौ राज छोड़कै उतै सै चल दिये। दिन भर चलत-चलत वे एक घनघोर जंगल के बीच में पौंचे। भूक प्यास सै व्याकुल हो रये ते उर चलत- चलत थक गये ते। उनें उतै एक घनों बरगद कौ पेड़ दिखानौ उर उतै एक बावरी हती। पेड़ै के नैचे तनक आराम करो, बावरी में उतरकै ठण्डौ पानी पियो उर तनक देर खौं उतै बैठ गये।

उने तनक दूर एक पेड़े के तरे बैठी एक औरत के रोबे की आवाज सुनापरी। उन्ने दूर सै देखौ कै एक सुन्दर औरत एक पेड़े सैं टिकी जोर सैं रो रई है। उयै देखतनई राजा खौं दया आ गई। वे ऊके लिंगा जाकै पूँछन लगे कैं काय बाई तुम इतै काँसै आई उर काय रो रई हो। वा औरत उने देखतनई अपने अंसुआ पोछ कै कन लगी कै हम अपनें  पती के संगै परदेश जा रये ते। उर चलत-चलत हमें इतै बैठार कै नित्य क्रिया करबे चले गये। हम सबेरे सै इतै बैठे-बैठे उनकी बाट हेर रये हैं अकेलैं वे अबै तक लौट के नई आये।

संजा होबे वारी है। हमें लगत कै ई जंगल में उनै कोनऊ जानवर ने खा लओ है, कै काऊनें उनें मार डारौ है। अब बताव हम अकेलै काँ जा सकत। कजन मायके जात तौ मताई बाप उर भइया कैंय कै इतै बहाने बनाऊत आ गई। कुजाने दामाद खौ कितै मरवा कैं फिंकवा आई। उर भौजाई तौ पराये घर की आँय। उनके संगै हमाई कै दिन चल सकत। मताई बाप तौ बूढ़े आँय वे हमाओ कै दिना संग दैय। सासरे की तौ लीलई न्यारी है। पती के बिना उतै हमें को पूँछत देवरानी जिठानियँन की कि किट के कारन तौ हम घर छोड़कै बायरे कड़े ते।

ईसै हमें क्याऊँ अपनौ ठौर नई दिखात। रात होबे वारी है। अब बताव अकेले हम अब कितै जाँय। विधाता ने तुमें इतै अच्छौ पौंचा दओ। अब तौ हम तुमारई संगै रन चाऊत। ऐसैं लगत कै तुमई भूले भटके फिर रये हों। तुमाव क्याऊँ ठौर ठिकानौ नई दिखात सो चलो तुम आराम सै हमाये संगै रइयौ। हम तुमें कौनऊ तकलीफ नई होंन दैंय।

पैलाँ तौ राजा तनक झिझके कै हम पराई औरत के संगै का रैय रानी खौं तौ हम मिहिल में छोड़ आये, वे उतै हमाये बिना बिसूरती हुइयै, उर हम इतै पराई औरत के संगै रैकै अपनौ समय बितीत करें। फिर सोसन लगे कै हम तौ राजा आँय। हमाई तौ कैऊ रानी हो सकतीं हम अकेले कन्नो भटकें चलों कछू दिना ऐई के संगै कछू समय गुजारे। ऐसी कै कै वे ऊके लिंगा जा बैठे।

ऊने कई के तुम दिन भर के भूँके-प्यासे हुईयौ चलों अब रात कौ समय हो रओ है। उतै सामने एक झोपड़ी है। आबे जाबे खौं अपने लिंगा एक घोड़ा है। चलों झोपड़ी में बैठ कैं कछू खा पी लेबूँ राजा ऊके संगै झोपड़ी में चले गये ऊनै कई कै कछू क्याऊँ सै भोजन को सामान ल्यावने आय। सो तुम बजार सै कछूँ सामान ल्आव राजा बोले कैं हमनौ तौ एक घेला नईयाँ हम काँसैं सामान ल्आँय ? वा बोली कै तुम चिन्ता नई करों सब इंतजाम हो जैय।

इत्ती कै कै ऊनै एक सोंने की मुहर दैकैं कई कै तुम अपने घोड़ा के लाने घास उर भोजन के लाने आटा दाल उर चावल लैकैं आ जाव जीसै हम जल्दी सै भोजन तैयार कर देंय। आप दिन भर के भूके हुइयौ उर हमें सोऊ भूक लग आई।राजा वा मुहर लैकैं सामान लैबे बजारै चले गये। उर उतै सै मन मुक्तौ सामान ल्आ कैं ऊके सामैंधर दऔ। ऊनें बढ़िया भोजनतैयार करे उर दोई जनन ने मिल जुरकैं बड़े प्रेम सैं भोजन करे उर घुरवा खौं अच्छौ रातब ख्वाब उर आराम सै उतै रन लगे।

