बुन्देलखंड की बुंदेली भाषा की वह मिठास, संस्कृतिक शब्दों का सयोंजन एवं सरस्ता के साथ-साथ शब्दों का सौंदर्य जो जनमानस के व्यवहार मे झलकता है। उन्ही शब्दों मे कुछ महत्त्वपूर्ण विरोधाभाषी शब्द आप सब तक पहुंचाने की एक कोशिश है।
बुन्देलखंड के बुंदेली विरोधाभाषी शब्द
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अंगीत – घर के आगे वाला भाग, पछीत – घर के पीछे वाला भाग
अंगीते – घर के आगे, पछीते – घर के पीछे
अग्गू – आगे पिच्छू – पीछे
अँगारे – आगे पछाडे़ – पीछे
अंदयारें- अंधेरे में उजयारें – प्रकाश में
अपुन – हम तपुन – तुम
अबेर – विलम्ब सबेर – जल्दी
अजा – दादा आजी – दादी
आँवन – आना जांँवन – जाना
आन – आना जान – जाना
आबा – आई गई – जाना
आबौ – आना जैबौ – जन्म-मरण
अंदयाई- सुबह संजावेरा – संध्या
अबाई – आगमन जवाई – प्रस्थान
अरोंनों- नमक विहीन रौंनौ – नमक युक्त
अगरी – अधिक होना कमती – कम होना
अतरे – दूसरे आंतरे – अंतर से दूसरा
आँसबौ – अखरना रुचबो – अच्छा
आँये – आने से गये – जाने से
असुद्य – अशुद्ध सुद्य – शुद्ध पवित्र
असल – वास्तविक नकल – बनावटी
अनहोंनी- कल्पनातीत होनी – घटना-नियति
असेराक- आधा सेर सेरक – सेर भर
अतपई – दो छटाँक /आधा पाव पउवा – पाव भर
ओड़ – सिर गोड़ – पैर
आई – आ चुकी है गई – जा चुकी है
ओंदौ – उलटा सीदौ – सीधा
अक्तां – पहले से पिच्छां – बाद में
आरौं – दीवाल में सामान का स्थान तक्का – दीवाल मे छेदनुमा स्थान
अँगुरयावौ – उंगली से संकेत बताबौ – बतलाना
अटकाबौ – धीरे से किवाड़ लगाना बजड़बौ – जोर से किवाड़ लगाना
आसरौ – आश्रय बेआसरें – आश्रयहीन
ओदौ – गीला सूकौ – सूखा
इनें – इनको उनें – उनको
इतै – यहाँ उतै – वहाँ
इताँय – इधर उताँय – उधर
इत्तान – इतना उत्तान – उतना
इकारौ – दुबला दुहरौ – तन्दुरूस्त
ई – यह ऊ – उस
ईहाँ – इसको ऊहाँ – उसको
ईसें – इससे ऊसें – उसको
इतराजी – असहमति राजी – सहमति
उठवौ – उठना बैठवौ – बैठना
उड़ौना – ओढ़ने के वस्त्र बिछौना – बिछावना
उलटी – झूठी सूदी – सही
उट्टी – बोलचाल बंद होना मेर – दास्ती
ऊँचै – श्रेष्ठ नेंचै – बुरा
ऐंड़ – टेढे़ बेंड – टाप्टे
कहैया – कहने वाला सुनैया – सुनने वाला
करए – कडुवे गुरीरे – मीठे
कर्रे कें – पूरी ताकत लगाकर हरां कें – कम ताकत से
बतावौ – बतलाना जतावौ – हावभाव से
कुल्ला – पानी से मुँह की सफाई मुखारी – दांत-जीभ साफ करना
कूँदा – कूदना फांदी – लांघना
कानों – एक आँख फूटी हो अँदरा – दोनों आँखें फूटी हो
कलेवा – नाश्ता व्यारी – रात्रि का भोजन
कन्नारी – खूब काम करने वाली अलालिन – आलसी प्रवृत्ति वाली
कड़वो – बाहर निकलना पिड़वौ – भीतर जाना
कूतखांड – ज्ञान व अनुभव अटकर पेंड़ौ- अटकल के बल पर
कसतौ – कस रहा हो ढिल्लौ – ढीला ढाला
कमइया – धन अर्जित करने वाला खाऊउड़ाऊ- धन को बर्बाद करने वाला
कुकरा – मुर्गा कूकर – कुत्ता
कमती – कम होना जास्ती – अधिक होना
