छंद के आदि और अंत में जब एक ही वर्ण दो बार आये तो उसे दुअंग चार बार आये तो चुअंग, छै बार आये तो छअंग और आठ बार आये तो अठंग कहते हैं। फागकारों ने ऐसी अनेक फागों की सर्जना की हैं जिनमें दुअंग, तिअंग, चुअंग, पंचग, छअंग, सतंग एवं अठंग की योजना का निर्वाह हुआ है। इस सिद्धांत के अनुसार Duang Se Athang Ki Fagen लिखी जाने लगीं ।
उदाहरण ..।
सोरठा
तज गये लगा लगन नंदलाला, ललिते दीन दयाला ।
ले लस लंगर लाल चले गये, कर दिल्लगी दलाला ।
लाला तेरी लगन के लाने लई हिरन की छाला।
लालई लाल कहत गंगाधर, अधर अठंग निराला ।।