ऐसई ऐसैं रत रत उने कैऊ दिना कड़ गये। जब कभऊँ कौनऊ सामान की कमी परे सो वे एक सोने की मुहर लैकै मन मुक्तौ सामान खरीद ल्आऊत ते। उनें उतै कोनऊँ तकलीफ नई हती। घरई जैसो सुख पाऊत रत्ते। उतै रत रत जब भौत दिना हो गये तौ एक दिना वे बोली कैं इतै जंगल में डरे-डरे का करें। चलों कोनऊँ बड़े सिहिर में जा बसिये।

राजा बोले कैं सिहिर में अपुन खों रैबे के लानै मकान किते सैं मिलें। सिहिरन में तौ पइसा वारे रै पाऊत। गरीबन खौ उतै कितै गुंजाइस धरी। बे बोली कै तुम कोनऊ बाकी चिन्ता नई करो। जाव पैल सिहर में जाकै कौनऊ अच्छौ सौ मकान किराये के लाने देख आव। जितै अपुन आराम सै रै सकें उर जितै अपनौ घुरवा आराम सै बँध सकें। राजा बोले कैं बिना पइसा के मकान कैसे मिल सकत। रानी नें उने काड़कै पाँच मुहरें दई उर कई कै जाव उर अच्छौ सौ मकान तै करकैं आव।

राजा मौगे चाले सिहिर में गये उर एक अच्छौ सौ लम्मों चोंरौ मकान किराये पै तै कर आये। रानी ने कई कै चलों अब अपुन अपनौ डेरा डगौ उठाकैं सिहिर में चलिये। राजा जाबे खौ तैयार हो गये। रानी ने कई कैं आप घोड़ा पै बैठों उर हम तुमाये पाछै-पाछै चलें। राजा बोले कैं हम घुरवा पै नई बैठ पैय तुमई बैठ जाव। वे बोली कै घुरवा पै औरते नई बैठतीं घुरवा पै तौ पुरुषई बैठत हैं।

राजा घुरवा पै बैठ गये उर चल दये उर वे उनके पाछैं-पाछैं चल दई। सिहिर में जाकैं वे ठाट सैं रन लगे। सिहिर में सैं खाबे पीबे कौ पूरौ सामान जोर कैं धर दओ। उनकौ राजन कैसो ठाट बाट हो गओ। एक दिनाँ रानी नें कई कैं इतै घरै बैठे-बैठे आपकौ मन ऊबन लगत हुइयैं। आप रोजऊ इतै के राजा के दरबार में  बैठबे जाबू करे उर उतै की चर्चा हमें सुनाबू करे।

उदनई सै बे दरबार में जान लगे उर एक खम्मा सैं टिक कैं बैठ जात ते। उतै की चर्चा खौ सुन-सुन कै घरैं बताऊत रत्ते। ऐसई ऐसै राजा के दरबार में बैठत-बैठत उनै कैऊ सालैं कड़ गई। अबै तक तौ उनै काऊ नै टोकौ नई हतो। राजा जानत ते कै जे दरबारियँन में सै काऊ के भइया बंद हुइयै उर दरबारी जानत ते कै जे राजा के रिश्तेदार हुइयैं। ईसै काऊ ने उनकी टोका टाकी नई करी।

एक दिना काना फूसी होन लगी कै जौ नओ आदमी आय को राजा ने एक दिनाँ उनें अपने लिंगा बैठार कै दै पूछी कैं भइया। कजन आप खौ बुरओ नई लगे तौ एक बात पूछैं। राजा बोले कैं पूछो मराज, का पूछन चाऊत। राजा ने कई कै कैऊ वर्ष सै हम अपुन खौं रोजऊ दरबार में बैठो देखत अपुन आखिर आव को देखत में तौ राजन कैसी सूरत लगत।

सुनतनई राजा मुस्क्या कैं बोले कैं मराज हम आपई की बस्ती में रत हैं। घरै समय नई कटत सो इतै चले आऊत। राजा बोलै कैं साँसी-साँसी बताव अपुन जानें पैचाने सैं लगत हों। अंत में दोई जनन की जान पैचान हो गई उर दोस्ती हो गई। राजा ने उनें अपने संगै सिंहासन पै बैठारो। राजा ने अपनी पगड़ी उनके सिर पै धर दई उर उन्नें उनकी पगड़ी अपने सिर पै धर लई। दोई जनन की गाढ़ी दोस्ती हो गई।