करया – कमर करयाई – कमर के पीछे का भाग
काँप – छाता की तिल्ली – साइकिल के पहिया की
कटसिर्री – अर्द्ध पागल कटान – झक्की
खरी-खाना- पीना सीरी – खाने पीने के सम्बन्ध होना
खाँन – खाना पिंयन – पीना
खट्टी – बुरी मीठी – अच्छी
खिरकी – खिड़कियाँ किवारे – दरवाजे
खट्टो – खट्टे स्वाद वाला मीठो – मीठे स्वाद वाला
खिरविर्रा – जिसके बीच जगह हो घनो – बीच में जगह न हो
खिर्रबिर्र – अव्यवस्थित संजोबौ – व्यवस्थित करना
खरी – सच्ची खोटी – झूंठी
खरा – शुद्ध खोटा – दागदार
खवावौ – खिलाना प्याबौ – पिलाना
खैबौ – खाना पीबौ – पीना
खरा – पुरुष खरी – स्त्री
खेली – खेल को खेलने वाला खाँई – कई बार खेलने से अनुभवी
खस्सी – मर्दानगी खसुवा – नपुंसक
खावौ – नपट करना सैवौ – पालन पोषण करना
खुंसयाबौ – गुस्सा आना पुटयावौ – मनाना
खिसयांट – गुस्साना मनहार – मनाना
खलाई – नीची जगह ऊँचाई – ऊँची जगह
खटांद – खट्टे की गंध सड़ांद – सड़ जाने की गंध
खटास – खट्टापन मिठास – मीठापन
खपबौ – परिश्रम करना चुराबौ – कामचोरी
खपन – दलदलनुमा कीचड़ झूरौ – सूखा
खता – फोड़ा खतिया – फुंसी
गतकौ – मुक्का धौल – थप्पड़
गत – हालत गती – आचरण
गमयाऊ – गाँव की शहरू – शहर की
गँमइयाँ – गाँव का गुपत – जगजाहर
गोली – दवा की छोटी गोलियाँ गट्टा – बड़ी गोलियाँ
गुलगुलाबौ – हँसाना रूआबौ – रूलाना
गरेंट – गले तक भरी अद्भरी – आधी भरी
गरओ – वजनीय हरओ – कम वजन का
गैरौ – गहरा ऊथरौ – उथला
गोड – पैर मूंड – सिर
गुर – शिक्षा गुरयाई – मिठाई
स्थल – देह छाती – सीना
गमरोंई – गंवारपन महाजनी – सुसंस्कृत
घर – कमरा बखरी – पूर्ण मकान
घरौट – घर के सम्बन्ध परौस – पड़ोस
घरी – घड़ी घंटा – ढाई घरी का एक घंटा
घूंसा – मुट्ठी बाँध ठूंसा – मुट्ठी की अंगुलियों से मारना
चनकट – थप्पड़ झापड़ा – तमाचा
चिरइ – चिड़िया चिरवा – चिड़ा
चित्त – पीठ के बल होना फद्द – पेट के बल होना
चीर – चीरना फार – फाड़ना
छिनार – कई पुरुषों से सम्बन्ध पतिव्रता – पति परायण पत्नी
छबला – बड़ा टोकरा टुकनिया – टोकरी
छिमा – क्षमा डंड – दण्ड
छूत – छूने योग्य अछूत – अछूने योग्य
छी-छी – निंदा करना वाह-वाह – प्रशंसा करना
जाँ – जहाँ ताँ – तहाँ
जनीं – औरतें जनें – पुरुष
मौड़ा – लड़का मौड़ी – लड़की
नाती – लड़के का लड़का नातिन – लड़के की लड़की
संदर्भ-
बुंदेली लोक साहित्य परंपरा और इतिहास – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त
बुंदेली लोक संस्कृति और साहित्य – डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त
बुन्देलखंड की संस्कृति और साहित्य – श्री राम चरण हयारण “मित्र”
बुन्देलखंड दर्शन – मोतीलाल त्रिपाठी “अशांत”
बुंदेली लोक काव्य – डॉ. बलभद्र तिवारी
बुंदेली काव्य परंपरा – डॉ. बलभद्र तिवारी
बुन्देली का भाषाशास्त्रीय अध्ययन -रामेश्वर प्रसाद अग्रवाल
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