श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य बुंदेलखंड के ही नहीं अपितु भारत के एक जाने-माने हिंदी साहित्यकार थे आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे आपको हिंदी के साथ-साथ संस्कृत अंग्रेजी फारसी उर्दू और रूसी भाषा सहित अन्य कई भाषाओं के जानकार थे Ambika Prasad Divya का पद साहित्य मैथिलीशरण गुप्त, राम कुमार वर्मा और वृंदावन लाल वर्मा आदि साहित्यकारों के काफ़ी निकट है।
श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य का जन्म 16 मार्च 1907 को अजयगढ़ पन्ना में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। आपने हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि प्राप्त करने के पश्चात मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में कार्य किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हो गए।
श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य 5 सितम्बर 1986 ई. को शिक्षक दिवस समारोह में भाग लेने गए और वहीं हृदय-गति रुक जाने से उनका निधन हो गया। दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु हमेशा बुन्देलखंड रहा है।
श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य को कई क्षेत्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनकी स्मृति पर वर्ष 1997 में उनके पुत्र श्री जगदीश किंजल्क द्वारा दिव्य पुरस्कार की शुरूआत की गई । अम्बिका प्रसाद दिव्य बहुमुखी प्रतिभावान व्यक्तित्व वाले थे आपने लेखन मे गद्य ,पद्य , पेंटिंग सहित अनेक कलाओं में अपना योगदान दिया है।
श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य रचित महाकाव्य
1 – अंतर्जगत
2 – निमिया
3 – खजुराहो की रानी
4 – पावस
5 – स्रोतस्विनी
6 – चेतयन्ति
7 – बेलकली
8 – विचिन्तयंति
9 – रामदपंण
10 – मनोवेदना
11 – दिव्य दोहावली
12 – पिपासा
13 – पश्यन्ति
14 – अनन्यमनसा
15 – गाँधी परायण
16 – भारतगीत
श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य रचित उपन्यास
1 – सती का पत्थर
2 – जूठी पातर
3 – काला भौंरा
4 -खजुराहो की अतिरुपा
5 – प्रेमी तपस्वी
6 -योगी राजा
7 -जयदुर्ग का राजमहल
8 – फ़जल का मक़बरा
9 – प्रीताद्रि की राजकुमारी
श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य रचित नाटक
1 – झाँसी की रानी
2 – कामधेनु
3 – भोजनन्दन कंस
4 – सूत्रपात
5 – प्रलय का बीज
6 – रूपक मंजरी
7 – भारत माता
8 – तीन पग
9 – लंकेश्वर
10 – निर्वाण पथ
11 – चरण चिह्न
12 – रूपक सरिता
13 – फूटी आँखें