राजा लौटकैं अपने घरै राजा की बग्घी सैं पौचे उर पूरी किस्सा रानी खौं सुनाई। वे सुनतनई भौत खुश भई उर कन लगी कै अब तुमाई राज दरबारन में इज्जत होंन लगी। अब आप रोज-रोज राज दरबार में जाबू करे उर बड़ी शान सै राजा की बिरोबरी सै बैठबू करें। वे फिर दूसरे दिनाँ दरबार में पौंचे। उनें देखतनई राजा ठाँढ़े हो गए उर बड़े आव आदर सै अपने लिंगा बैठारो।

राजा ने कई कैं भइया आज तुमाये पूरे परिवार कौ हमाये नाँ नेवतौ है। सो सब कौ पधारबौ होय। राजा बोले कैं हमाये है कै जनें। हम हैं कै एक जनी हैं उर एक घुरवा है। राजा ने तुरतई एक जने सै घुरवा के लाने विलात केरौ रातब पौंचा दओ उर एक बग्घी उनके घरै पौचाकैं रानी खौं बुलवा लओ। राजा उन दोई जनन खौं रनिवास में लुआ गये। उनकौ सब रानियँन सैं परिचय कराव, उर फिर दोई जनन खौं बढ़िया भोजन करबाव। रानी खौ बढ़िया उन्ना कपड़ा उर जेवर दैकै बिदाई करी।

दूसरे दिना वे बोली कैं उन राजा ने तौ न्योतौ कर लओ। अब तुम एक काम करो कैं कालके लानै राजा के नाँ उनकौ परवार मय फौज पलटन के न्योतौ कर आव उर पूरी बस्ती कौ न्योतौ कर आव। सुनतनई राजा बोले कैं इतनें लोगन कौ भोजन कितै उर कैसें बनें। उरवे सब बैठे कितै। रानी बोली कैं तुम तौ न्योंतौ करयाव, सब इंतजाम हो जैय। राजा गये उर सबकौ न्योतौ कर आये। सुनतनई राजा खौ बड़ौ अचम्भों भओ कै जे इत्ते लोगन खौ कितै सैं रव्आय।

राजा ने एक आदमी पौंचाकै उनके घरै दिखबाव। अकेलै उनके घरैं कछू नई हतो। राजा ने सोसी कै वे ऊसई हँसी आ कर गये। जब एक दिन बूढ़े नौ कोऊ नई पौंचो सो उन्नें राजा खौं फिर पौंचाकै कई कैं पूरी तैयारी हो गई अपुन अब देर कायखौं कर रये। राजा सबखौं लोआकैं चले, तौ आगैं-आगैं घोड़ा पै चढ़ राजा उन सबखौं उतै लुआ गये। उतै देखतनई उन राजा खौं भारी अचम्भौ भओ।

सैकरन रसोइया भोजन बनावे में जुटे ते। तरातरा के पकवान की सुगंध सै पूरौ जंगल महक रओ तो। सब नें  प्रेम सैं भोजन करें उर तारीपन के पुल बाँधत-बाँधत अपने घरैं चले गये। जौ देखकै उन राजा खौ सोऊ अचम्भौ हो रओ तो। राजा ने ऊ औरत सैं पूछी कै तुम आव को उर हम जौ का अचम्भौ देख रये हैं। वा औंरत बोली कै तुमने बारा बरस खौ एक बाबा के कये सैं पूरौ राजपाट छोड़ दओ तो अकेलै धर्म नई छोड़ो तो। सौ हम तुमाये धरम आँय उर औरत बनकैं बारा वर्ष नौ तुमाये संगै रये। तुमें कोनऊ तरा कौ कष्ट नई होन दओ।

पग पग पै तुमाई सहायता करी उर तुमाई मान मर्यादा की रक्षा करत रये। अब तुमाई बारा बरसे पूरी हो गई सो तुम जाकै अपनौ राजपाट समारौ उर हम तौ तुमाये संगै हमेशई रैय। अकेलै दिखैय नई मौका पै तुमाई सहायता करें। इत्ती कैकै वा औरत उतै सै गायब हो गई। राजा ने जाकै अपनौ राजपाट समारो उर अपने परिवार के संगै आराम सैं रन लगे। जा बात साँसी आय कै आदमी खौ अपना धर्म नई छोड़ौ चइये। वौ हमेशई आदमी के कामै आऊत। बाढ़ई नें बनाई टिकटी उर हमाई किसा निपटी।

बुन्देली लोक कथा परंपरा 

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